छत्तीसगढ

Organic Farming : कुलपति डॉ. पाटील ने कहा-बदलते परिवेश में बढ़ रहा महत्व

रायपुर, 5 अगस्त। छत्तीसगढ़ में जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए जैविक कृषि जन जागरुकता अभियान का आयोजन गुरुवार को किया गया। यह अभियान अखिल भारतीय जैविक खेती नेटवर्क परियोजना, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर एवं भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में वर्चुअल माध्यम से किया गया।

छोटे रकबे से शुरू करें जैविक खेती

आयोजन का मुख्य उद्देश्य जैविक कृषि में हो रहे अनुसंधान, अनुशंसा, तकनीक एवं प्रमाणीकरण के बारे कृषकों में जागरुकता लाना। कृषकों को जैविक कृषि से अधिक उपज एवं लाभ प्राप्त हो सके। मुख्य अतिथि, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस. के. पाटील ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण प्रदूषण की चुनौतियों का सामना करने में जैविक खेती महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। बदलते परिवेश में जैविक खेती का महत्व बढ़ता जा रहा है और अधिक से अधिक किसान जैविक खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उन्होनें कहा कि कृषकों को छोटे रकबे से जैविक खेती प्रारंभ करनी चाहिए तथा धीरे-धीरे इसका विस्तार करना चाहिए।

Organic Farming: Vice Chancellor Dr. Patil said – increasing importance in the changing environment

जैविक खेती से बढ़ती है मिट्टी की उर्वरता

डॉ. पाटील ने कहा कि कृषि में सजीव संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देना और निर्जीव संसाधनों अथवा रसायनों के उपयोग को कम करना जैविक खेती का प्रमुख उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि जैविक खेती से फसल की गुणवत्ता में बढ़ोतरी होती है। मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पर्यावरण संरक्षण होता है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा प्रदेश के सभी 27 जिलों में संचालित कृषि विज्ञान केन्द्रों में जैविक खेती से संबंधित प्रायोगिक फसल प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं तथा किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

कार्यक्रम में डॉ.आर.के.बाजपेयी, संचालक अनुसंधान सेवाएं, डॉ.एस.सी. मुखर्जी, संचालक, विस्तार सेवाएं के अलावा करीब 200 से अधिक प्रतिभागियों सहित विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, वैज्ञानिकगण, छत्तीसगढ़ के सभी 27 कृषि विज्ञान केन्दों के वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा अन्य विषय वस्तु विशेषज्ञ, कृषक एवं छात्र शामिल हुए।

विशेषज्ञ ने बताया जैविक खेती का महत्व

डॉ. एन. रविशंकर, राष्ट्रीय मुख्य अन्वेषक, आई.आई.एफ.एस.आर. मोदीपुरम द्वारा कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए भारत में जैविक कृषि के महत्व पर प्रकाश डाला।

डॉ. एम.सी. भाम्बरी, चीफ एग्रोनॉमिस्ट तथा मुख्य अन्वेषक ने छत्तीसगढ़ में जैविक कृषि के महत्व एवं जैविक कृषि में चल रहे अनुसंधान एवं उनके अनुशंसा की जानकारी दी।

डॉ. जयालक्ष्मी गांगुली, प्राध्यापक ने जैविक खेती में फसलों कीट-व्याधियों के रोकथाम एवं उनके नियंत्रण के बारे में विस्तारपूर्वक प्रतिभागीयों से चर्चा की।
डॉ. ए.एस.राजपुत, क्षेत्रीय निदेशक, क्षेत्रीय जैविक खेती केन्द्र, जबलपुर ने प्रतिभागीयों को जैविक कृषि एवं उनसे प्राप्त उत्पाद का प्रमाणीकरण तथा विपणन संबंधित जानकारी प्रदान की।

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