रायपुर, 13 नवंबर। Pollution in North India : उतर भारत में पराली सबसे बड़ी मुसीबत बन गई है। हवा जहरीली होते जा रही है। छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को पराली जलाने के लिए मना किया। राज्य में 30 लाख हेक्टेयर में धान की फसल होती है और 24 लाख से अधिक किसान धान बेचते हैं। इन आंकड़ों से अनुमान लगाया जा सकता है कि कितनी बड़ी मात्रा में राज्य में धान के पौधे का बचा हुआ हिस्सा यानी पराली होता होगा। इसी पराली को जलाने से उत्तर भारत प्रदूषण का सामना कर रहा है तो क्या छत्तीसगढ़ में भी प्रदूषण का खतरा बन सकता है।
पंजाब में प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्या
इस खतरे को भांपते (Pollution in North India) हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बड़ी अपील की है। उन्होंने पंजाब में प्रदूषण का जिक्र करते हुए किसानों को पराली जलाने के लिए मना किया किया है। इसकी जगह खेत के पराली को मवेशियों के लिए दान करने की अपील की है। जांजगीर चांपा में अपने भेंट मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य की समस्या हो रही। पैरा जलाने से बहुत समस्या होती है। सीएम ने इस समस्या से बचने के लिए गौठान के लिए खेत में बचे पैरा को दान करने अपील की। उन्होंने कहा, पैरा से गांव के मवेशी को चारा मिलेगा, गौ माता की सेवा होगी। पैरा को जलाना नहीं है, गौठान में दान करना है।
कलेक्शन के लिए दिया जाता है पैसा
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ (Pollution in North India) में हजारों गौठान हैं जहां मवेशी रहते हैं। गोधन न्याय योजना के बाद गाय के गोबर की बिक्री होती है, इसके साथ ही गोमूत्र की बिक्री हो रही है। इसलिए मवेशियों का पालन-पोषण बढ़ गया है। अब इन मवेशियों को चारे की जरूरत है। इस लिहाजा से अगर खेत के पैरा को जलाने के जगह गौठान के गोधन को दान किया जाता है तो प्रदूषण की बड़ी समस्या दूर हो जाएगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि पैरा संकलन व्यवस्था के लिए हर गौठान को 40 हजार रुपए दिए जाते हैं।