शिक्षा

Quality Education : भाषा सर्वे के परिणामों के आधार पर तैयार हो ठोस कार्ययोजना 

रायपुर, 8 जुलाई। Quality Education : स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ.प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा है कि राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में अध्ययन कर रहे बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को बेहतर गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराने और बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए सर्वे के परिणामों के आधार पर एक ठोस कार्ययोजना तैयार करें। शिक्षकों को भी भाषायी शिक्षा शिक्षण के लिए आवश्यकता अनुसार ऑन डिमांड प्रशिक्षण दिया जाए।

मंत्री डॉ.टेकाम आज यहां नवीन विश्राम गृह में छत्तीसगढ़ भाषा सर्वेक्षण एवं बहुभाषा शिक्षा योजना विमर्श पर आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। यह कार्यशाला समग्र शिक्षा और यूनिसेफ के सहयोग से 7 एवं 8 जुलाई को आयोजित की गई।

स्थानीय भाषा सीखने के लिए लगातार महत्व

स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ.टेकाम ने राज्य में आयोजित भाषा सर्वे के सफलतापूर्वक आयोजन और उससे संबंधित रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ पहला राज्य है जिसने पूरे राज्य में इस प्रकार की भाषाई सर्वे करने का निर्णय लिया और समय पर इसे कर दिखाया। सर्वे में राज्य के लगभग 95 प्रतिशत प्राथमिक शालाओं ने भाग लेकर अपनी स्थिति से अवगत कराया। मंत्री डॉ.टेकाम ने कहा कि भारत में अब तक जारी विभिन्न शिक्षा नीतियों एवं कमीशन ने बच्चों को स्थानीय भाषा में सीखाने के लिए लगातार महत्व दिया है। शिक्षा के अधिकार कानून में भी बच्चों को यथा संभव उनकी अपनी भाषा में सीखने के अवसर दिए जाने के लिए राज्यों को आवश्यक व्यवस्था किए जाने के निर्देश दिए हैं।

स्थानीय भाषा में शिक्षा देने पर जोर

मंत्री डॉ.टेकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल (Quality Education) राज्य है। राज्य में लगभग 32 प्रतिशत आदिवासी निवास करते हैं। राज्य में निवासरत बच्चों की शिक्षा सुविधा के लिए बहुत कुछ करने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा लगातार कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बच्चों को स्थानीय भाषा में शिक्षा देने के लिए आवश्यक व्यवस्था किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा मुख्यमंत्री के निर्देश के परिपालन में बच्चों की शिक्षा के लिए चार भाषा और 18 बोलियों में शिक्षण सामग्री तैयार कर उपलब्ध करवाई है। कक्षा पहली और दूसरी में द्विभाषायी पुस्तके, वर्णमाला चार्ट, वार्तालाप पुस्तिका, अभ्यास पुस्तिका, स्थानीय गीत-कहानियों आदि का संकलन कर स्कूलों को उपलब्ध करवाया गया है। शिक्षकों को बहुभाषा शिक्षण की परिस्थितियों में अध्यापन के लिए कुशल बनाने प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन भी किया गया है।

CM की पहल पर 15 साल से बंद पड़े स्कूलों को खोला गया

मंत्री डॉ.टेकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस वर्ष के शाला प्रवेश उत्सव के दौरान दो महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। पहला लगभग 15 वर्षो से बंद पड़े 260 स्कूलों को पुनः खोलने की घोषणा करते हुए उनका संचालन प्रारंभ किया गया है। इन स्कूलों में स्थानीय युवाओं को अध्यापन कार्य में सहयोग देने के लिए चिन्हांकित कर जिम्मेदारी दी गई है, जो कि निश्चित रूप में बच्चों की भाषा और संस्कृति को ध्यान में रखकर कार्य करेंगे।

बच्चों के मस्तिष्क विकास के अनुसार कक्षाएं

उन्होंने कहा कि छोटी आयु में बच्चों के सीखने की क्षमता और मस्तिष्क के विकास को ध्यान में रखते हुए प्राथमिक शालाओं के पहले बालवाड़ी खोलते हुए बच्चों को पांच वर्ष की आयु से ही सीखाए जाने की व्यवस्था की गई है। प्रथम चरण में 5173 बालवाड़ी खोलकर उनमें बच्चों को शिक्षा देने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं की जा रही है। इन केन्द्रों में स्थानीय भाषा में सीखने के लिए सामग्री साझा की जा रही हैं। डॉ.टेकाम ने कहा कि अंग्रेजीे वैश्विक भाषा है, उसकी जानकारी भी बच्चों को होनी चाहिए।

यूनिसेफ द्वारा किया गया भाषा सर्वेक्षण का काम

स्कूल शिक्षा सचिव डॉ.एस.भारतीदासन ने कहा कि कोई भी समस्या को हल करने के लिए उसका कारण ढूंढना होगा। छत्तीसगढ़ में भाषा सर्वेक्षण का कार्य यूनिसेफ द्वारा किया गया है। उससे पता चलता है कि राज्य की स्थिति क्या है और हमें क्या करना चाहिए। डॉ.भारतीदासन ने कहा कि बच्चों को दिल के नजदीक वाली भाषा में पढ़ाएंगे तो वह बेहतर सीख पाएंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी चीज कठिन नही होती, करना चाहे तो समस्या दूर होती है।

बच्चों को अंग्रेजी का ज्ञान भी होना चाहिए। इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश में स्वामी आत्मानंद स्कूल खोले गए हैं। जरूरी है कि बच्चों को उनकी मात्रभाषा में शिक्षा मिले और वे अन्य भाषा भी सीख सकें। स्कूल शिक्षा सचिव ने कहा कि छत्तीसगढ़ भी मिनी इंडिया है, यहां सरगुजा से लेकर बस्तर तक बहुत सी भाषा बोली जाती है।

शिक्षकों के लिए जरूरी है कि वे बच्चों की भाषा (Quality Education) को समझे। इसके लिए वे बहुभाषा सीखें। कार्यशाला को यूनिसेफ चीफ नई दिल्ली टेरी डूरियन, लर्निंग लेंग्वेज फाउंडेशन के डॉ. धीर झींगरन ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर यूनिसेफ राज्य प्रमुख जॉब जकारिया, प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा नरेन्द्र दुग्गा सहित स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी और शिक्षक उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button