Raipur Rajyotsava : प्राचीन गोदना का नया स्वरूप, बस्तर ट्राईबल टैटू…आय का नया जरिया…सुनिए क्या कहते हैं युवा
![Raipur Rajyotsava : New look of ancient tattoo, Bastar tribal tattoo...new source of income...hear what youth say](https://jantakiaawaz.in/wp-content/uploads/2022/11/tetu.jpg)
रायपुर, 2 नवंबर। Raipur Rajyotsava : राज्योत्सव के दौरान राजधानी के साईंस कॉलेज मैदान में लगी विकास प्रदर्शनी में प्राचीन गोदना का नया स्वरूप बस्तर ट्राईबल टैटू के रूप में नजर आया। यहां बस्तर आर्ट गैलरी जगदलपुर से प्रशिक्षित बस्तर के युवा प्रसिद्ध प्राचीन गोदना कलाकृतियों को टैटू के रूप में लोगों के शरीर पर बना रहे हैं। राज्योत्सव देखने आए युवाओं में बस्तर गोदना गुदवाने के लिए खासा क्रेज दिखाई दिया।
युवाओं को मिला आय का नया जरिया
प्राचीन समय में सोने-चांदी के आभूषणों के अभाव के कारण स्त्री-पुरूष गोदना से बने आभूषण वाले डिजाईन बनवाते थे। प्राकृतिक आपदाओं में से एक बिजली गिरने जैसी आपदा से बचने के लिए अपने एवं अपने बच्चों के चेहरे के कुछ विशेष स्थानों पर गोदना गुदवाया जाता था। अब इस गोदना का आधुनिक रूप टैटू के रूप में खासा लोकप्रिय हो रहा है।
जिला प्रशासन की मदद से ली बादल एकेडमी में ट्रेनिंग
जगदलपुर (बस्तर) के करीबी गांव कावापाल के गोदना कलाकार जोगी राम बघेल ने बताया कि 12वीं पास होने के बाद वह रोजगार की तलाश में थे। पहले उन्हें छत्तीसगढ़ टूरिज्म में काम मिल गया, इसके बाद उन्हें जिला प्रशासन की मदद से बादल एकेडमी में 20 दिनों तक गोदना आर्ट की ट्रेनिंग दी गई। उनके साथ लगभग 20 लड़के-लड़कियों ने भी प्रशिक्षण प्राप्त किया। राज्य सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने युवाओं को रोजगार का नया जरिया दिया है, जिससे वे अपनी प्राचीन संस्कृति को बचाने के साथ आय भी अर्जित कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वे ट्राईबल आर्ट फॉर्म गोदना को उसकी प्राचीन महक के साथ आधुनिक टैटू के रूप में बना रहे हैं, जिसे युवाओं द्वारा खासा प्रसंद किया जा रहा है। नारायण पाल से आए युवा कलाकार धनुर्जय बघेल ने कहा कि बस्तर की संस्कृति के लिए हम काम कर रहे हैं, जिससे हमें बहुत अच्छा लग रहा है। उनके साथ सुखमन नाग और संदीप बघेल भी बस्तर ट्राईबल टैटू बनाने का काम कर रहे हैं। यहां टैटू बनाने के बाद युवाओं को उसके देखभाल के तरीके भी बताएं जा रहे है, जिससे उन्हें किसी प्रकार का संक्रमण या परेशानी न हो।
टैटू बनाकर उत्साहित रायपुर के आकाश अग्रवाल ने बताया कि पहले उन्होंने मार्केट से 3 हजार रूपए देकर टैटू बनवाया था, यहां मात्र 600 रूपए में प्रोफेशनल तरीके से टैटू बनाया गया है। कम कीमत के साथ टैटू में फिनिशिंग भी बहुत अच्छी है। बाजार की तरह ही बस्तर के युवा मशीन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
गोदना कला से जुड़ी मान्यताएं
गोदना कलाकारों ने बताया कि प्राचीन मान्यता (Raipur Rajyotsava) के अनुसार गोदना पृथ्वी लोक से स्वर्ग तक साथ जाने वाला एक अमूल्य आभूषण है, जिसे देवताओं के लिए उपहार ले जाने जैसा माना जाता है। प्राचीन जनजातियांे द्वारा यह भी माना जाता है कि गोदना का शरीर पर गुदे होने से बुरी शक्तियों का शरीर पर प्रभाव नहीं होता है। रोचक मान्यता है कि मौजूदा एक्यूपंचर जैसे ही शरीर के कुछ विशेष स्थानों पर गोदना से कुछ शारीरिक बीमारियों को भी दूर किया जाता था।