छत्तीसगढराज्य

RTI Workshop : प्रशासन को जवाबदेही बनाना सूचना का अधिकार का मूल उद्देश्य

गरियाबंद, 1 अक्टूबर। RTI Workshop : राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एम.के. राउत ने आज जिला पंचायत के सभागार में सूचना का अधिकार विषय पर आयोजित जिला स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रशासन को पारदर्शी और जवाबदेही बनाना सूचना का अधिकार का मूल उद्देश्य है।

समय सीमा के भीतर सूचना उपलब्ध कराने की बाध्यता

आम नागरिक सूचना का अधिकार के लिए शुल्क अदा (RTI Workshop) किया है, तो उसे समय सीमा में जानकारी उपलब्ध कराना है। बी.पी.एल का राशन कार्ड मान्य नहीं है, किन्तु नगरीय क्षेत्र के सी.एम.ओ और ग्रामीण क्षेत्रों के आवेदन के साथ मुख्य कार्यपालक अधिकारी जनपद पंचायत के द्वारा जारी प्रमाण पत्र मान्य है। बी.पी.एल के आवेदक को 50 पृष्ठ या 100 रूपये की जानकारी निःशुल्क देना है, अधिक जानकारी होने पर अवलोकन करने आग्रह करें।

इस कार्यशाला में मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि  सूचना आयोग को जनसूचना अधिकारी पर ना केवल जुर्माना लगाने का अधिकार है, बल्कि आवेदक को क्षतिपूर्ति राशि देने के लिए आदेश पारित करने का भी अधिकार है। यह क्षति पूर्ति राशि लोक प्राधिकारी द्वारा जनसूचना अधिकारी से वसूल कर आवेदक को दिए जाने का प्रावधान अधिनियम में है, इसलिए जनसूचना अधिकारी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार आवेदक को सूचना उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार के तहत आवेदन शुल्क के रुप में संलग्न नान ज्युडिशियल स्टाम्प, ई-स्टाम्प, चालान, भारतीय पोस्टल आर्डर, नगद, बैंक ड्राफ्ट के रूप में जमा करता है, तो आवेदक को समय सीमा में जानकारी रजिस्ट्री डाक से भेंजे।  उन्होंने कहा कि जहां (विभाग) में नकल लेने का प्रावधान है, वहां आवेदक को नकल (प्रतिलिपि) के लिए आवेदन करने पत्र जरुर भेजें।

उन्होंने कहा कि आयोग के निर्णय का पालन करतें हुए जवाब अवश्य दें। राउत ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है। नागरिकों के द्वारा शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों की जानकारी मांगने पर निर्धारित समय सीमा में आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने का दायित्व हमारा है। शासकीय कार्यों, दस्तावेजों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित करें , ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े। कलेक्टर प्रभात मलिक, पुलिस अधीक्षक जे.आर. ठाकुर, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रोक्तिमा यादव, अपर कलेक्टर अविनाश भोई, राज्य सूचना आयोग के  संयुक्त संचालक धनंजय राठौर भी उपस्थित थे।

प्रथम अपीलीय प्राधिकारी का दायित्व अपने निर्णय समय सीमा में क्रियान्वित करे : अशोक अग्रवाल

राज्य सूचना आयोग के आयुक्त अशोक अग्रवाल ने कार्यशाला में स्पष्ट किया कि जनसूचना अधिकारी समय सीमा में आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने में असमर्थ है तो आवेदक प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अपील कर सकता है और प्रथम अपीलीय अधिकारी निर्णय देने के बाद उसे समय सीमा में कार्यान्वित कराना प्रथम अपीलीय अधिकारी का दायित्व है। उन्होंने जनसूचना अधिकारियों से कहा कि जब आवेदक सूचना का अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत करता है, तो आवेदन पत्र को ध्यान से पढ़े, आवेदन पत्र में एक से अधिक विषय की जानकारी चाही गई है, तो केवल एक विषय की जानकारी आवेदक को दी जा सकती है। इसी तरह सशुल्क जानकारी देने की स्थिति पर शुल्क की गणना भी आवेदक को दी जाए और आवेदक द्वारा शुल्क जमा करने के पश्चात् ही वांछित जानकारी की फोटोकॉपी  उपलब्ध  कराई जाए।

अग्रवाल ने कहा कि जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी आयोग के नोटिस का जवाब जरूर दें, जवाब नहीं मिलने पर आयोग अर्थदंड और क्षतिपूर्ति लगा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी आपके कार्यालय से संबंधित नहीं है, तो उसे संबंधित कार्यालय को 5 दिवस के भीतर आवेदन पत्र को अंतरित किया जाए। उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन को पारदर्शी बनाने के लिए ही सूचना का अधिकार अधिनियम बनाया गया है। जन सूचना अधिकारी अधिनियम के नियमों और उनकी बारीकियों को समझ सकें, इसलिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। सभी जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी आवेदक को जवाब देते समय अपना नाम स्पष्ट रूप से उल्लेख करें। श्री अग्रवाल ने कहा कि आवेदक को जानकारी देते समय जनसूचना अधिकारी का नाम, पदनाम का भी स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए।

सरकारी गतिविधियों को पूर्णतः पारदर्शी बनाना है : मनोज त्रिवेदी

कार्यशाला में राज्य सूचना आयुक्त मनोज त्रिवेदी ने कहा कि सरकारी गतिविधियों को पूर्णतः पारदर्शी बनाना है। आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय-सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को निःशुल्क जानकारी देनी होगी। श्री त्रिवेदी ने कहा कि सूचना आयोग पेनाल्टी लगाने वाली संस्था नहीं है, लेकिन जानबूझकर जानकारी नहीं देने अथवा गलती करने पर जनसूचना अधिकारी पर पेनाल्टी लगाना जरूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति से जनसूचना अधिकारी को बचना चाहिए।

सूचना प्राप्त करना मौलिक अधिकार है : धनवेन्द्र जायसवाल

राज्य सूचना आयुक्त धनवेन्द्र जायसवाल ने कहा कि हर नागरिक को जानने का मौलिक अधिकार है। सूचना का अधिकार अधिनियम सरकार के कार्याे को पारदर्शी बनाना है। इसमें पहली कड़ी जनसूचना अधिकारी हैं, इसलिए जनसूचना अधिकारी अधिनियम के तहत प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढ़े। इससे गलती की संभावना कम होगी। इसमें जानकारी देने की समय-सीमा और शुल्क निर्धारित है। जनसूचना अधिकारी इसका विशेष ध्यान रखें। एक आवेदक के आवेदन को एक से अधिक विभाग को अंतरण नहीं करना है। जायसवाल ने कहा कि प्रशासन को पूर्ण पारदर्शी बनाना सूचना का अधिकार का उद्देश्य है। प्रथम अपीलीय अधिकारी नियत समय पर अपना निर्णय दें और आदेश को क्रियान्वयन करायें। आवेदक को दस्तावेज के लिए शुल्क की मांग स्पष्ट रूप से उल्लेखित करते हुए भेजें, जिससे आवेदक से राशि जमा होने पर जानकारी प्रदाय की जा सके। उन्होंने कहा कि आयोग के नोटिस का जवाब जरूर दें।

कार्यालय में संधारित सभी दस्तावेज सूचना का अधिकार की श्रेणी में : धनंजय राठौर

छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के संयुक्त संचालक धनंजय राठौर ने कहा कि हर नागरिक को जानने का मौलिक अधिकार है। सूचना का अधिकार अधिनियम सरकार के कार्याे को पारदर्शी बनाना है। इसमें पहली कड़ी जनसूचना अधिकारी हैं। इसलिए जनसूचना अधिकारी अधिनियम के तहत प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढ़े, इससे गलती की संभावना कम होगी। इसमें जानकारी देने की समय-सीमा और शुल्क पर विशेष ध्यान रखें। आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय-सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को निःशुल्क जानकारी देनी होगी। जनसूचना अधिकारी को पूर्वाग्रह से भी बचना चाहिए। श्री राठौर ने कहा कि आवेदक को जानकारी देते समय जनसूचना अधिकारी का नाम, पदनाम का भी स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए। साथ ही आवेदक को प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम और पदनाम की भी जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी आपके कार्यालय से संबंधित नहीं है, तो उसे संबंधित कार्यालय को 5 दिवस के भीतर अंतरित किया जाए।

कार्यशाला में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्तगणों ने जनसूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारी के प्रश्नों और शंकाओं का समाधान किया। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की विस्तृत जानकारी प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रदर्शित किया। कलेक्टर प्रभात मलिक ने अधिकारियों को अभार प्रकट करते हुए कहा कि जिले में सूचना का अधिकार अधिनियम का क्रियान्वयन किया जा रहा है। आज के कार्यशाला से अधिकारियों के मन में जो भ्रांति थी, वह दूर हो गई है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला से जन सूचना अधिकारियों को लाभ होगा।

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत (RTI Workshop) इस एक दिवसीय कार्यशाला में सभी विभाग के जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी के अलावा जनपद पंचायत के जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी  (मुख्य कार्यपालन अधिकारी) बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button