SC को हजम नहीं हुआ कोरोना काल में बंगाल में अनाथ हुए बच्चों का आंकड़ा, ममता सरकार को फटकारा
नई दिल्ली, 27 जुलाई। सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपीसीआर पोर्टल पर मार्च-2020 से कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों का पूरा डाटा अपलोड नहीं करने पर पश्चिम बंगाल सरकार की खिंचाई की है। केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि पंजाब, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल के आंकड़े विश्वसनीय नहीं है। अदालत ने बंगाल सरकार से पूछा कि क्या आपके राज्य में सिर्फ 24 बच्चे ही अनाथ हुए हैं। इस पर राज्य सरकार के वकील ने कहा कि केंद्र सरकार का बयान गलत है।
न्यायमूर्ति नागेश्वर राव ने कहा, ‘यह क्या बात हुई, आप इसे राजनीतिक मत बनाएं, यह बच्चों के कल्याण का मामला है। क्या इतने बड़े राज्य में सिर्फ 24 बच्चे ही अनाथ हुए हैं। यह स्वीकार नहीं किया जा सकता। आपके अनुसार यदि यह सही है तो हम इसे रिकॉर्ड पर लेते हैं और अलग से जांच करवाते हैं। साथ ही आपके मुख्य सचिव को भी तलब करते हैं। आप ऐसा बयान नहीं दे सकते।’ इस पर राज्य सरकार के वकील ने कहा कि वह नए आंकड़े अदालत में पेश करेंगे।
अदालत कोविड से अनाथ हुए बच्चों के कल्याण के लिए पीएम केयर्स फंड से राशि देने की याचिका पर विचार कर रहा है। अदालत ने कहा कि पीएम केयर्स फंड के तहत घोषित कल्याण योजना में उन सभी बच्चों को शामिल किया जाना चाहिए जो कोविड-19 के दौरान अनाथ हो गए थे, न कि सिर्फ उन्हें जो कोविड के कारण अनाथ हुए हैं।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) यह सुनिश्चित करेगी कि सभी वित्तीय लाभ जिसके लिए बच्चा हकदार है। उन्हें बिना किसी देरी के प्रदान किया जाए और जो व्यक्ति अवैध रूप से बच्चों को गोद लेने में शामिल हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए