Selection of District Presidents : कांग्रेस संगठन में जिला अध्यक्षों की नई फौज…उम्र और कार्यकाल बने कसौटी…रायपुर में सबसे ज्यादा दावेदार…6 नाम हाईकमान को भेजे

रायपुर, 21 अक्टूबर। Selection of District Presidents : छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी में जिलाध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। छह महीने पहले जिन 11 जिलों में अंतरिम तौर पर नियुक्तियां की गई थीं, उनमें से 5 जिला अध्यक्षों को दोबारा मौका दिया जा सकता है, जबकि बाकी 36 संगठनात्मक जिलों में नए अध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे। पार्टी नेतृत्व ने इस बार संगठन में अनुभव के साथ-साथ अनुशासन, उम्र और कार्यशैली जैसे मापदंडों को प्राथमिकता दी है।
नई गाइडलाइन उम्र और कार्यकाल की सीमा
पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया है कि पांच साल से अधिक समय तक जिला अध्यक्ष पद पर रह चुके नेताओं को दोबारा मौका नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा 60 वर्ष से अधिक आयु के नेताओं को भी इस दौड़ से बाहर रखा गया है। इन दो प्रमुख शर्तों के चलते सरगुजा, रायपुर ग्रामीण और बेमेतरा सहित कई जिलों के वर्तमान अध्यक्षों को पद छोड़ना होगा।
वरिष्ठ नेताओं से विचार-विमर्श
प्रदेश में जिलाध्यक्षों के चयन को लेकर पार्टी हाईकमान गंभीरता से जुटा हुआ है। पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को दिल्ली बुलाकर मंथन किया गया। एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हुई।
पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट ने खोले कई पत्ते
17 अक्टूबर को सभी पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट एआईसीसी को सौंप दी थी। रिपोर्ट में स्थानीय स्तर पर नेताओं की लोकप्रियता, संगठनात्मक क्षमता, गुटबाजी, और आगामी विधानसभा चुनाव की दृष्टि से उनके प्रभाव का आकलन किया गया। इन्हीं बिंदुओं के आधार पर पुराने और नए चेहरों की सूची तैयार की जा रही है।
कुछ पुराने चेहरों को मिल सकता है फिर मौका
हालांकि अधिकतर जिलों में नए चेहरों की नियुक्ति की संभावना है, लेकिन कुछ वर्तमान जिला अध्यक्षों का प्रदर्शन इतना प्रभावशाली रहा है कि उन्हें फिर से मौका दिया जा सकता है। इनमें दुर्ग ग्रामीण के राकेश ठाकुर, कोरबा ग्रामीण के मनोज चौहान सहित तीन अन्य नाम शामिल हैं।
रायपुर शहर में कड़ी प्रतिस्पर्धा
रायपुर शहर अध्यक्ष पद को लेकर प्रतिस्पर्धा सबसे ज्यादा देखी गई। यहां से कुल 28 दावेदारों के नाम सामने आए थे, जिनमें से 6 नामों का पैनल एआईसीसी को सौंपा गया है। यह स्थिति यह भी दर्शाती है कि शहरी क्षेत्रों में संगठनात्मक पदों के लिए प्रतिस्पर्धा तीव्र है और पार्टी को चयन में विशेष सावधानी बरतनी पड़ रही है।
नवंबर के पहले सप्ताह में सूची जारी होने की संभावना
सूत्रों की मानें तो जिलाध्यक्षों की नई सूची नवंबर के पहले सप्ताह में जारी की जा सकती है। पार्टी की रणनीति साफ है— संगठन को ऊर्जा देने के लिए युवा, अनुभवी और जमीनी कार्यकर्ताओं को नेतृत्व में लाना।
क्या बदलेगी जिले स्तर पर कांग्रेस की तस्वीर?
कांग्रेस का यह कदम संगठन को तरोताजा करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है। लंबे समय से एक ही पद पर जमे नेताओं को हटाना और नए चेहरों को मौका देना पार्टी की अंदरूनी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करता है। साथ ही यह संदेश भी जाता है कि संगठन में परिवर्तन और जवाबदेही की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है।
हालांकि यह भी एक चुनौती है कि नए अध्यक्ष कितनी जल्दी जिले की राजनीति और संगठन को संभाल पाएंगे, खासकर तब जब 2028 का विधानसभा चुनाव धीरे-धीरे करीब आता जा रहा है। युवा नेताओं को मौका देना जहां नई ऊर्जा ला सकता है, वहीं अनुभव की कमी सामने आ सकती है।
कांग्रेस नेतृत्व (Selection of District Presidents) का यह कदम न केवल संगठनात्मक पुनर्गठन की दिशा में एक ठोस प्रयास है, बल्कि यह आगामी राजनीतिक रणनीतियों की नींव भी तय करेगा। अब देखना यह है कि नए जिलाध्यक्ष पार्टी के लिए कितने उपयोगी साबित होते हैं और क्या वे जमीनी स्तर पर कांग्रेस को फिर से मजबूत कर पाएंगे।