छत्तीसगढ

शिक्षकों की ड्यूटी क्वारेंनटाइन व्यवस्था में लगाने से नाराज शिक्षक फेडरेशन, कह- बिना प्रशिक्षण अगर किसी की मृत्यु हो तो ₹50 लाख राशि मुवावजा दे राज्य सरकार

रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी, उप प्रांताध्यक्ष विष्णु सिंह राजपूत एवं महामंत्री राकेश साहू ने संयुक्त रूप से बताया कि बाहरी राज्यों से छत्तीसगढ़ राज्य में बड़ी संख्या में वहां के मूल श्रमिकों का परिवार सहित गृह जिलों में घर वापसी हो रही है। इन श्रमिकों का कोरोना वाइरस से संक्रमित होने के संभावना की आशंका के कारण, शासकीय विद्यालयों को क्वारेंनटाइन सेंटर बनाकर ठहराये जाने का व्यवस्था किया गया है। उन्होंने बताया कि प्राचार्यों को क्वारेंनटाइन सेंटर का प्रभारी अधिकारी एवं व्याख्याता, प्रधानपाठक, शिक्षक एवं सहायक शिक्षकों को बतौर सहायक कर्मचारी नियुक्त किया गया है। क्वारेंनटाइन सेंटर में साफ सफाई, भोजन व्यवस्था, शौचालय व्यवस्था सहित समस्त मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था एवं देख-रेख करने शिक्षकों की डयूटी लगाई गई है, जो कि बेहद अव्यवहारिक और अनुचित है। क्योंकि शिक्षकों को स्वास्थ चिकित्सा सम्बन्धी कोई प्रशिक्षण प्राप्त अथवा जानकारी नहीं है, जिसके कारण शिक्षकगण को स्वयं एवं अपने परिवार को भी कोरोना संक्रमित होने के भय हमेशा बना रहेगा। विद्यालयों को क्वारेंनटाइन सेंटर बनाये जाने से भविष्य में विद्यार्थियों के भी संक्रमित होने की संभावना है।
फेडरेशन का कहना है कि कोरबा जिले में शिक्षकों की डयूटी, घर-घर जाकर कोरोना संक्रमण की जानकारी लेने लगाई गई है। इस संबंध में एक ज्ञापन डॉ आलोक शुक्ला प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को दिया गया है। फेडरेशन ने जानकारी दिया कि, राजस्थान सरकार ने कोई भी सरकारी एवं गैर सरकारी कर्मचारी-अधिकारी कोरोना संक्रमण के रोकथाम से संबंधित डयूटी के दौरान अगर वे किसी भी तरह से संक्रमित होते है और इलाज के दौरान उनकी असामयिक मृत्यु होने पर उसके आश्रित/परिवार को 50 लाख रुपयों का विशेष अनुग्रह राशि स्वीकृत करने का आदेश 11 अप्रैल 20 दिया है, जबकि उसका आदेश 27 अप्रैल 20 को जारी किया है। फेडरेशन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से छत्तीसगढ़ में भी, तदानुसार विशेष अनुग्रह राशि के स्वीकृति हेतु, आदेश देने का माँग किया है।

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