छत्तीसगढ

झीरम मुद्दे पर Ex CM उनके रणनीतिकारों सहित सुरक्षाकर्मियों से जिरह की जानी चाहिए : सुशील आनंद शुक्ला

रायपुर, 12 नवंबर। कांग्रेस ने कहा कि झीरम न्यायिक रिपोर्ट के  मामले में भाजपा के बयानों से पहले से ही सन्देह के दायरे में रही भाजपा और छजका कि स्थितियां और संदिग्ध हो गयी है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि झीरम मामले की सच्चाई उजागर करने के लिए जरूरी है पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह उनके सरकार के चर्चित रणनीतिकारों सहित घटना के समय पुलिस के तैनात बड़े अधिकारी, एडीजी नक्सल, एडीजी गुप्त वार्ता, अमित जोगी, विष्णुदेव साय का भी प्रतिपरीक्षण किया जाना चाहिए। झीरम नक्सल संहार कांग्रेस के सीने पर लगा वह घाव है जो षड्यंत्र के बेनकाब हुए तथा दोषियों को सजा दिलवाए बिना कभी भर नही सकता।

इन सारे ‘क्यों’ का जवाब चाहिए

सुशील आनंद ने कहा कि झीरम में कांग्रेस ने अपने नेताओं की पूरी पीढ़ी को खोया है। न्यायिक आयोग की गोपनीय रिपोर्ट सार्वजनिक हुए बिना भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय, अमित जोगी रिपोर्ट के बारे में जो बयान दे रहे उससे आयोग की अभी तक की जांच और उसकी निष्पक्षता पर सवाल खड़ा हो रहे हैं। आखिर संवेदनशील और गोपनीय रिपोर्ट के तथ्यों के बारे में दोनों नेताओं के दावों का आधार क्या है? किसकी मिली भगत से इनको रिपोर्ट की जानकारी मिली? क्या आयोग ने इनको रिपोर्ट की जानकारी दी? यदि भाजपा छजका के दावे झूठे है तो किस पर से ध्यान हटाने के लिए यह सुनियोजित बयान भाजपा और छजका के प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा दिया गया?

शुक्ला ने कहा कि शहीद नन्द कुमार पटेल के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद उनकी आक्रमक शैली से तत्कालीन भाजपा सरकार और सरकार में बैठे हुये लोग घबराए हुए थे। कांग्रेस के द्वारा निकाली जा रही परिवर्तन यात्रा के फलस्वरूप राज्य में परिवर्तन की लहर चल रही थी। सहस ही अंदाज लगाया जा सकता है इस परिवर्तन की लहर से भाजपा को नुकसान होना तय था। आखिर क्या कारण था धुर नक्सल क्षेत्र में विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं की मौजूदगी वाली यात्रा की सुरक्षा व्यस्था घटना वाले दिन ही हटा लिया गया था? जीरम नक्सल हमले के राजनैतिक षडयंत्रो की जांच होनी चाहिए तभी सच्चाई सामने आएगी।और भाजपा की तत्कालीन सरकार की बी टीम के रूप में कौन काम कर रहा था किसी से छुपा नही है।

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