राष्ट्रीय

मई माह में बढ़ 134 फीसद तक बढ़ गया पाकिस्‍तान का व्‍यापारिक घाटा, सरकार की भी मुश्किलें बढ़ी

इस्‍लामाबाद, 3 जून। पाकिस्‍तान का व्‍यापारिक घाटा मौजूदा वर्ष के मई माह में 134 फीसद बढ़ गया है। पिछले वर्ष इसी माह में जहां ये 1.466 बिलियन डॉलर था वहीं अब ये बढ़कर 3.432 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। ऐसा एक्‍सपोर्ट में कमी और इंपोर्ट में वृद्धि आने की वजह से हुआ है। पाकिस्‍तान के द डॉन के मुताबिक देश के वाणिज्‍य मंत्रालय ने बुधवार को इसके आंकड़े पेश किए हैं।

मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि व्‍यापारिक घाटे के बढ़ने से देश की सरकार के सामने कई तरह की समस्‍याएं पैदा हो सकती हैं। साथ ही उसको अपने एक्‍सटर्नल अकाउंट पर काबू पाना मुश्किल हो सकता है। इस घाटे को यदि रुपये में देखा जाए तो ये सालाना 125 फीसद से अधिक की दर से बढ़ रहा है। वाणिज्‍य मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2020 से ही आयात और निर्यात के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक पहले ये व्‍यापारिक घाटा करीब 32 बिलियन डॉलर से कम होकर 23 बिलियन डॉलर पर आ गया था।

द डॉन लिखता है कि सरकार के सामने अब एक गंभीर समस्‍या आ खड़ी हुई है कि वो अपने इंपोर्ट को कैसे बढ़ाए। सरकार का कहना है कि इस घाटे के बढ़ने की बड़ी वजह पेट्रोलियम, गेंहू, चीन, सोयाबीन, मशीनरी, कच्‍चा माल और केमिकल, मोबाइल फोन, फर्टीलाइजर, टायर, एंटीबायोटिक दवाएं और वैक्‍सीन का बड़े पैमाना पर आयात है। कहा ये भी जा रहा है कि जिस तरह के हालात फिलहाल हैं उसको देखते हुए मौजूदा वित्‍त वर्ष में जून के खत्‍म होने तक चालू खाता घाटा 4 बिलियन डॉलर से 6 बिलियन डॉलर के बीच कहीं होगा।

सरकार के लिए समस्‍या की बात केवल यही नहीं है बल्कि ये भी है कि वैल्‍यू एडेड सेक्‍टर ने सरकार को आने वाले दिनों में कच्‍चे माल की कमी होने की चेतावनी दी है। इनका कहना है कि यदि सूती धागा उन्‍हें उचित मात्रा में उपलब्‍ध नहीं हो सका तो उनके पास जो माल निर्यात का ऑर्डर है वो भी दूसरों के हाथों में चला जाएगा। गौरतलब है कि सरकार सूती धागे से इंपोर्ट ड्यूटी और कर को खत्‍म कर चुकी है।

आपको यहां पर ये भी बता दें कि देश में इमरान खान की सरकार बनने के बाद देश की आर्थिक हालत बेहद खराब हुई है। देश में महंगई दर जहां लगातार बढ़ी है वहीं विकास बुरी तरह से प्रभावि हुआ है। देश में खाने-पीने की चीजों के दामों में जबरदस्‍त तेजी आई है। इतना ही नहीं पाकिस्‍तान पर विदेशी कर्ज का भी बोझ काफी बढ़ गया है।

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