Strategies for Involving Children's Languages in Basic Literacy and NumeracyUNICEF

रायपुर, 8 जुलाई। UNICEF : छत्तीसगढ़ में भाषायी सर्वे के आधार पर प्रारंभिक शिक्षा की योजना बनाई जाएगी। इस संबंध में आज यहां समग्र शिक्षा और यूनिसेफ के सहयोग से दो दिवसीय कार्यशाला प्रांरभ हुई।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों के घर की भाषा का शिक्षा में समावेश की महत्वपूर्ण आवश्यकता को समझना है। इसके अलावा राज्य के क्षेत्रों और जिलों को विभिन्न भाषायी परिस्थितियों के आधार पर वर्गीकृत करना। बहुभाषीय शिक्षा की अवधारणा और विभिन्न भाषायी परिस्थितियों में इसे लागू करने के रणनीति को समझना। प्राथमिक शिक्षा में विशेष रूप से बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान में बच्चों की भाषाओं को शामिल करने की रणनीति तैयार करना और उसे लागू करने के लिए ठोस योजना बनाना है। 

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा (UNICEF) राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अनुशंसा पर फरवरी 2022 में भाषायी सर्वेक्षण का कार्य किया गया। इस सर्वेक्षण में राज्य के 29 हजार 755 शासकीय प्राथमिक शालाओं में कक्षा पहली पढ़ने वाले बच्चों की घर की भाषाओं, शिक्षकों की उन भाषाओं को समझने और बोलने की दक्षता के आंकड़े एकत्र किए गए। देश में यह सर्वेक्षण करने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य है। इस सर्वेक्षण के प्रारंभिक परिणामों को साझा करने और इनके आधार पर प्रारंभिक शिक्षा की योजना बनायी जाएगी।

औपचारिक शिक्षा में घरेलू भाषा को शामिल करने पर जोर

इस कार्यक्रम के मुख्य स्रोत व्यक्ति लैंग्वेज एण्ड लर्निंग फाउंडेशन की फाउंडर डॉ. धीरझिंगरन है। कार्यशाला में समग्र शिक्षा के प्रबंध निदेशक नरेन्द्र दुग्गा ने बच्चों के घर की भाषा को उनकी औपचारिक शिक्षा में शामिल करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों की घर की भाषाओं को प्राथमिक स्तर पर औपचारिक सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में शामिल करना समावेशी शिक्षा और समतामूलक शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है कि बच्चों की प्रथम भाषा उनकी घर की भाषा को कई वर्षों तक शिक्षा के माध्यम के रूप में उपयोग किया जाए। साथ-साथ अन्य भाषाओं जैसे राज्य की भाषा (यदि वह बच्चे की प्रथम भाषा न हो तो)  अंग्रेजी भाषा का परिचय दिया जाए। उन्होंने कहा कि हमारे देश के भाषायी संदर्भ जटिल है, इसलिए एक विशेष क्षेत्र में सामाजिक भाषायी स्थिति के आधार पर ही भाषा शिक्षण के लिए विभिन्न तरीकों को उपयोग करने की आवश्यकता है।

छत्तीसगढ़ राज्य में शिक्षा (UNICEF) के लिए बच्चों की भाषा के उपयोग को लेकर पूर्व में भी कई सराहनीय कार्य किए गए है, जिनमें भाषायी सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सर्वेक्षण और इससे प्राप्त परिणामों, विभिन्न नीतिगत दस्तावेजों में बच्चों के घर की भाषा का सीखने-सिखाने में उपयोग करने की जरूरतों और छत्तीसगढ़ राज्य में ऐसे प्रयोगों के परिणामों को दृष्टिगत रखना भी जरूरी है। कार्यशाला को लैंग्वेज एण्ड लर्निंग फाउंडेशन के डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने भी सम्बोधित किया। 

About The Author

You missed