छत्तीसगढ

World Forestry Day : CM ने की पर्यावरण संरक्षण के लिए जंगल बचाने की अपील

रायपुर, 21 मार्च। World Forestry Day : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को अंतर्राष्ट्रीय वानिकी दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं दी है। आज यहां जारी अपने संदेश में उन्होंने कहा है कि विश्व भर में पेड़ों और जंगल की सुरक्षा और उसका महत्व जन-जन तक पहुंचाने के लिए 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस मनाया जाता है।

जंगल पर कई जीव-जन्तु, कीट पतंगों (World Forestry Day) की परस्पर निर्भरता रहती है। यह व्यवस्था पर्यावरण के साथ-साथ जैविक सह-अस्तित्व की सुरक्षा के लिए बहुत आवश्यक है। जंगल पृथ्वी पर प्राणवायु ऑक्सीजन के साथ विभिन्न खाद्य और अन्य उपयोगी सामग्रियों के स्रोत हैं।

बढ़ती जनसंख्या (World Forestry Day) और बदलती जीवन शैली का दुष्प्रभाव हमें सिमटते जंगल और प्रदूषित पर्यावरण के रूप में दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ों और जंगल को बचाने की अपील की है।

अंतर्राष्ट्रीय वानिकी दिवस इस उद्देश्य से मनाया गया था कि दुनिया के तमाम देश अपनी मातृभूमि की मिट्टी और वन-सम्पदा का महत्व समझे। अपने-अपने देश के वनों और जंगलों का संरक्षण करें। अगर हम भारत की बात करें तो 22.7% भूमि पर ही वनों और जंगलों का अस्तित्व रह गया। भारत में वन महोत्सव जुलाई 1950 से ही मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत तत्कालीन गृहमंत्री कुलपति कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने की थी।

भारत में 22.7 % पर पाए जाते हैं वन

विश्व वानिकी दिवस का उद्देश्य है कि विश्व के सभी देश अपनी वन-सम्पदा की तरफ ध्यान दें और वनों को संरक्षण प्रदान करें। भारत में भी वन-सम्पदा पर्याप्त रूप से है। भारत में 657.6 लाख हेक्टेयर भूमि (22.7 %) पर वन पाए जाते हैं। इसलिए अब समय आ गया है कि देश की “राष्ट्रीय निधि” को बचाए और इनका संरक्षण करें। हमें वृक्षारोपण (पेड़-पौधे लगाना) को बढ़ावा देना चाहिए। इसके सम्बन्ध में प्रसिद्ध पर्यावरणविद कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने कहा था कि, “वृक्षों का अर्थ है जल, जल का अर्थ है रोटी और रोटी ही जीवन है।

छत्तीसगढ़ राज्य में है सबसे ज्यादा वन-सम्पदा

वर्तमान समय में भारत 19.39 % भूमि पर वनों का विस्तार है और छत्तीसगढ़ राज्य में सबसे ज्यादा वन-सम्पदा है उसके बाद क्रमश: मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य में। भारत सरकार द्वारा सन 1952 ई. में निर्धारित “राष्ट्रीय वन नीति” के तहत देश के 33.3 % क्षेत्र पर वन होने चाहिए। लेकिन वर्तमान समय में ऐसा नहीं है। वन-भूमि पर उद्योग-धंधों तथा मकानों का निर्माण, वनों को खेती के काम में लाना और लकड़ियों की बढती माँग के कारण वनों की अवैध कटाई आदि वनों के नष्ट होने के प्रमुख कारण है।

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