छत्तीसगढव्यापार

कैट के तीखे तेवर से ई-कॉमर्स कम्पनियों ने साधी चुप्पी… कहा- हम DPIIT के सामने रखेंगे बात

रायपुर, 19 जनवरी। ई-कॉमर्स नीति पर वीडियो बैठक DPIIT, वाणिज्य मंत्रालय द्वारा बुलाई गई थी। जिसमें कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने एक मजबूत और स्पष्ट ई-कॉमर्स नीति की मांग की। इस बैठक में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू ने बताया कि दूरसंचार क्षेत्र के लिए नियामक प्राधिकरण ट्राई के आधार पर गठन का प्रावधान होना चाहिए।

व्यापार संगठन के अधिकारियों ने कहा कि कैट निश्चित मानकों के साथ एक अच्छी तरह से परिभाषित ई-कॉमर्स नीति की वकालत करता है। CAIT को खेद है कि सरकार की नाक के नीचे विदेशी वित्त पोषित ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा FDI नीति के प्रेस नोट 2 के स्पष्ट प्रावधानों का बार-बार उल्लंघन किया जा रहा है और अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

छोटे-बड़े सभी व्यापारियों से गैर भेदभावपूर्ण बर्ताव करें

उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स नीति के प्लेटफॉर्म में पारदर्शी संचालन, आसान पहुंच और पर्याप्त शिकायत निवारण तंत्र हो। साथ ही सभी हितधारकों के लिए मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म उपलब्ध हो। सभी गैर-भेदभावपूर्ण वहां तक पहुंच सके, ऐसी व्यवस्था हो। इसमें मूल्य श्रृंखला के बारे में स्पष्ट शर्तें एवं संघर्ष से बचाव के बारे में स्पष्ट नीति होना चाहिए।

CAIT इस पर जांच की करते है पुरजोर वकालत

परवानी और दोशी ने बताया कि CAIT ने देश में व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन करने वाली प्रत्येक वाणिज्य इकाई का पंजीकरण, विक्रेताओं के लिए अनिवार्य और सख्त केवाईसी मानदंड, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के मार्केटप्लेस और इन्वेंट्री मॉडल के बीच स्पष्ट अंतर, निषिद्ध वस्तुओं की बिक्री को अनिवार्य कर दिया है, लेकिन जांच की पुरजोर वकालत करते हैं।

इन वस्तुओं को ई-कॉमर्स की श्रेणी में रखने की मांग

उन्होंने तर्क दिया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, सोशल कॉमर्स, व्हाट्सएप ग्रुप सहित किसी भी डिजिटल मोड के माध्यम से प्रदान की जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं को ई-कॉमर्स की परिभाषा के तहत कवर किया जाना चाहिए। कई वक्ताओं ने अनिवार्य जीएसटी नंबर बाधा को हटाने की आवश्यकता की भी वकालत की, जो छोटे व्यापारियों, कारीगरों, शिल्पकारों, कारीगरों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म में शामिल होने से रोकता है।

 ई-कॉमर्स की चुप्पी से CAIT अचंभित

पारवानी ने जानकारी दी कि आश्चर्यजनक रूप से, इस बैठक में भाग लेने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों ने केवल इतना कहा कि उन्होंने बैठक में उठाई गई चिंताओं को नोट कर लिया है। जिसे डीपीआईआईटी को लिखित रूप में प्रस्तुत करेंगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वे छोटे खुदरा विक्रेताओं, कारीगरों, के सशक्तिकरण से संबंधित विभिन्न गतिविधियों में लगे हुए हैं और उन्होंने अपने-अपने पोर्टल में विभिन्न चैनल खोले हैं। किसी भी ई-कॉमर्स कंपनी ने कैट और अन्य संघों द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन नहीं किया। इस दौरान कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने भी अपने मत रखे।

बैठक में ये बड़ी कम्पनियां थी शामिल

कैट के अलावा इस बैठक में ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसीपीडीएफ़), रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, लघु उद्योग भारती, फेडरेशन ऑफ स्मॉल इंडस्ट्रीज और अन्य ने भाग लिया। जबकि प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियां अमेज़न, फ्लिपकार्ट, टाटा, रिलायंस, उड़ान, पेपरफ्राई, शॉपक्लू, स्नैपडील ने भी बैठक में भाग लिया, जिसकी अध्यक्षता डीपीआईआईटी के अतिरिक्त सचिव अनिल अग्रवाल सहित मंत्रालय के कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button