छत्तीसगढ

निजीकरण का विरोध जारी: बैंक खुले तो अब सरकारी बीमा कंपनियों में हड़ताल, जगह-जगह किया विरोध प्रदर्शन

रायपुर, 17 मार्च। सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण के विरोध में सोमवार से चल रही बैंकों की हड़ताल खत्म हो गई है। आज से सभी सरकारी बैंकों में सामान्य कामकाज शुरू हो गया है। इस बीच सरकारी सामान्य बीमा कंपनियों में हड़ताल हो गई है। सरकारी बीमा कंपनियों के कर्मचारी भी एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण की योजना का विरोध कर रहे हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट में इस योजना का उल्लेख किया था। यह हड़ताल एक दिन की ही है।

कर्मचारी नेताओं ने कहा- निजीकरण से कर्मचारी और उपभोक्ता दोनों का नुकसान

जॉइंट फोरम आफ ट्रेड यूनियन के नेतृत्व में सामान्य बीमा कंपनियों के कर्मचारी-अधिकारी आज हड़ताल पर हैं। छत्तीसगढ़ के रायपुर में कर्मचारियों ने सुबह 10 बजे से ही पचपेड़ी नाका स्थित ओरिएंटल इंश्योरेंस के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। इस दौरान कर्मचारी नेताओं ने कहा, निजीकरण की इस योजना से कर्मचारी और उपभोक्ता दोनों का नुकसान तय है। 11 बजे के बाद पंडरी स्थित यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन शुरू हो गये। इस प्रदर्शन में सामान्य बीमा क्षेत्र की सरकारी कंपनियों ओरिएंटल इंश्यूरेंस, नेशनल इंश्यूरेंस, यूनाइटेड इंडिया इंश्यूरेंस, न्यू इंडिया इंश्यूरेंस कंपनी के कर्मचारी और अधिकारी शामिल हुये।

ऑल इंडिया इंश्यूरेंस एम्पलाईज एसोसिएशन के संयुक्त सचिव धर्मराज महापात्र ने कहा, केंद्र सरकार एक जनरल इंश्यूरेंस कंपनी (सामान्य बीमा कंपनी जो जीवन बीमा से अलग है) का निजीकरण करना चाहती है। हम उसका विरोध कर रहे हैं। सरकार की योजना लागू हो गई तो इन कंपनियों में रखा हुआ लोगों का पैसा निजी हाथों में चला जायेगा। यह किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है। निजीकरण से इन कंपनियों के कर्मचारियों के हित भी प्रभावित होंगे। सेवा सुरक्षा नहीं होगी। सरकारी नौकरियों में कटौती वैसे भी जारी है। निजीकरण के बाद इस क्षेत्र में भी नये लोगों के रोजगार के अवसर बंद हो जाएंगे।

LIC में IPO का भी विरोध

बीमा कर्मियों ने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का हिस्सा बेचे जाने (IPO) का भी विरोध किया है। बीमा कर्मचारियों ने कहा, ऐसा करने से गलत परंपरा की शुरुआत होगी। कंपनी से सरकार का नियंत्रण खत्म होने लगेगा और कंपनी बाजार के जोखिमों के अधीन हो जायेगी। इससे आम उपभोक्ता काे नुकसान होने की आशंका बनी रहेगी। बीमा बाजार में अभी LIC की अकेली हिस्सेदारी 74 प्रतिशत से अधिक है। अगर ऐसा हुआ तो उपभोक्ताओं का भरोसा भी टूटेगा।

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