फर्जी प्रमाण पत्रों का एक माह में परीक्षण कर निराकरण किया जाएगा: भूपेश बघेल
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर छत्तीसगढ़ में नौकरी कर रहे लोगों के मामलों का एक महीने के भीतर परीक्षण करके उनका निराकरण होना चाहिए, जिससे फर्जी प्रमाण पत्र वाले ना नौकरी कर सकें और न अनुचित लाभ ले सकें। मुख्यमंत्री आज विश्व आदिवासी दिवस पर राजधानी रायपुर के इंडोर स्टेडियम में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह को संबोधित कर रहे थे।
Cm ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाने की घोषणा की है। राज्य सरकार द्वारा पहली बार इस दिवस पर शासकीय अवकाश घोषित किया गया है। यह जनभावना को सम्मान देने की घोषणा है। आज पूरे प्रदेश में विश्व आदिवासी दिवस पर जश्न का माहौल है। जगह-जगल समारोह में आदिवासी समाज एकजुटता का प्रदर्शन कर रहा है। उन्होंने कहा कि सुराजी योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी की विकास की गुंज अब विदेशों में भी होने लगी है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि अब छत्तीसगढ़ में आदिवासी की जमीन कोई दूसरा नहीं खरीद सकेगा। राज्य सरकार ने पूर्व में आदिवासियों की सहमति से जमीन खरीदने के संबंध में बनाए गए कानून को समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब आदिवासियों को उनके जल, जंगल और जमीन के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकेगा। आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार दृढ़ संकल्पित है।
आदिम जाति अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने समारोह की अध्यक्षता की। उद्योग मंत्री कवासी लखमा, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, नगरीय विकास मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, विधायक मोहन मरकाम, शिशुपाल सोरी, विनय भगत, पूर्व मंत्री सुश्री लता उसेंडी और श्रीमती गंगा पोटाई, पूर्व विधायक गुलाब सिंह, श्रीमती अम्बिका मरकाम विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। अपर मुख्य सचिव सी.के.खेतान भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
2 अक्टूबर से शुरू होगा कुपोषण व एनीमिया मुक्त अभियान
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी 2 अक्टूबर से छत्तीसगढ़ को कुपोषण से मुक्त करने के लिए प्रदेश के सभी आंकाक्षी जिलों में कुपोषण और एनीमिया से मुक्ति के लिए अभियान प्रारंभ की किया जाएगा। इस अभियान के तहत अगले तीन वर्षों में 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की बेटियों और महिलाओं को एनीमिया से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ऐसे बच्चों और महिलाओं को प्रतिदिन निःशुल्क गरम पौष्टिक भोजन प्रदान किया जाएगा।
अब आदिवासियों की जमीन कोई दूसरा नहीं खरीद सकेगा
cm ने कहा कि अभी तक आदिवासियों की जमीन छीनने का काम होता रहा है, छत्तीसगढ़ की सरकार देश और दुनिया की ऐसी पहली सरकार है, जिसने उद्योगपतियों से आदिवासी किसानों की जमीन वापस लेकर उन्हें लौटाई। बस्तर के लोहंडीगुड़ा क्षेत्र में 10 गांवों के 17 किसानों को 4200 एकड़ भूमि लौटाई गई है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की वजह से ही आज जंगल बचे हैं। वनों का प्रबंधन आदिवासी ही बेहतर ढंग से कर सकते हैं, इसीलिए राज्य सरकार वनवासियों को सामुदायिक वन अधिकार के पट्टे दे रही है। आज कोण्डागांव में 10 वनवासियों को 2000 एकड़ में सामुदायिक अधिकार के पट्टे दिए गए हैं। उन्होंने समारोह में सम्मानित विद्यार्थियों की और मुखातिब होकर कहा कि बड़ी संख्या में हमारे आदिवासी बच्चे आई.आई.टी. और एम.बी.बी.एस. के लिए चयनित हुए है। बच्चों में मेधा की कमी नहीं है, जरूरत उन्हें अवसर उपलब्ध कराने की है। आदिवासियों को सबसे बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की सुविधा मिलनी चाहिए और उनके अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए। राज्य सरकार इस दिशा में काम कर रही है। जगरगुण्डा में 13 वर्षों से बंद हाईस्कूल का लोकार्पण हुआ और सुकमा में बंद 85 स्कूल प्रारंभ हुए।
श्री बघेल ने कहा कि जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया का भी सरलीकरण करते हुए यदि पिता के पास जाति प्रमाण पत्र है तो बच्चे को भी जन्म पर ही जाति प्रमाण पत्र देने का काम प्रदेश में शुरू कर दिया है। युवाओं को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए लघु वनोपज, मेडिसनल प्लांट और उद्यानिकी पर आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में तेन्दूपत्ता संग्रहण की दर सर्वाधिक 4000 रूपए प्रति मानक बोरा दी जा रही है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आदिम जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि किसानों से अधिग्रहित भूमि वापसी का राज्य सरकार का फैसला इतिहास में स्वर्ण अक्षर में दर्ज होगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने विभिन्न आदिवासी विकास प्राधिकरणों में स्थानिय आदिवासी विधायकों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में काम करने का सम्मान दिया है। उन्होंने आदिवासियों के कल्याण हेतु लिए गए निर्णयों का उल्लेख किया। समारोह को उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत, नगरीय विकास मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, विधायक श्री मोहन मरकाम ने भी सम्बोधित किया। आदिम जाति विकास विभाग के सचिव श्री डी.डी. सिंह ने स्वागत भाषण दिया। श्री जी.एस. धनंजय ने समाज का मांग पत्र पढ़ा। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर आदिवासियों के अधिकारों पर प्रकाशित पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष बी.पी.एस. नेताम सहित डॉ. शंकर लाल उइके, सर्वश्री कुंदन सिंह ठाकुर, एच.के. सिंह, नवीन कुमार भगत, समाज के अनेक पदाधिकारी, अनेक प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के नागरिक उपस्थित थे।