छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रस्तुत नगर पालिका निगम संशोधन विधेयक का बृजमोहन ने किया पुरजोर विरोध, कहा- रुकेगा विकास
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में सरकार द्वारा प्रस्तुत छत्तीसगढ़ नगर पालिका निगम संशोधन विधेयक का पूर्व मंत्री एवं रायपुर दक्षिण विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने पुरजोर विरोध किया। उन्होंने सरकार पर जनता के अधिकारों के हनन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जनता को अध्यक्ष व पार्षद, महापौर व पार्षद के लिए उद्योग वोट देने का अधिकार रहा है परंतु राज्य सरकार जनता के अधिकार को कम कर रही है। सदन को चाहिए कि जनता के अधिकारों को सुरक्षित रखें।
बृजमोहन ने कहा कि यह विधेयक पहले राष्ट्रपति को भेजकर उनसे अनुमति लेना चाहिए। उसके बाद उसे यहां सदन पर प्रस्तुत किया जाना चाहिए।चूंकि जनता के अधिकारों में कमी की जा रही है इसलिए हम चाहेंगे कि विधेयक को प्रस्तुत करने के पहले इसके ऊपर पूरी समीक्षा व चर्चा होनी चाहिये तथा प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अधिकारों के हनन के विषय पर प्रदेश की जनता आक्रोशित है। साथ ही उन्होंने कहा कि इसमें कोई दल बदल कानून लागू नहीं होगा। हॉर्स राइडिंग होगी। खरीद-फरोख्त होगा। जो भी महापौर व अध्यक्ष होगा उसे काम करने में दिक्कत होगी व पार्षदों के दबाव में हमेशा रहेगा।
बृजमोहन ने कहा कि पूरे छत्तीसगढ़ में 143 से ज्यादा स्थानीय संस्थाएं है। चूंकि हमारा प्रदेश नया बना है इसलिए यहां विकास की बहुत संभावनाएं हैं। अगर महापौर-अध्यक्ष का अधिकार संपन्न नहीं होगा तो शहरों का विकास, कस्बों का विकास, नगर पंचायतों का विकास पूरी तरह से रुक जाएगा। इसलिए छत्तीसगढ़ प्रदेश के हित में है कि इस विधेयक की पुनर्स्थापना को रोका जाये।
बृजमोहन ने यह पूछा कि सदन में यह विधेयक कब पेश हुआ ? एक महीने पहले सरकार ने केबिनेट में लाकर संशोधन , अध्यादेश जारी कर दिया। परंतु विधान सभा का सत्र शुरू होने से पहले उस अध्यादेश को विधेयक का रूप देने के लिए सूचना विधान सभा में नहीं आयी और विधान सभा का सत्र आहूत करने के बाद इसकी तारीखें घोषित होती हैं । यह विधान सभा की अवमानना है । विधान सभा का अपमान है। की उसका कार्यक्रम जारी होता है । अध्यादेश जारी होने या विधेयक पास होने के पहले विधेयक विधान सभा में प्रस्तुत हो जाना चाहिए था । पास होता उसके बाद उसकी तारीखें जारी करनी थी । दो दिन बाद जारी करते । तीन दिन बाद जारी करते ।
बृजमोहन ने विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत से कहा कि हम चाहेंगे कि इस विधेयक को प्रस्तुत होने से पहले आपकी तरफ से रोक लगायी जानी चाहिए और जब यह रोक लगेगी तो छत्तीसगढ़ की विधान सभा का एक उज्जवल इतिहास बनेगा और किसी विधान को पास करने के लिए छत्तीसगढ़ की विधान सभा में बहस होती है । सदन गभीर रहता है। यह चर्चा पूरे देश में जायेगी ।