छत्तीसगढ

अब आदिवासियों की जमीन पर लगे पेड़ों को कटाने के लिए आसानी से अनुमति मिलेगी

रायपुर, 17 जुलाई। छत्तीसगढ़ सरकार ने शुक्रवार को प्रदेश के आदिवासियों और उनके इलाकों से जुड़ा अहम फैसला लिया है। इसके तहत अब आदिवासियों की जमीन पर लगे पेड़ काटने के लिए अनुमति SDM स्तर के अफसरों से मिलेगी। इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि कटे हुए पेड़ की निलामी हो और उससे मिलने वाली रकम आदिवासियों को मिले। इसके लिए अधिनियम में संशोधन की अनुशंसा हुई है। अब अनुविभागीय अधिकारी दो महिने के भीतर की समय-सीमा में इसकी अनुमति देंगे। ये फैसला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई छत्तीसगढ़ जनजाति सलाहकार परिषद की बैठक में लिया गया है।

करियर की भी चिंता
इसके अलावा एक बड़ा फैसला आदिवासी इलाकों के बच्चों के करियर से जुड़ा है। मेडिकल और इंजीनियरिंग के कॉम्पटेटिव एग्जाम की तैयारी करने के लिए बनाए गए प्रयास हॉस्टल्स में अब अब प्रदेश के सभी अनुसूचित क्षेत्रों के बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा। अब तक यहां बस्तर के खासकर नक्सल प्रभावित इलाकों के बच्चों को ही एडमिशन दिया जाता रहा है। इसके अलावा यह भी फैसला किया गया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सरगुजा में ‘‘परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्र‘‘ शुरू किए जाएंगे। बैठक में ये भी कहा गया है कि विशेष पिछड़ी जनजातियों के शिक्षित युवाओं की सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया पर जोर दिया जाएगा।

सीएम की मौजूदगी में हुए ये निर्णय

  • पेड़ों की कटाई के लिए अब नया नियम बनेगा। इसके तहत वृक्ष काटने की अनुमति के लिए आवेदन अनुविभागीय अधिकारी को देना होगा। मौके का मुआयना पटवारी और रेंजर द्वारा किया जाएगा। वृक्ष की कटाई और नीलामी की कार्यवाही होगी। आदिवासी के बैंक खाते में पैसे जमा करवाए जाएंगे। सरकार का मानना है कि इससे अवैध कटाई पर रोक लगेगी।
  • यह भी सुझाव दिया गया कि क्रेडा लोगों की जमीन पर सिंचाई के लिए सोलर पम्प लगाएगी। फलदार प्रजातियों जैसे हर्रा, बेहड़ा, आंवला, महुआ, बांस, आम, इमली, चिरौंजी, नींबू के पौधे भी लगेंगे।
  • आदिवासी बाहुल इलाके में जिमीकंद, हल्दी, तिखुर जैसी फसलों की ट्रेनिंग, पात्र लोगों को वन अधिकार पट्टे दिलाने, नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में गांवों का सर्वे कर ग्रामीणों को शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने, भुईंया पोर्टल में जमीनों का रिकॉर्ड रखने जैसी बातें तय हुईं।
  • प्रयास हॉस्टल में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के स्टूडेंट रहते हैं। इस वक्त नक्सल प्रभावित 9 जिलों के बच्चों को यहां सुविधा मिलती है। अब सभी अनुसूचित क्षेत्र के 25 जिलों के बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा। नक्सल पीड़ित परिवारों के बच्चों प्रयास हॉस्टल के लिए एंट्रेंस एग्जाम नहीं देना होगा। सरगुजा में ‘‘परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्र‘‘ शुरू होंगे।
  • मरवाही के धनौली में कक्षा 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के लिए छात्रावास और एक कन्या छात्रावास की स्वीकृति तथा विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों को बकरी पालन, मुर्गी पालन, सुअर पालन, गाय पालन के लिए शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री मदद का भरोसा दिया।

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