छत्तीसगढ़ में सूखे का संकट खत्म, प्रदेश में 20 सितंबर तक 1048 मिमी बारिश हुई
रायपुर, 21 सितंबर। पिछले दो सप्ताह से हो रही मूसलाधार बरसात ने छत्तीसगढ़ में सूखे का संकट खत्म कर दिया है। प्रदेश में एक जून से अब तक 1 हजार 48 मिलीमीटर बरसात हो चुकी है। यह पिछले 10 साल की औसत बरसात से केवल 4 प्रतिशत कम रह गई है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक जून से 20 सितम्बर तक यहां औसतन 1 हजार 95.9 मिलीमीटर बरसात होती है। 10 जिलों में तो औसत बरसात का कोटा पार हो चुका है।
मौसम विभाग के मानकों के मुताबिक सुकमा जिले में सामान्य से बहुत अधिक पानी बरसा है। 22 जिलों में बारिश सामान्य है। वहीं 4 जिले अभी भी कम बारिश की समस्या से जूझ रहे हैं। सामान्य बरसात की तुलना से देखें तो सुकमा, बेमेतरा, कबीरधाम, सूरजपुर, बिलासपुर, मुंगेली, कोरबा, नारायणपुर, दुर्ग और बलौदा बाजार – भाटापारा जिलों में बरसात का कोटा पार हो चुका है। सरगुजा, जशपुर, कांकेर और रायगढ़ में सामान्य से बहुत कम बरसात हुई है।
मौसम विभाग के मुताबिक सितम्बर तक मानसून का असर कम होने लगता है। इस महीने में सामान्य तौर पर कुल 9 से 10 दिन ही बरसात होती रही है। इस महीने में औसतन 200 मिमी पानी बरसता है। पिछले वर्ष यानी सितम्बर 2020 में केवल 92.3 मिमी पानी बरसा था। पिछले 10 वर्षों के दौरान सितम्बर में सबसे अधिक बरसात 2019 में हुई। उस वर्ष 492.8 मिमी बरसात दर्ज हुई थी। 2016 में 393.7 और 2011 में 354.2 मिमी बरसात का रिकॉर्ड है।
आज रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर संभाग में भारी बारिश की संभावना
रायपुर मौसम केंद्र के मुताबिक आज प्रदेश के अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। कुछ स्थानों पर भारी वर्षा होने की संभावना भी बन रही है। इस दौरान गरज-चमक के साथ बिजली गिरने की भी संभावना है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक भारी वर्षा का क्षेत्र मुख्यतः रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर संभाग रहने की संभावना बनी हुई है।
छत्तीसगढ़ में बरसात का माहौल बना रहे ये मौसमी तंत्र
रायपुर मौसम विज्ञान केंद्र के विज्ञानी एचपी चंद्रा ने बताया, पूर्वी राजस्थान और उसके आसपास करीब 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक ऊपरी हवा का चक्रवाती घेरा फैला हुआ है। गंगा के तटवर्ती पश्चिम बंगाल के ऊपर भी ऐसा ही एक चक्रीय चक्रवाती घेरा बना हुआ है। इस बीच मानसून द्रोणिका, बीकानेर, कोटा, नवगांव, गया, कोलकाता और उसके बाद दक्षिण-पूर्व की ओर उत्तर-पूर्व बंगाल की खाड़ी तक बनी हुई है। इनका प्रभाव छत्तीसगढ़ की बरसात पर पड़ेगा।