दिल्लीवासियों को भाया मिट्टी के बर्तन, कहा-इस रूप में देखना एक अद्भुत अनुभव
रायपुर। नई दिल्ली स्थित छत्तीसगढ़ के शबरी एम्पोरीयम में चल रही प्रदर्शनी में उपलब्ध टेरकोटा के बर्तनों के प्रति दिल्लीवासियों में काफी उत्साह हेै। लगातार बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन के कारण ही सही, लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सजग किया हैे। यही कारण है कि अब माटी के बर्तनों का उपयोग होना शुरू हो गया है।
दैनिक चीजों को मिट्टी रूप में देखना अद्भुत अनुभव
पर्यावरण अनुकूल लोगों में दैनिक जीवन में उपयोग मिट्टी से तैयार की गई वस्तुओं का इस्तेमाल बढ़ते देखे जा रहे हैं। यहीं कारण है कि इन दिनों छत्तीसगढ़ की टेराकोटा वस्तुओं के प्रति दिल्लीवासियों का आकर्षण देखने को मिला। इस प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड के स्टॉल में कुम्हारों द्वारा तैयार किए गए माटी के बर्तनों को रखा गया है। मिट्टी के बर्तनों की ऐसी कलाकृतियां हैं कि देखने वालों के मुंह से निकल ही जाता है वाह क्या बात है। यहां मिट्टी का गिलास, कटोरी, मिट्टी का चम्मच, मिट्टी की थाली सहित अन्य वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई है।
विज्ञान ने भी माना पर्यावरण के लिए वरदान
पर्यावरण प्रेमियों, जानकारों के अलावा अब तो विज्ञान भी मानता है कि मिश्रित धातु या प्लास्टिक के बर्तनों में भोजन-पानी ग्रहण करना बीमारियों को जन्म देने वाला है। इन बर्तनों की खासियत है कि इन्हें नियमित उपयोग के साथ धोया जा सकेगा, ताकि इनका बार-बार उपयोग किया जा सके। इस प्रदर्शनी में आये एक खरीददार ने कहा कि मिट्टी के बर्तन हमेशा मुझे आकर्षित करते थे लेकिन पहले मैं खरीदने में संकोच कर रहा था क्योंकि इसमें कुछ अशुद्धियाँ हो सकती हैं। मुझे खुशी है कि अब मैं इन वस्तुओं को खरीद सकता हूं क्योंकि छत्तीसगढ़ के टेराकोटा के उत्पाद प्रमाणित राज्य बोर्ड के माध्यम से आते है।
मिट्टी बर्तनों का इतिहास
प्राचीन इतिहास की चीजों को खुदाई के दौरान यह पाया गया कि हड़प्पा युग में छत्तीसगढ़ में लोग टेराकोटा की दीवारों और टाइलों का उपयोग करके घर बनाते थे। टेराकोटा मिट्टी के बर्तन छत्तीसगढ़ में आदिवासी जीवन के रीति-रिवाजों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनकी भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। हड़प्पा युग में भी छत्तीसगढ़ में लोग टेराकोटा की दीवारों और टाइलों का उपयोग करके घर बनाते थे।