छत्तीसगढ

आज का चैत्र नवरात्र इतिहास में रहेगा अमर, न तो भक्तों का समागम और न ही पुजारियों की भीड़ – बस सब कुछ हुआ नमो नमो

रायपुर। राजधानी 25 मार्च 2020 की चैत्र नवरात्र का दिन इतिहास में दर्ज हो गया, जहां शहर के विभिन्न दुर्गा मंदिरों में तड़के ही सिर्फ आरती और ज्योति कलश की स्थापना करने के बाद मंदिरों के पट बंद करना पड़ा। निःसन्देह इससे न सिर्फ मंदिरों के पुजारी बल्कि करोडों भक्तों के मन में एक टीस है।

कोरोना वायरस का सक्रमण लोगों के जीवन को जैसे एक जगह ठहरा दिया है। इस चैत्र नवरात्र पर जहां मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता थामाता के भक्त सुबह से शाम तक देवी मंदिरों में दर्शन के लिए कतार लगाए खड़े रहते थे, वहीं आज मंदिरों का परिसर सुना पड़ा है। बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण और लॉकडाउन को मद्देनजर रखते हुए मंदिरों में श्रद्दालुओं के आने पर रोक लगाई गई है, जिससे लोग संक्रमण से बच सके और सुरक्षित रहे। शहर के प्रतिष्ठित सभी छोटे-बड़े मंदिरों में पुजारियों ने नाममात्र पूजा अर्चना कर पट बन्द कर दिया, ताकि भक्तगण भीड़ न कर सके। इस दौरान महामाया मंदिर में परंपरागत तरीके से पूजा पाठ के बाद 7 ज्योति कलश स्थापित की गई है। इसी तरह आकाशवाणी काली माता मंदिर में 51 और बंजारी माता मंदिर में 21 ज्योति कलश स्थापित किए गए हैं। मंदिर प्रबंधन ने सभी श्रद्धालुओं से मंदिर नहीं आने की अपील की है।

आज का चैत्र नवरात्र इतिहास में अमर हो गया। भक्तगण मंदिरों में पूजा अर्चना नहीं कर पाया, न ही हवन हो पायेगा और न ही उपवासी दिनभर उपास रहकर शाम को मंदिर जाकर पूजा कर पायेगा। ये कैसी विडंबना है, जब हर इंसान घर में कैद होकर रह गया। एक कोरोना वायरस का जहर इतना विषाक्त हो गया कि पूरी दुनियां उसके सामने नतमस्तक हुआ। खैर, ये वक़्त भी निकल जायेगा पर आज का दिन इतिहास में हमेशा हर कोई याद रखेगा। जब भी फिर चैत्र नवरात्र का पर्व आएगा, इस दिन को याद कर हर कोई एक बार सिहर उठेगा।

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