छत्तीसगढ

एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में ओपन हार्ट सर्जरी से मिला महिला मरीज को नया जीवन, स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव ने एसीआई पहुंच जाना मरीज का कुशलक्षेम

रायपुर, 20 जनवरी। पं. जवाहर लाल नेहरु स्मृति चिकित्सालय से संबंद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में हुई ओपन हार्ट सर्जरी उत्तरप्रदेष की महिला के लिये किसी वरदान से कम साबित नहीं हुई। सही समय पर ओपन हार्ट की सर्जरी की सुविधा मिल जाने से महिला को दिल की गंभीर बीमारी से हमेशा के लिये छुटकारा मिल गया। एसीआई के हार्ट, चेस्ट एंड वैस्कुलर सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू के नेतृत्व में एवं हार्ट, चेस्ट एंड वैस्कुलर सर्जन डॉ. निशांत सिंह चंदेल के सहयोग से संपन्न हुये इस ओपन हार्ट सर्जरी के बाद महिला अभी स्वस्थ्य है एवं डिस्चार्ज लेकर घर जाने को तैयार है।

प्रदेश के किसी भी शासकीय संस्थान की यह पहली ओपन हार्ट सर्जरी है। यही वजह है कि इस उपलब्धि को यादगार बनाने के लिये स्वास्थ्य मंत्री श्री टी. एस. सिंहदेव ने आज एसीआई पहुंचकर ओपन हार्ट सर्जरी के बाद स्वस्थ्य हुई महिला का कुशलक्षेम जाना और समस्त डॉक्टरों, नर्सिंग स्टॉफ एवं टेक्नीशियन की टीम को बधाई देकर हौसलाअफजाई की।

बेहतर इलाज के लिये किया छत्तीसगढ़ का रूख

हार्ट, चेस्ट एंड वैस्कुलर सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू बताते हैं कि समस्त प्रदेशवासियों को शासकीय संस्थान में होने वाले ओपन हार्ट सर्जरी का बेसब्री से इंतजार था और 14 जनवरी, मकर संक्रांति का दिन वह शुभ घड़ी भी लेकर आई। 42 वर्षीय महिला मरीज के हृदय में जन्मजात छेद था। किसी कारणवश महिला को पता नहीं चल पाया था लेकिन विगत कुछ महिनों से सांस लेने में दिक्कत होने लगी। उत्तरप्रदेश में डॉक्टरों को दिखाया तो पता चला कि दिल में छेद है। आर्थिक अभाव के कारण महिला निजी अस्पतालों में अपने दिल का इलाज नहीं करा सकीं तो उन्होंने छत्तीसगढ़ का रूख किया। एसीआई के सीटीवीएस विभाग में उन्हीं दिनों ओपन हार्ट सर्जरी की सुविधा की शुरूआत करने की तैयारी चल रही थी। उसी समय महिला एसीआई के सीटीवीएस विभाग पहुंची और यहां उनकी जांच हुई जिसमें महिला के दिल का जन्मजात छेद 5X3 सेंटीमीटर का पाया गया। इस बीमारी को चिकित्सीय भाषा में एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट कहते हैं। पूरी तैयारी के साथ 14 जनवरी गुरुवार को मरीज की ओपन हार्ट सर्जरी की गई। लगभग साढ़े तीन घंटे में महिला की ओपन हार्ट सर्जरी हुई। वेंटीलेटर में 6 घंटे तक रखने के बाद वेंटीलेटर निकाल लिया गया। उसके बाद मरीज की स्थिति स्थिर हो गई।

हार्ट सर्जन के साथ ही हार्ट लंग मशीन, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट एवं परफ्यूजनिस्ट की भूमिका अहम

हार्ट, चेस्ट एंड वैस्कुलर सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू बताते हैं कि जब किसी भी मरीज की हार्ट सर्जरी होती है तो हार्ट और फेफड़े को बंद कर दिया जाता है। बंद होने के बाद हार्ट और फेफड़े का काम हार्ट लंग मशीन करता है। इस हार्ट लंग मशीन की मदद से हार्ट की सर्जरी के दौरान ऑक्सीजन युक्त रक्त को पूरे शरीर में प्रवाहित किया जाता है जिससे मरीज के अंगों का संचालन सामान्य तरीके से होता रहे।
हार्ट के मरीज को बेहोश करना एवं बेहोशी के दौरान जब मरीज हार्ट लंग मशीन में रहता है तब शरीर को सुचारु रूप से दवाओं के माध्यम से अंगों को चलाने का काम कार्डियक एनेस्थेटिस्ट का रहता है। बाइपास सर्जरी के समय सर्जन के आवश्यकतानुसार हृदय की पम्पिंग को या हार्ट बीट को कब तक रोककर रखना है, यह भी कार्डियक एनेस्थेटिस्ट एवं परफ्यूजनिस्ट की मदद से ही संभव हो पाता है।

ऐसे हुई ओपन हार्ट सर्जरी

सबसे पहले कार्डियक एनेस्थेटिस्ट की मदद से मरीज को बेहोश (एनेस्थेसिया) किया गया। उसके बाद छाती को खोला गया। छाती को खोलकर हार्ट के अंदर बहुत सारे ट्यूब लगाये गये जिसको हार्ट लंग मशीन से कनेक्ट किया गया। फिर परफ्यूजनिस्ट की मदद से हृदय की धड़कन एवं फेफड़े को रोका गया। रोकने के बाद शरीर में हार्ट लंग मशीन की मदद से रक्त का प्रवाह जारी रखा गया जिससे हार्ट एवं फेफड़े के बंद होने की स्थिति में भी अन्य सभी वाइटल आर्गन (मस्तिष्क, किडनी, लिवर, स्प्लिीन इत्यादि) सुचारु रूप से कार्य करते रहें। हार्ट में चीरा लगाकर राइट एट्रियम(दायां आलिंद) को खोला गया। लेफ्ट और राइट एट्रियम के बीच में एक दीवार होती है, जो इस मरीज के दिल में नहीं थी जिसकी वजह से मरीज की सांस फूलती थी, एक विशेष प्रकार के मटेरियल डीवीडी पैच की मदद से उस दीवार को बनाकर छेद को बंद किया गया। छेद को बंद करके पुनः हृदय को वापस बंद कर दिया गया। फिर से कार्डियक एनेस्थेटिस्ट एवं परफ्यूजनिस्ट की मदद से हार्ट को पुनः चालू किया गया। जैसे ही हृदय और फेफड़ा सामान्य रूप से काम चालू करना शुरू कर दिया, हार्ट लंग मशीन को बंद कर दिया गया। ट्यूब को हार्ट के अंदर से निकाल लिया गया। मरीज के छाती के स्टर्नम को स्टील वायर से बंद कर दिया गया।
चिकित्सीय भाषा में इस सर्जरी को ए. एस. डी. क्लोजर विद डीवीडी पैच कहते हैं।

विश्वस्तरीय मशीन एसीआई में
स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव ने इस शुभ अवसर पर सबको बधाई देते हुए कहा कि अभी तो यह शुरूआत है। इस सुविधा को और आगे तक ले जाना है। हमारे डॉक्टर्स, हमारे सभी फैकल्टी बधाई के पात्र हैं। कई बार बात आती है कि सरकारी अस्पतालों की सुविधाओं कि तो यहां कई विश्वस्तरीय मशीनें हैं। भविष्य में एसीआई में बिस्तरों का उन्नयन भी होगा। वे सभी सेवायें जो दिल्ली, बैंगलूरू, हैदराबाद जैसे महानगरों में हैं वे सभी सेवायें भविष्य में यहां उपलब्ध होंगी। विशेष रूप से आर्थिक तौर पर कमजोर तबके के लोगों को बाहर जाकर इलाज कराने की आवश्यकता नहीं होगी।

*टीमवर्क से सफल एवं संभव हुई सर्जरी*
हार्ट, चेस्ट एंड वैस्कुलर सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू बताते हैं कि विगत वर्षों के अथक परिश्रम के बाद स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव एवं अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्रीमती रेणु जी पिल्ले, स्वास्थ्य सचिव के लिंक ऑफिसर आर. प्रसन्ना, कुलपति आयुष विवि डॉ. ए. के. चंद्राकर, चिकित्सा शिक्षा संचालक डॉ. आर. के. सिंह, अधिष्ठाता डॉ. विष्णु दत्त, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनित जैन, सीजीएमएससी के पूर्व डायरेक्टर सी. आर. प्रसन्ना एवं वर्तमान डायरेक्टर कार्तिकेय गोयल के अथक सहयोग की मदद से ही प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय चिकित्सा संस्थान में ओपन हार्ट सर्जरी का सपना साकार हुआ। इसमें एसीआई विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव मेरे सहयोगी सीटीवीएस सर्जन डॉ. निशांत सिंह चंदेल, एनेस्थेसिया विभागाध्यक्ष डॉ. के. के. सहारे, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जोगेश विशनदासानी, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुलभ चंद्राकर, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ. वरूण सिंह, एनेस्थेसिया टेक्निशियन भूपेंद्र चंद्रा, नर्सिंग स्टॉफ राजेंद्र साहू, नरेंद्र एवं कैटरीना, परफ्यूजनिस्ट संदीप जांगिड़ एवं डिगेश्वर का विशेष सहयोग रहा।

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