छत्तीसगढ

कांग्रेस सरकार आदिवासियों को बांटने के बजाय कुंडली मार बैठी है: बृजमोहन अग्रवाल

रायपुर, 20 जुलाई। भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार ने गरीब आदिवासियों के बोनस के 597 करोड़ व समितियों के लाभांश के 432 करोड़ रूपये पर डाका डाला है। आदिवासी बंधुओं के हक की, उनकी मेहनत की कमाई 1000 करोड़ से अधिक राशि को उन्हें वितरित करने के बजाय दबा रखी है। गरीब तेंदूपत्ता संग्राहक एवं समितियां दाने-दाने को मोहताज है, कोरोना काल में लोगों के पास काम नहीं है, पैसा नहीं है और सरकार उनके पैसो पर कुंडली मारे बैठी है और ब्याज खा रही है। उन्होंने सरकार से सीधे प्रश्न किया है कि क्या संग्राहको को बोनस एवं लाभांश देना है? कितना देना है? क्या यह राशि 1000 करोड़ से ऊपर बैंक में जमा कर रखा गया है? तो क्यों उन्हें नही दिया जा रहा है।
श्री अग्रवाल ने तेंदूपत्ता श्रमिकों के बीमा के बंद होने के पीछे कांग्रेस पार्टी व प्रदेश सरकार का हाथ होना बताते हुए कहा कि कांग्रेस ने वोट लेने के बाद मासूम आदिवासी जनता के साथ छल किया है। कांग्रेस योजना चालू नहीं कर पाने के लिए केन्द्र सरकार को दोषी बता रही है, जो एकदम असत्य व गलत है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ पुरानी योजना में शामिल था, परन्तु छत्तीसगढ़ सरकार ने जानबूझकर समय रहते समय पर इसका नवीनीकरण नहीं करवाया है। राज्य सरकार ने अपने हिस्से की राशि अंश नहीं दी इसलिए छत्तीसगढ़ के गरीब आदिवासी तेंदूपत्ता संग्राहक बीमा से वंचित हुए है। राज्य सरकार की अक्षम्य लापरवाही के चलते ही प्रदेश के लाखों तेंदूपत्ता संग्राहक बड़ी सुविधा व सुरक्षा से वंचित किया है। बीमा निगम के लगातार आग्रह व पत्राचार के बाद भी राज्य सरकार ने लापरवाही करते हुए बीमा नहीं करवाया। श्री अग्रवाल ने राज्य सरकार द्वारा तेंदूपत्ता श्रमिकों के लिए श्रम विभाग द्वारा लागू किए जा रहे योजनाओं को नाकाफी बताते हुए कहा कि श्रम विभाग की योजनाएं ‘सहायता योजना’ है जबकि ‘‘बीमा-सुरक्षा योजना’’ है। सहायता योजना शासन के परिस्थितियों पर निर्भर है जबकि बीमा योजना विधि अधिनियम अनुसार संचालित है जिसमें बीमित को संवैधानिक संरक्षण है। उन्होंने प्रश्न खड़ा करते हुए कहा कि नवीनीकरण के चलते बीमा नहीं होने के कारण अभी तक घटित घटनाओं पर पीड़ित संग्राहकों का क्या होगा ? सरकार जवाब क्यों नहीं देती।
श्री अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस आदिवासी हितों को कुचलकर, मिथ्या दोषारोपण में लगी हुई है। तेंदूपत्ता संग्राहको की बीमा की योजना छत्तीसगढ़ में पुरानी योजना है। छत्तीसगढ़ के सभी संग्राहकों की वर्ष 2018 में बीमा हो चुका था। 1 जून 2019 को उसका सिर्फ नवीनीकरण होना था। परन्तु राज्य सरकार ने न ही अपना अंश दिया और न ही संग्राहकों का डाटा सूची तैयार कर बीमा कंपनी को उपलब्ध कराया गया। 5 माह पूरी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। अपर प्रबंध संचालक द्वारा क्र./वनो/संघ/बीमा/2019/9645, दिनांक 10/10/2019 को लिखे गए पत्र इस बात का प्रमाण है कि विभाग के पास योजना के लिए योग्य संग्राहकों का डाटा ही उपलब्ध नहीं था। इसी प्रकार बी. आनंद बाबू, अपर प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ नया रायपुर का पत्र क्र./वनो/संघ/बीमा/2020/4756, दिनांक 19-05-2020 का पत्र इस बात का प्रमाण है कि विभाग के पास वर्तमान में भी डाटा नहीं है, जिसके अनुसार बीमा करवाया जा सके। यह सरकार की घोर लापरवाही नहीं तो क्या है। श्री अग्रवाल ने सवाल किया है कि तेंदुपत्ता संग्रहको की बीमा नवीनीकरण की अंतिम तारीख क्या थी? और सरकार ने उस तारीख तक नवीनीकरण क्यों नही करवाया? कौन दोषी है? दोषी के ऊपर क्यो कार्यवाही नही की गई? श्री अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार को 1 जून 2019 को तेंदूपत्ता संग्राहकों के बीमा का नवीनीकरण करवाना था पर सरकार हीला हवाला करती रही। तेंदूपत्ता संग्राहकों का बीमा सिर्फ नवीनीकरण नहीं करवाने के कारण बंद हुई है और इसके लिए कोई दोषी है तो कांग्रेस की राज्य सरकार ही है।

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