छत्तीसगढ

किसानों के बारदाने में धान खरीदे सरकारः बृजमोहन

रायपुर, 10 जनवरी। भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य सरकार से मांग की है कि प्रदेश के किसानों को खुद उनके ही बारदाने में धान खरीदी का पूर्ववत आदेश दिया जाए क्योंकि इससे प्रदेश के अन्नदाता किसोनों को प्रति एकड़ हजारों रुपयों का घाटा हो रहा है। वर्तमान में मात्र 20 दिन सरकारी धान खरीद के बचे हैं और किसान धान बेचने के लिए अपने बारदाने का स्टाक बाजार से ऊंचे दर पर खरीद चुके है।

श्री अग्रवाल ने कहा कि पहले आदेश जारी किया गया था कि किसान अपने बारदाने में धान लाएंगे तो पचास से पच्चीस प्रतिशत उन्हीं किसानों से धान खरीदी की जाएगी। चूकि धान बेचने का समय कम था इसलिए आनन-फानन में किसानों ने बाजार से ऊचें दर पर बारदाना खरीद लिया है।

इसके बाद सरकारी बारदानों की व्यवस्था होने पर जिला सहकारी बैंक के अधिकारियों ने आदेश पारित किया है कि किसानों को अपने बारदाने में धान लाने की जरूरत नहीं है। लेकिन तब तक किसानों ने बारदाना खरीद लिया है अगर बारदाने का औसत बाजार मूल्य चालिस रुपए आंका जाए तो प्रति किसान प्रति एकड़ उपज बेचने पर हजारों रुपयों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह किसान को सरकार की अव्यवस्था के कारण होने वाला नुकसान है।

वैसे भी इतना बारदाना किसान के किसी काम का नहीं होगा और एक साल बाद वह सड़ जाएगा। उसके ऱखरखाव में भी श्रम लगेगा और उसका पैसा भी जाम हो जाएगा।

इसके अलावा इतने बारदाने का किसान आखिर क्या करेगा? ज्ञात है कि 31 जनवरी तक ही धान खरीदी होना है और अभी तक तेईसलाख किसानों में से मात्र ग्यारह-बारह लाख किसान ही अपनी उपज बेच पाए हैं। अगर सरकारी खरीद के समय की बात करें तो सरकारी छुट्टी को छोड़ कर मात्र दस दिन ही बचते हैं फिर वर्तमान में हुई बारिश के कारण भी तीन दिन धान खरीदी नहीं हो सकती है। उन्होंने माँग की कि सरकारी धान खरीदी के समय को कम से कम पन्द्रह दिन और बढ़ाया जाए ताकि किसानों को अपनी उपज बेचने में सुविधा हो।

श्री अग्रवाल ने माँग की कि किसानों से उन्हीं के बारदाने में धान खरीदा जाए और अधिकारियों के तुगलकी आदेश को तत्काल निरस्त करवाया जाए ताकि प्रदेश के किसानों का होने वाला नुकसान बच सके। बारदाने की समय पर व्यवस्था न कर पाना सरकार का दायित्व है इसके लिए किसानों का नुकसान नहीं होना चाहिए।

श्री अग्रवाल ने कहा है कि किसानों के नाम से राष्ट्रीय राजनीति करने वाले मुख्यमंत्री इस ओर ध्यान दें और तत्काल इस तुगलकी आदेश को निरस्त करवाएं।

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