छत्तीसगढ

सामाजिक बैठक में महिला पर चारित्रिक दोषारोपण नही कर सकते : डॉ नायक

रायपुर, 24 नवम्बर। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य नीता विश्वकर्मा की उपस्थिति में आज शास्त्री चौक स्थित, राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई।

आज एक प्रकरण में समाज के पदाधिकारी सहित अनावेदक पति आयोग के समक्ष उपस्थित हुए, समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि अनावेदक पति ने आवेदिका को छोड़ने (तलाक लेने) के लिए समाज के समक्ष आया था। उस समय भी आवेदिका साथ मे रहने के लिए तैयार थी पर अनावेदकपति ने पत्नी को साथ में रखने को तैयार नही था, तथा अपने 9 और 10 वर्षीय बच्चों को भी छोड़ रखा है पिछले 10 माह से भरण पोषण राशि नही दिया है।

अनावेदक पति एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कवर्धा में सिक्युरिटी गार्ड के पद पर कार्य करता है। आयोग द्वारा प्रकरण को विस्तार से सुना जिसमे अनावेदक पति आवेदिका पत्नी से पीछा छुड़ाने के लिए समाज के लोगो का दुरुपयोग कर रहा था और स्पष्ट है कि पति पत्नी को साथ को तैयार नही है और आवेदिका को भरण पोषण राशि भी नही दे रहा है।

अनावेदक द्वारा आयोग को मासिक वेतन के सम्बंध में गलत जानकारी दिया आयोग की अध्यक्ष डॉ नायक ने तत्काल एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस का एरिया इंचार्ज से टेलीफोन पर जानकारी लिए और रायपुर मुख्यालय ऑफिस से भी चर्चा किया दोनो ने जानकारी दिया कि अनावेदक पति का मासिक वेतन 16,000 रूपये प्रतिमाह है, इसके पश्चात आवेदक ने स्वीकार किया कि वास्तव में उसका मासिक वेतन 16,000 रुपये है और पत्नी व बच्चों को भरण पोषण राशि देने को भी तैयार हुआ।

आयोग के समक्ष पति ने स्वीकार किया कि बच्चों के स्कूल फीस और पढ़ाई का खर्च स्वंय वहन करेगा और पत्नी को भी भरण पोषण देगा। इस प्रकरण को आयोग की निगरानी में रखते हुए पति अपने पत्नी को प्रतिमाह 5,000 रुपए भरण पोषण का निर्धारण किया गया है, साथ ही आवेदिका ने आयोग से निवेदन किया कि बच्चों सहित ससुराल वाले गांव में रहना चाहती है इस पर अनावेदक किसी भीप्रकार से हस्तक्षेप नहीं करे। आगामी सुनवाई में इस प्रकरण का निराकरण किया जाएगा।

एक अन्य प्रकरण में अनावेदकगण ने विस्तृत दस्तावेज प्रस्तुत किया है, और कलेक्टर को प्रेषित सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी का पत्र को संलग्न किये थे। इस पत्र में अंत में उल्लेखित है कि आवेदिका वैध उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करती है तो इस प्रकरण को लेखा पेंशन कार्यालय में भेजा जाएगा और उभयपक्षों को आयोग द्वारा समझाइश दिया गया की आवेदिका वैध उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ करें और आयोग को सूचित करें। इस प्रकरण का निराकरण आगामी सुनवाई में किया जाएगा।

एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने पूर्व में उच्च न्यायालय में आयोग की सुनवाई के दौरान अपील प्रस्तुत किया था जिसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। आवेदिका ने कहा कि वह अपने ससुराल में रहना चाहती है यदि साथ में नहीं रखना चाहते है तो उसके स्थायी रहने की व्यवस्था किया जाये। दहेज प्रताड़ना के बाद उसे घर से निकाला गया है और कोई स्थायी निवास नहीं है। पिछले सुनवाई में भी दोनों को सलाह दिया गया था कि आपसी रजामंदी से 5-5 शर्तें लिखकर लाये और एकमुश्त राशि देकर आपस में तलाक ले लें।

इसके बाद से अनावेदकगण लगातार अनुपस्थित रहा है और आयोग की सुनवाई की अवहेलना भी कर रहा है। आवेदिका ने अपने पति, सास और ससुर के विरूद्ध आयोग में प्रकरण प्रस्तुत किया है। आवेदिका महज तीन माह अपने शादीशुदा जिंदगी में रही है और लगभग दो साल से अलग रह रही है। अनावेदक द्वारा आवेदिका को किसी भी तरह का भरण-पोषण नहीं दिया गया है। दहेज प्रताड़ना को लेकर घर से निकाला गया है। अनावेदकगण द्वारा आवेदिका को इस तरह इंतजार कराना भी मानसिक प्रताड़ना की स्थिति उत्पन्न करता है। आयोग द्वारा आवेदिका को पुलिस थाना में एफआईआर करने के निर्देश देते हुये प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।

आज जनसुनवाई में 20 प्रकरण में 15 पक्षकार उपस्थित हुए तथा 4 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया शेष अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया।

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