कृषि और लघु वनोपज आधारित उद्योगों को मिलेगा बढ़ावा: CM
रायपुर। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए हमें व्यवसायिक दृष्टिकोण अपनाना होगा। सिंगल विंडो प्रणाली को वास्तविक रूप में लागू करना होगा। एक बार आवेदन करने के बाद सारी प्रक्रिया पूर्ण करानी होगी। तभी हम उद्योगपतियों को उद्योग लगाने के लिए आकर्षित कर पाएंगे। राज्य में इससे उद्योग के लिए नया वातावरण बनेगा और अधिक से अधिक निवेश होगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में लोहा, कोयला, बाक्साइट आदि की उपलब्धता के कारण उद्योग लगे, लेकिन कई ऐसे क्षेत्र जैसे – लघु वनोपज और कृषि आदि क्षेत्र उद्योग से अछूते रहे हैं, इन क्षेत्रों में हमें आगे औद्योगिकीकरण की दिशा में बेहतर ढंग से काम करना हैं। मुख्यमंत्री श्री बघेल आज राजधानी रायपुर में उद्योग विभाग द्वारा आयोजित नई उद्योग नीति पर परिचर्चा संबंधी कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यशाला में कार्यक्रम की अध्यक्षता उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा ने की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ’गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ के नारे को सार्थक रूप देने के लिए प्रदेश के नए क्षेत्रों में उद्योगों को ले जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 10 आकांक्षी जिलों में जो देश के अति पिछड़े 110 जिलों में शामिल है। इन क्षेत्रों में विकास के लिए कृषि और उद्यानिकी तथा लघु वनोपज पर आधारित बस्तर से लेकर सरगुजा क्षेत्र में नए उद्योग लगाने के लिए पहल की जाएगी। कम प्रदूषण फैलाने वाले छोटे और मझोले उद्योग उन क्षेत्रों में लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि नई उद्योग नीति यद्यपि पांच साल के लिए बनाई गई है। जरूरत पड़ने पर संशोधन किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के विकास के लिए हम समावेशी विकास पर बल दे रहें है। यहां रहने वाले लोगों को यह लगना चाहिए कि यदि सड़क बनती है या उद्योग लगते है तो यह उनके विकास के लिए लगाए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की धरा अमूल्य प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है। यहां एक तरफ लोहा, कोयला तथा बॉक्साइट आदि महत्वपूर्ण खनिज संसाधन भरे पड़े हैं, वहीं दूसरी ओर वन तथा विविध फसल उत्पादों से भी छत्तीसगढ़ समृद्ध है। इस तरह राज्य में उद्योग के लिए एक उपयुक्त और बेहतर वातावरण है। छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में उद्योगों को भी बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा आवश्यक पहल कर नई औद्योगिक नीति 2019-24 तैयार की गई है। छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति में समावेशी विकास, आत्मनिर्भर तथा परिपक्व अर्थव्यवस्था के निर्माण को विशेष रूप से ध्यान में रखा गया है।
मुख्यमंत्री ने सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरवा, घुरवा और बारी की विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि यह योजना सभी के लिए उपयोगी है। उद्योगों और कृषि के लिए पानी की जरूरत नरवा पुनर्जीवन से मिलेगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरण प्रदूषण के समाधान के लिए मनरेगा योजना को कृषि कार्य से जोड़ना होगा, पैरा को जलाने की जगह इससे कम्पोस्ट खाद में बदलने का काम करना चाहिए। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढे़गी और जैविक खेती को भी अपना सकेंगे।
उन्होंने उद्योगपतियों की सराहना करते हुए कहा कि वे राज्य को राजस्व देते है वहीं दूसरी ओर स्थानीय निवासियों को उद्योग के जरिए रोजगार भी देते है। उनसे बढ़कर छत्तीसगढ़िया और कोई नहीं हो सकता। उद्योगपति एक-दूसरे से जुड़े उद्योग लगाए इससे व्यापार और राजस्व में वृद्धि होगी और हमारे पुरखों ने जो छत्तीसगढ़ को खुशहाल और समृद्ध बनाने का सपना देखा था वह पूरा हो सकेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री बघेल के नेतृत्व में बहुत ही कम समय में नई औद्योगिक नीति बनायी गई है। इनमें अब तक के उद्योग विहीन वाले क्षेत्रों में वहां उपलब्ध संसाधनों के आधार पर प्राथमिकता से उद्योग लगाए जाएंगे। इससे राज्य के हर क्षेत्र में उद्योग स्थापित होंगे और वहां उपलब्ध संसाधनों का स्थानीय जनता के हित में बेहतर उपयोग हो सकेगा।
कार्यक्रम को प्रमुख सचिव उद्योग मनोज पिंगुआ, सीआईआई के अध्यक्ष अमित अग्रवाल, फिक्की के अध्यक्ष प्रदीप टंडन, उरला इंडस्ट्रियल एसोसिऐशन के उपाध्यक्ष अश्विन गर्ग ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर विभिन्न औद्योगिक संगठानों के पदाधिकारी और उद्योगपति उपस्थित रहे।