छत्तीसगढ

कृषि बिल कानून किसान विरोधी…कल महात्मा गांधी की जयंती पर किसान सत्याग्रह की बनी रणनीति

रायपुर, 1 अक्टूबर। कृषि सुधार बिल के पास होने के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन किया जा रहा है। इसी कड़ी में गुरुवार को कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनाने को लेकर छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ से संबंधित 25 से ज्यादा किसान-सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि राजधानी में इकट्ठा हुए। बैठक की अध्यक्षता पूर्व विधायक और छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष जनकलाल ठाकुर ने की।

बैठक में लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉ. संकेत ठाकुर ने बताया कि किसान कानून के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के बाद किसान नेताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि यह कानून किसान विरोधी है। जिससे अब छत्तीसगढ़ के किसानों पर कार्पोरेट्स का कब्जा हो जाएगा। साथ ही यह आशंका भी जताई गई है कि प्रदेश के किसानों को भविष्य में धान की शासकीय खरीदी 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से नहीं हो पाएगी.

2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर किसान सत्याग्रह

इसके विरोध में प्रदेशभर में वृहद आंदोलन देश के राष्ट्रीय किसान आंदोलन के साथ शुरू किया जाएगा। इसकी शुरुआत 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर किसान सत्याग्रह से होगी। इस दिन प्रदेश के किसान रायपुर में आजाद चौक स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने एक दिवसीय उपवास पर रहेंगे। इसके बाद राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम से किसान कानून को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उपज खरीदी को कानून बनाने की मांग होगी।

शासकीय खरीदी 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से शुरू करने की मांग

इसी दिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर 1 नवंबर से धान की शासकीय खरीदी 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से शुरू करने की मांग और कृषि कानून के खिलाफ विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग की जाएगी। देश के 250 संगठनों के आह्वान पर 2 और 14 अक्टूबर को प्रदेश में प्रदर्शन किया जाएगा। इसी के तहत 3 से 13 अक्टूबर तक पूरे प्रदेश के गांव-गांव में किसान बैठक का आयोजन किया जाएगा और 14 अक्टूबर से भाजपा के सांसदों का घेराव किया जाएगा।

किसान कानून के खिलाफ आंदोलन की योजना

जानकारी के मुताबिक किसान रायपुर से भाजपा सांसद सुनील सोनी का घेराव करेंगे। गुरुवार को आयोजित बैठक में विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने किसान कानून के खिलाफ आंदोलन की योजना बनाने के लिए अपने विचार रखे। वहीं नई राजधानी किसान कल्याण संघर्ष समिति के रूपन चंद्राकर परसदा ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री के अलावा अब भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा गांव गांव में इस कानून को लेकर किसानों को गुमराह किया जा रहा है।

राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति के पारसनाथ साहू ने दिया ये सुज्ञाव

राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति के पारसनाथ साहू आरंग ने किसान कानून से होने वाले नुकसान को अवगत कराने गांव-गांव में बैठक का सुझाव दिया। जिला किसान संघ राजनांदगांव के मोतीलाल सिन्हा ने जानकारी दी है कि आगामी 3 अक्टूबर को चिचोला बार्डर पर राष्ट्रीय राजमार्ग जाम किया जाएगा। पूर्व जिला पंचायत सदस्य द्वारिका साहू, महासमुंद जिला पंचायत सदस्य जागेश्वर जुगनू चंद्राकर महासमुंद और पिछड़ा समाज के गिरधर मढ़रिया ने सांसदों और जन प्रतिनिधियों के घेराव का सुझाव दिया है।

बैठक में कृषि वैज्ञानिक डॉ. संकेत ठाकुर, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के तेजराम विद्रोही राजिम और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने नये किसान कानून के कारपोरेट हितैषी होने का सिलसिलेवार वर्णन करते हुए बताया कि 1990 के दशक में विश्व व्यापार संगठन की शर्तों के तहत आर्थिक उदारीकरण और वैश्वीकरण के नाम पर देश के संसाधनों का निजीकरण किया जा रहा है। जिसमें मोदी सरकार कांग्रेस सरकार से एक कदम आगे बढ़ते हुए अब किसानों की खेती कार्पोरेट्स को बेचने कानून तक बना दिया है।

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