राष्ट्रीय

कोरोना के साथ डेंगू व घातक वायरल फीवर का प्रकोप, प. बंगाल और उत्तर प्रदेश में बढ़े मामले

नई दिल्ली, 14 सितंबर। देश के कई हिस्सों में डेंगू और वायरल समेत विभिन्न तरह के बुखार के मामले सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मिली खबर के अनुसार पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में बुखर और अपच के कारण 130 बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया गया है। वहीं प्रेट्र के अनुसार उत्तर प्रदेश में डेंगू के कारण दो और मौतों का मामला सामने आया है। इसके साथ ही अब तक कुल मरने वालों का आंकड़ा 60 हो गया है। सोमवार को उत्तर प्रदेश में वायरल फीवर के कुल 60 मामले सामने आए।

आगरा से 320 किमी दूर फिरोजाबाद पिछले तीन सप्ताह से डेंगू और घातक वायरल फीवर से जूझ रहा है। इसमें अधिकांश पीड़ित बच्चे हैं। इस बीच जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह ने कहा कि न्यूजपेपर के रिपोर्टों के आधार पर पैथोलाजी के लिए अधिक रकम वसूलने को लेकर गाइडलाइन जारी किए गए हैं। इसके कुछ मामले मथुरा, आगरा, मैनपुरी में भी है। लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश द्वारा जारी पत्र के मुताबिक अब तक प्राइवेट पैथेलाजी अलग-अलग रेट पर डेंगू टेस्ट कर रहे थे। कई लैब बहुत ज्यादा चार्ज वसूल रहे थे लेकिन अब सभी लैब के लिए रेट तय कर दिए गए हैं।

डेंगू के मामले महाराष्ट्र, दिल्ली और बिहार में भी है। दिल्‍ली और महाराष्‍ट्र में भी डेंगू, मलेरिया सहित मौसमी बीमारियों ने कहर बरपा रखा है। डेंगू के मच्छर साफ और स्थिर पानी में पैदा होते हैं। वहीं, मलेरिया के मच्छर गंदे पानी में भी पनपते हैं।

केंद्र ने रोकथाम पर दिया जोर, जारी किए हैं निर्देश

केंद्र ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर डेंगू जैसी वेक्टर जनित बीमारियों की रोकथाम को लेकर गतिविधियों में तेजी लाने पर जोर दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सोमवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों तथा प्रशासकों को लिखित तौर पर दिशानिर्देश दिए हैं। पत्र में स्वास्थ्य सचिव ने कहा है कि संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए कीट विज्ञान निगरानी, स्रोत में कमी लाने संबंधी गतिविधियों और त्वरित वेक्टर नियंत्रण उपायों को क्रियान्वित किया जाना चाहिए।

स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि हाल के हफ्तों में कुछ राज्यों में कुछ इलाकों में डेंगू जैसी वेक्टर जनित बीमारियों (वीबीडी) के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि इन रोगों का प्रसार और संचरण पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित होता है तथा वेक्टर प्रसार के लिए अनुकूल वातावरण के कारण मानसून और मानसून के बाद की अवधि के दौरान इनका संचरण अधिकतम होता है। स्वास्थ्य सचिव ने कहा, ‘ इन बीमारियों को खत्म करने के लिए वेक्टर (मच्छर) की संख्या में कमी लाने का निरंतर प्रयास हो।

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