छत्तीसगढ

छत्तीसगढ़ CM ने PM को लिखा पत्र:18+ कोरोना वैक्सीनेशन की पूरी योजना मांगी, केंद्र और राज्य के लिये मूल्यों में अंतर पर भी उठाए सवाल

रायपुर, 22 अप्रैल। कोरोना वैक्सीनेशन के लिए 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों के वैक्सीनेशन के फैसले के साथ राज्य और केंद्र के बीच खींचतान शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोना वैक्सीनेशन के तीसरे चरण की पूरी योजना मांगी है। वहीं केंद्र और राज्य सरकारों के लिये वैक्सीन उत्पादकों की ओर से तय मूल्यों में अंतर पर भी सवाल उठाए हैं।

मुख्यमंत्री ने लिखा है, राज्य सरकार ने तय किया है कि 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले सभी नागरिकों के कोरोना टीकाकरण की व्यवस्था नि:शुल्क की जाएगी। इतने बड़े पैमाने पर टीकाकरण के लिये एक व्यापक योजना जरूरी है। ऐसे में उन्होंने पूछा है कि केंद्र सरकार उनको हर महीने कितना वैक्सीन उपलब्ध कराएगी। वैक्सीन उत्पादक दोनों कंपनियां भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट हर महीने अनुमानित कितनी वैक्सीन राज्य को दे पाएंगे। दोनों कंपनियों की ओर से केंद्र सरकार और राज्य सरकार के लिये टीके का मूल्य क्या तय हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों से टीके के लिये एक जैसा ही मूल्य लिया जाना चाहिये। उन्होंने कहा, राज्य और केंद्र सरकारें नागरिकों से करो के माध्यम से आय अर्जित करती हैं, अंत: वैक्सीन की दरें समान होना न्यायोचित होगा। मुख्यमंत्री ने यह जानकारी शीघ्र उपलब्ध कराने को कहा है ताकि राज्य सरकार बजट और प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था एक मई से पहले कर पाये।

को-वैक्सीन का दाम कम हो

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भारत बायोटेक की को-वैक्सीन का दाम कोवीशील्ड से कम रखने की मांग की है। उन्होंने कहा, भारत बायोटेक ने यह वैक्सीन केंद्र सरकार के सहयोग से विकसित की है। ऐसे में सरकारों के लिये इसका दाम सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड वैक्सीन से कम होना चाहिये।

सीरम ने कल ही तय किये थे तीन दाम

सीरम इंस्टीट्यूट ने बुधवार को अपनी कोवीशील्ड वैक्सीन के लिये नये मूल्य तय किये। कंपनी ने प्राइवेट अस्पतालों के लिये कोवीशील्ड वैक्सीन का दाम 600 रुपए प्रति डोज तय किये। राज्य सरकारों को 400 रुपए और केंद्र सरकार को पहले की तरह 150 रुपए में देने की बात कही। केंद्र सरकार के जरिए निजी अस्पतालों को जो वैक्सीन उपलब्ध कराई जा रही थी उसका शुल्क 250 रुपए प्रति डोज निर्धारित था। इसमें से 150 रुपए वैक्सीन का मूल्य था जो केंद्र को जाता था और 100 रुपए निजी अस्पतालों को मिलता था।

ऐसे हुआ है वैक्सीन पर बोझ का बंटवारा

सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को टीका लगाने का फैसला हुआ था। तय हुआ कि उत्पादक का 50% हिस्सा केंद्र सरकार लेगी। बाकी 50% स्टॉक राज्य सरकारों को और खुले बाजार में बिकेगा।

सोनिया गांधी ने PM को पत्र लिखकर उठाये हैं सवाल

कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने टीके की अलग-अलग कीमतों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पूछा है, एक ही टीके की अलग-अलग कीमत कैसे हो सकती है। इस नीति से लोगों को अधिक कीमत देनी होगी और राज्य सरकारों को आर्थिक संकट का सामना भी करना पड़ सकता है।

छत्तीसगढ़ के संसदीय सचिव ने एक देश-एक दाम की मांग उठाई

कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और छत्तीसगढ़ सरकार में संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने भी सोनिया गांधी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समर्थन में एक देश-एक दाम की मांग उठाई है। विकास उपाध्याय ने कहा, केंद्र सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से भाग रही है। ऐसे संकट के वक्त केन्द्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ समन्वय बना कर चलना चाहिए। उन्होंने कहा, टीके के मूल्य में अंतर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सामने अपना दोहरा चरित्र उजागर कर दिया है।

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