छत्तीसगढ

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की बडी उपलब्धि, 12 हजार हार्सपावर लोकोमोटिव इंजन से सफलतापूर्वक दौडाया गया मालगाड़ी

बिलासपुर, 3 अगस्त। देश में ही बने अब तक के सर्वाधिक शक्तिशाली 12 हजार अश्व शक्ति (HP) क्षमता के मालवाहक रेल इंजन का दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन में वाणिज्यिक परिवहन शुरु किया गया है। बिलासपुर रेल मंडल के अंतर्गत बिलासपुर से कोरबा तक आज मालगाड़ी का परिचालन 12 हजार हार्सपावर (HP) क्षमता के लोकोमोटिव इंजन से किया जाएगा। इसके पूर्व दिनांक 30 जुलाई, 2020 को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के ईतवारी स्टेशन से भिलाई रेलवे स्टेशन तक मालगाड़ी का सफलतापूर्वक परिचालन इस इंजन के माध्यम से किया गया था।

खास बात यह है कि 12 हजार अश्व शक्ति वाले इस लोकोमोटिव इंजन का उपयोग मालगाडियों के संचालन के लिए होगा। इसे मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री और फ्रांसिसी कंपनी के संयुक्त प्रयास से तैयार किया गया है। इसे बनाने के साथ ही 10 हजार हार्सपावर वाले इंजन उत्पादन की तकनीक वाला दुनिया का छठा देश बन गया है। इस इंजन की मालवाहक क्षमता डब्लू ए जी-9 से दोगुना है। इसकी सामान्य गति भी 100 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसे 120 किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार से भी चलाया जा सकता है। लोकोमोटिव एक तीन फेज इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव है। इसकी लंबाई 35 मीटर है। इसमें 1 हजार लीटर हाई कंप्रेसर कैपेसिटी के 2 टैंक है।

इस थ्री फेस लोकोमोटिव के दो यूनिट है, जिसके प्रत्येक यूनिट में ट्विन बो-बो प्रकार की बोगिया है तथा उनमें 08 ट्रैकशन मोटर 08 एक्सलो पर स्थापित है। इन लोकोमोटिवों को इस प्रकार की संरचना के कारण ही इनका ना केवल कार्य निष्पादन अन्य लोकोमोटिव की तुलना में अत्यधिक उन्नत है, बल्कि ऊर्जा का व्यय एवं अनुरक्षण का खर्च भी कम है।

यह इंजन पारंपरिक ओएचई लाइनों वाली रेलवे पटरियों के साथ ही ऊंचे ओएचई लाइनों वाले (फ्रेट डेडिकेटेड) समर्पित माल गलियारों पर भी परिचालन करने में सक्षम है। इंजन में दोनों ही तरफ वातानुकूलित ड्राइवर कैब हैं। इंजन पुनरुत्पादक ब्रेकिंग सिस्टम से लैस है जो परिचालन के दौरान पर्याप्त ऊर्जा बचत सुनिश्चित करता है। ये उच्च हॉर्स पावर वाले इंजन मालवाहक ट्रेनों की औसत गति को बढ़ाकर अत्यजधिक इस्ते्माल वाली पटरियों पर भीड़ कम करने में मदद करेंगे।

नई पीढ़ी की इस 12 हजार अश्व शक्ति वाले लोकोमोटिव इंजन के माध्यम से रेल परिचालन शुरू होने से चढ़ाई वाले रेल खंडो में मालगाड़ियों के पीछे लगाए जाने वाले बैंकर इंजनो की आवश्यकता समाप्त होगी। मालगाड़ियों की गति बढ़ने से सेक्शन में ज्यादा गाड़ियो के परिचालन के साथ ही यात्री गाड़ियों की समबद्धता में भी सुधार होगा।

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