छत्तीसगढ

नक्सल मोर्चे में तैनात बीमार जवान की इलाज नहीं होने से हुई मौत, बस में मिला अचेत अवस्था में

रायपुर/जांजगीर। बस्तर के धुर नक्सल प्रभावित जिले के कैम्प में तैनात रहने वाले जवानों को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलने से जान गवानी पड़ रही। 28 अगस्त की रात को ही गम्भीर हालात में परिजनों ने राजधानी के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन जवान ने दम तोड़ दिया। परिजनों ने अंतिम संस्कार के लिए शव को गृह ग्राम भलवाहि पामगढ़ ले आया। विजय की मृत्यु की खबर से गांव में मातम का माहौल है। प्रदेश सरकार एक तरफ स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर करोड़ो रुपए खर्च कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। नारायणपुर जिले से मात्र 20 किमी की दूरी में आंकाबेड़ा कैम्प के एसएएफ जवान विजय लहरे उम्र 29 साल जो 10 वीं बटालियन में पदस्थ था। जांजगीर के पामगढ़ थाना से 5 किमी दूर ग्राम भलवाहि निवासी विजय की भर्ती 2012-13 में 10वी बटालियन सूरजपुर में हुआ था। नक्सल क्षेत्र में तैनात जवान की ड्यूटी के दौरान ही विजय के साथी जवान ने बताया कि विजय की तबीयत कुछ दिनों से ठीक नहीं थी, वह टायफाइड से पीड़ित था जिसका इलाज निजी डॉक्टर के यहां चल रहा था। नारायणपुर से यात्री बस में दोस्तों ने साथ चलने को भी कहा लेकिन विजय ने रायपुर तक परिजनों के साथ गाँव चले जाने की बात कही। लेकिन बस स्टैंड रायपुर पहुंचने पर विजय की तबियत और बिगड़ गई परिजनों व पिता राजकुमार लहरे ने बुधवार की रात को तबीयत बिगड़ने राजधानी के बालाजी अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन जवान ने दम तोड़ दिया। बटालियन और कम्पनी कमांडेंट सहित अधिकारियों के घोर लापरवाही के कारण जवान की मौत हो गई । हाल ही में नक्सल ऑपरेशन के दौरान नारायणपुर में एक घायल जवान की मौत समय पर इलाज और डॉक्टर नहीं मिलने से हो गई थी। सेना की तर्ज में नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों के लिए वैकल्पिक डॉक्टर की व्यवस्था नहीं होना बड़ी लापरवाही को उजागार करता है।
मृत जवान के पिता राजकुमार लहरे का कहना है कि बेटा विजय लहरे की तबियत बिगड़ने की जानकारी बटालियन के आधिकारी द्वारा फोन पर जानकारी दी गई और कहा गया कि विजय की तबियत बिगड़ गई है आप अपने गांव से रायपुर तक आ जाये हम विजय को बस में रायपुर भेज रहे है । अधिकारियों ने नारायणपुर से जवान विजय लहरे को तबीयत खराब हालत में ही बस पर सुलाकर रायपुर के लिए रवाना कर दिए, लेकिन कोई भी जिम्मेदार अधिकारी उनके साथ नही गया। नतीजा यह हुआ कि रायपुर पहुचने तक जवान की मृत्यु हो चुकी थी। इसकी जानकारी घर वालो को तब हुई जब जवान को आनन फानन में रायपुर के बालाजी अस्पताल में भर्ती किया गया, वँहा डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया ।
अब इस पूरे मामले में मृत जवान के परिजन बटालियन के अधिकारियों पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा है कि विजय की तबियत ज्यादा बिगड़ी तो ड्यूटी के दौरान ही स्थानीय अस्पताल में भी प्राथमिक उपचार करवाया जा सकता था, अधिकारी चाहते तो एम्बुलेंस की व्यवस्था कर विजय को रायपुर भेज सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया और जवान विजय लहरे की मौत हो गई । परिजन सन्तोष लहरे ने बताया कि विजय परिवार में कमाने वाला था, छोटा भाई माँ बाप की देखभाल करता है। गांव में खेती के लिए 1 एकड़ जमीन है। पिता और भाई रोजी मजदूरी करते हैं। कुछ साल पहले विजय ने शादी भी किया था लेकिन पत्नी से तलाक हो गया था।

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