छत्तीसगढ

निर्मला ने जनता को पकड़ाया झुनझुना, मोदी 2 का बजट 2 जन आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल : मोहन मरकाम

रायपुर। मोदी टू के दूसरे बजट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने निराशाजनक एवं झूठ और जुमलों की पुड़िया करार दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश की जनता को बेहतर जीवन देने के आश्वासन देने में भी असफल रही है। देश की जनता मोदी टू के दूसरे बजट से बड़ी आस लगाये बैठी थी, लेकिन वित्त मंत्री जी के बजट ने देश की जनता के उम्मीदों पर पानी डाला है। आदिवासियों के लिये बजट में कोई विशेष प्रावधान नहीं दिया जाना दुखद। पाँच ट्रिलियन इकोनामी की बात जुमला ही निकली? बजट में रोज़गार शब्द का ज़िक्र तक नहीं? पाँच नए स्मार्ट सिटी बनाएँगे? पिछले सौ स्मार्ट सिटी का ज़िक्र तक नहीं। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या बढ़ कैसे गई? देश की गिरती अर्थव्यवस्था, बढ़ती महंगाई, रोजगार की विकराल समस्या, महिलाओं की सुरक्षा, किसानों के आमदनी बढ़ाने एवं कृषि क्षेत्र में लागत कम करने, सस्ती शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सुविधा, सुरक्षा और उद्योग जगत को मजबूत नीति देने में मोदी सरकार असफल सिद्ध हुई है। बीते 6 साल के कार्यकाल में ध्वस्त हुई रोजी रोजगार व्यापार उद्योग कैसे पुनर्जीवित होंगे इसके लिए कोई नीति निर्धारण बजट में नहीं दिखा। थालीनॉमिक्स की बात करने वाले मोदी सरकार के वित्त मंत्री महंगाई कालाबाजारी के कारण आम जनता के थाली से गायब प्याज दाल तरकारी को वापस लाने में असफल हुई। भारतीय खुदरा बाजारों में वह 100 प्रतिशत एफडीआई के बाद शिक्षा के क्षेत्र में एफडीआई को प्राथमिकता देकर मोदी, निर्मला की सरकार ने व्यापार जगत की तरह ही शिक्षा क्षेत्र को भी तबाह करने का इतंजाम कर दिया। चिकित्सा उपकरण के नाम पर एक प्रतिशत सेस और बढ़ा दिया गया। ऑडिट लिमिट, टीडीएस और कटौती में कोई छूट नहीं बढ़ायी गयी। भागीदारी फर्मो के लिये आयकर की दर अब भी 30 प्रतिशत है। रासायनिक खादो के उपयोग में कमी बात इसलिये कर रहे है, क्योंकि खाद की आपूर्ति नहीं कर पा रहे है और लगातार देश की किसान खाद को लेकर परेशान है। एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी बेचने का निर्णय दुखद है। 10 सरकारी बैंको के विलय का फैसला युवा, बेरोजगार विरोधी है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर तंज कसते हुए कहा कि ऐसा नहीं लग रहा था कि वित्त मंत्री बजट प्रस्तुत कर रहे हैं, बल्कि ऐसा प्रदर्शित हो रहा था कि आने वाले दिनों में मोदी सरकार देश के महारत्न नवरत्न और मिनी रत्न कंपनियों को किस प्रकार से बेचेगी कौन-कौन से कंपनियों को बेचेगी इसकी सूची जारी कर रही थी। बीते 6 साल में मोदी सरकार के द्वारा एक भी बड़ा कोई ऐसा प्रोजेक्ट नहीं लाया गया, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिलता बल्कि उनके हाथों में रोजगार था उनको भी छीनने का काम किया गया। मोदी जी की विदेश यात्रा में जितने खर्च हुए हैं उतना भी निवेश भारत में विदेशी से नहीं हो पाया है। आम जनता के जेब में पैसा कैसे आएगा इसकी गुंजाइश बजट में नजर नहीं आई बल्कि आम जनता पर टैक्स का बोझ कैसे लाया जाए इसकी फिक्र ज्यादा नजर आई है। मोदी टू का बजट आम जनता को बोझ से मुक्त करने में असफल हुई है। इस वजह से आर्थिक सुस्ती दूर नहीं होगी, बल्कि आर्थिक सुस्ती अब कोमा में तब्दील होगी।

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