रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिल्प संस्कृति की परंपरा अत्यधिक प्राचीन एवं गौरवशाली रहा है। विश्व प्रसिद्ध हस्तशिल्प ढोकरा, लौह शिल्प, काष्ठ शिल्प, बांस सिल्प, गोदना शिल्प, शीसल शिल्प, मिट्टी शिल्प, भित्ती चित्र, पत्थर शिल्प, कौड़ी शिल्प, पारंपरिक वस्त्र, तूमा शिल्प, काशीदाकारी, विविध शिल्प इत्यादि एवं हाथकरघा वस्त्रों मे कोसा सिल्क, टसर सिल्क, काॅटन के ड्रेस मटेरियल, साड़ियां, दुपट्टे, चादर, बेड शीट तथा खादी वस्त्रों एवं ग्रामोद्योग सामग्रियों का प्रदेश की अपनी एक विशेष पहचान है। हस्तशिल्प सावन मेला-2019 आगामी 9 अगस्त से 18 अगस्त तक छत्तीसगढ़ हाट परिसर पंडरी रायपुर में आयोजित है। जिसमें प्रदेश के ढोकरा शिल्प, लौह शिल्प, काष्ठ शिल्प, बांस सिल्प, गोदना शिल्प, शीसल शिल्प, मिट्टी शिल्प के 38 शिल्पकारों एवं हाथकरघा के 10 बुनकरों द्वारा कोसा एवं काॅटन के विशेष डिजाईनों में निर्मित साड़ियां, डेªस मटेरियल, बेड शीट, चादरें, सलवार सूट एवं दुपट्टे तथा खादी वस्त्रों के बुनकरों का विशेष संग्रहण के साथ विभिन्न कलाकृतियों और आकृतियों में हस्तशिल्प, हाथकरघा, खादी वस्त्रों का 50 शिल्पकारों एवं बुनकरों द्वारा भव्य प्रदर्शन सह विक्रय किया जावेगा।
हस्तशिल्प सावन मेला-2019 का आयोजन छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति एवं परम्परा को ध्यान में रखते हुए, इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य रक्षाबंधन पर्व के अवसर पर राजधानी वासियों को हस्तशिल्प के विभिन्न विधाओं की कलाकृतियों गृह साज-सज्जा एवं हथकरघा से उत्पादित कोसा एवे काॅटन की साड़िया तथा डेªस मटेरियल का क्रय कर संस्कृति के अनुरूप इस शुभ अवसर का सुखद अनुभव प्राप्त करेंगे। 10 दिवसीय मेले का आयोजन आगामी 9 अगस्त से 18 अगस्त तक किया जा रहा है। इसमें प्रदेश के हस्तशिल्पकारों एवं बुनकरों द्वारा उत्पादित हस्तशिल्प एवं हाथकरघा वस्त्रों का इस सावन मेला के विशेष अवसर पर आकर्षक एवं मनमोहक संग्रहण का विशेष छुट पर क्रय का लाभ रायपुर राजधानी के नागरिकों को मिलेगा।

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