छत्तीसगढ

महिलाओं के अधिकारों का हनन एक गंभीर अपराध… कुछ ऐसे मुद्दे का समाधान आज महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने किया

दुर्ग, 21 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने आज दुर्ग जिले के पंजीकृत प्रकरणों की सुनवाई की। सुनवाई नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण के आलोक में राज्य शासन द्वारा समय-समय पर जारी किये गए निर्देशों का पालन करते हुए की गयी।
आज आयोग में सुनवाई के लिए 27 प्रकरण रखे गये थे, जिसमे 22 प्रकरणों में ही पक्षकार उपस्थित हुए और 11 प्रकरणों का सुनवाई पश्चात् निराकरण किया गया। जिन प्रकरणों में पक्षकार उपस्थिति नहीं हो पाए उनके लिए अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित की गई है। आयोग द्वारा पति-पत्नी विवाद, दैहिक शोषण, मारपीट, प्रताड़ना, दहेज प्रताड़ना, कार्यस्थल पर प्रताड़ना, घरेलू हिंसा से सम्बंधित प्रकरणों की सुनवाई की गई।
आज की सुनवाई में प्रस्तुत प्रकरण में मुख्य अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विकास, रायपुर द्वारा वाहन चालक के पद पर विज्ञापन जारी किया गया था। इसके लिए आवेदिका द्वारा वाहन चालक के पद पर आवेदन किये जाने पर इन्टरव्यू कॉल लेटर जारी कर ट्रायल भी लिया गया, किंतु 4 पद वाहन चालक पद रिक्त होने के बावजूद महिला आवेदिका को नियुक्त ना करके विगत 2 वर्षों से यह पद महिलाओं के लिए नहीं था हम आप की नियुक्ति नहीं कर सकते कह कर 2 वर्षों से प्रताड़ित किया जा रहा था जिससे महिला आयोग द्वारा सुनवाई के दौरान प्रथम दृष्टया आवेदिका के पक्ष में आदेश दिया गया कि आवेदिका का 2 वर्ष का समय व्यर्थ गया जो की आपत्तिजनक है। आयोग के समक्ष मुख्य अभियंता को उपस्थित होना था किंतु अपने वरिष्ठ अधिकारी के अनुमति एवं जानकारी के बगैर कार्यपालन अभियंता मुख्य अभियंता के स्थान पर आयोग के समक्ष उपस्थित हुए। इस पर आयोग ने नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्य कार्यपालन अभियंता से मोबाइल पर तत्काल बात कर आपत्ति व्यक्त किया और यह आदेशित किया कि एक जिम्मेदार शासकीय अधिकारी होकर महिला आयोग को गुमराह करने की कोशिश किया गया।उनके इस रवैए के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा का पत्र आवेदक मुख्य अभियंता को प्रेषित किया जाएगा।आयोग के द्वारा यह भी निर्देशित किया गया कि आगामी तिथि 26 अक्टूबर, सोमवार को आयोग कार्यालय में स्वयं उपस्थित होंगे और साथ में संबंधित अधिकारी भी उपस्थित होंगे तथा आवेदिका का नियुक्ति पत्र देकर आयोग के समक्ष उपस्थित होंगे।आवेदिका को आने-जाने का भोजन सहित व हर्जाना भी अनावेदक को वहन करना होगा।
इसी तरह एक प्रकरण में आवेदिका के 3 माह का मासिक वेतन नहीं मिलेने तथा कार्य स्थल पर प्रताड़ना के कारण महिला ने महिला आयोग में सुनवाई हेतु आवेदन दिया। प्रकरण में अनावेदक आंतरिक परिवाद समिति की कार्यवाही में दोषी पाए गए।जिस पर सम्बंधित विभाग को पत्र जारी कर आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।इसी तरह एक अन्य प्रकरण में डॉ आशा मिश्रा अनावेदिका को 4 सदस्य चिकित्सक समिति की रिपोर्ट अनुसार उनके द्वारा मरीज के साथ किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही एवं कार्य में गैर जिम्मेदारी गलत व्यवहार नहीं पाया गया, जिससे उन्हें दोषमुक्त करते हुए प्रकरण को नस्ती बद्ध किया गया।ज्ञात हो उक्त प्रकरण विगत दो वर्षो से लंबित होने के कारण आज रिपोर्ट अनुसार मामला को निराकृत कर नस्तीबद्ध किया गया।सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीमती तुलसी साहू, नीलू ठाकुर, शासकीय अधिवक्ता कु शमीम रहमान, पूजा मोगरी तथा महिला बाल विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी, पुलिस प्रसाशन भी उपस्थित रहे।

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