रमन सिंह सरपंचों की भाषा समझ जाते तो 15 सीट में नही अटकते
रायपुर, 9 जनवरी। कांग्रेस ने रमन सिंह द्वारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सम्बंध में किये टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति व्यक्त किया है ।कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा रमन सिंह लोकतंत्र के प्रमुख स्तम्भ जनता द्वारा निर्वाचित निचले पायदान के प्रमुख जनप्रतिनिधि सरपंचों के लिए इतने पूर्वाग्रही क्यो है ?
रमन सिंह सरपंचों को हिकारत की नजर से क्यो देखते है ?क्या देश और प्रदेश के सरपंचों में भाषा के संस्कार नहीं है ।रमन सिंह ने सरपंचों का अपमान किया है। प्रधानमंत्री ने अपने सुरक्षा की तथाकथित चूक को ले कर जिस स्तर तक प्रतिक्रिया दी है उसे सारा देश सुनियोजित ड्रामा की संज्ञा दे रहा है।
भाजपा के नेता देश भर में जो हवन यज्ञ आदि की नौटंकी कर रहे उस पर प्रतिक्रिया आनी स्वाभाविक है।भूपेश बघेल ने देश की जनता की भावनाओ को आवाज दिया तो भाजपाई बौखला गए हैं।
संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनन्द शुक्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गांव के सीधा-साधा किसान है बोर बासी खाते है सरपंच के बीच रहे है इसलिए सरपंच की भाषा को समझते हैं और सरपंच की तरह ही मुख्यमंत्री के आम जनता के प्रति अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हैं और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह राज रजवाड़ों में रहने वाले राजसी ठाठ से जीने वाले है राजा महाराजाओं की भाषा बोलने समझने वाले इसलिए गांव के सरपंच को तुच्छ समझते हैं दोनों में यही बेसिक अंतर है।
भाजपा की सत्ता चली गई लेकिन रमन सिंह की अकड़बाजी खत्म नहीं हुई है।रमन सिंह मुख्यमंत्री रहते 15 साल में सरपंचों की भाषा नहीं समझ पाए नहीं गांव वालों की भावनाओं को समझ पाए। रमन सिंह भाजपा की संस्कृति और शिक्षा दीक्षा ही उच्च और नीच के इर्द-गिर्द घूमती है इसलिए सरपंच को तुच्छ और मुख्यमंत्री के पद को विशाल मानने का सोच इनमें है।
रमन सिंह और भाजपा नेताओं के यही अकड़ बाजी उन्हें गर्त में ले जा रही है। सरपंच होना गर्व की बात है छत्तीसगढ़ के 20000 गांवों के सरपंचों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में किए जा रहे कार्यों का बेहतर ढंग से क्रियान्वयन किया है।