राजधानी अस्पताल का लाइसेंस रद्द… 17 अप्रैल का वो खौफनाक मंजर
रायपुर, 27 जुलाई। राजधानी हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। इस संबंध में कलेक्टर कार्यालय ने आदेश जारी कर दिया है। इसमें लिखा है कि नर्सिंग होम एक्ट के तहत अस्पताल को अग्नि सुरक्षा प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया. मंजूरी सिर्फ दूसरी मंजिल तक थी, लेकिन तीन मंजिला अस्पताल चल रहा था। इसलिए अस्पताल को जारी किया गया लाइसेंस रद्द किया जाता है।
आपको बता दें कि ये वही अस्पताल (Hospital) है जहां पिछले साल यानि 17 अप्रैल 2020 को कोविड वार्ड में भीषण आग लगी थी। इस हादसे में एक मरीज झुलस गया और 5 की मौत धुएं के कारण दम घुटने से हुई। इसके बाद से मीडिया संगठनों ने इस पर कार्रवाई को लेकर प्रमुखता से छापा है। नतीजा यह रहा कि जांच के बाद अस्पताल मानक के अनुरूप नहीं पाया गया, इसलिए अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया गया।
सेलाइन बोतल लेकर भागकर बचाई थी जान
इस हादसे में जान गंवाने वाले लोगों ने बहुत कुछ बताया। इस अस्पताल (Hospital) में किसी की मां, बहन और पिता सभी का इलाज चल रहा था। आग लगने पर कर्मचारी बिना बोले, पहले भुगतान करने का दबाव बनाते रहे। कुछ मरीजों को उनके परिजन किसी तरह से सेलाइन की बोतल सहित भागकर किसी तरह जान बचाकर नीचे उतार लिया। किसी ने अपनों की बिस्तर पर जिंदा लाश पड़ी देखी। ये मंजर कितना भयानक है, ये तो वो ही जान सकते हैं, जिन्होंने वो मंजर देखा होगा।
CM ने किया था मुआवजे का ऐलान
पचपेड़ी नाका इलाके में राजधानी नाम के कोविड अस्पताल में 17 अप्रैल की दोपहर आग लगी। इसकी वजह अब तक शॉर्ट सर्किट को बताया जा रहा है। प्रारंभिक जांच में अस्पताल में आग बुझाने के कोई इंतजाम, इमरजेंसी एग्जिट और वेंटिलेशन का प्रॉपर इंतजाम नहींं मिला है।
हादसे के दिन, रात के वक्त जिला कलेक्टर डॉक्टर एस भारतीदासन और सीनियर एसपी अजय यादव घटनास्थल पर पहुंच गए थे। हादसे के बाद 19 मरीजों के दूसरे अस्पताल और 10 को यशोदा अस्पताल भेजा गया। हादसे के फौरन बाद मृतकों के परिजनों के लिए सरकार ने 4-4 लाख रुपए का मुआवजा देने का एलान किया है।
फोरेंसिक टीम ने किया खुलासा
राजधानी अस्पताल अग्निकांड में 6 कोविड मरीजों (Hospital) की मौत के मामले में जांच कर रही फोरेंसिक टीम ने खुलासा किया। आग एसआईसीयू के एक पंखे में लगी और संभवत: ज्यादा ऑक्सीजन की वजह से वार्ड में तेजी से फैल गई। पंखा आईसीयू के छोटे से आइसोलेशन केबिन में लगा था।
इसमें स्टाफ भी बैठता था और मरीजों की फाइलेें भी थीं। इसी के ऊपर लगा पंखा शॉर्ट सर्किट से जला और सीधे फाइलों में जा गिरा। इससे आग भभकी। इस केबिन से लगे बेड में रमेश साहू थे, जो अचेत थे। आग इतनी तेजी से उनके बेड तक पहुंची कि उन्हें उठाने का मौका नहीं मिला। उनकी वहीं मौत हो गई इसके एक-दो मिनट के भीतर आग पूरे वार्ड में फैल गई।