छत्तीसगढ

राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुंज ने पानी की बर्बादी पर व्यक्त की चिंता, माना नगर निगम की निष्क्रिय का परिणाम

रायपुर। राजधानी रायपुर में लगभग सभी वार्डों में पानी की बर्बादी पर चिंता व्यक्त करते हुए समाजसेवी एवं राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने नगर निगम को आईना दिखाते हुए अवगत कराया है कि शहर में लगभग सभी इलाकों में किसी न किसी तरीके से पानी की बर्बादी हो रही है जो कि आने वाले समय के लिए बहुत ही भयावह है। इतने बड़े और अहम विषय पर भी नगर निगम निष्क्रिय है, यह बात समझ से परे है। क्या निगम को यह बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा है कि “जल ही जीवन होता है” अगर पानी की समस्या भविष्य में रायपुर में व्याप्त होती है तो उससे उस नगर निगम में कार्य करने वाले अधिकारी कर्मचारी व उनके परिवारों को भी जूझना पड़ेगा।उन्होंने आगे कहा कि पिछले 4 सालों से सफाई, जलभराव जैसे मुख्य बिंदु पर कई बार समाज की ओर से आवाज़ उठाई है। साथ ही पानी की समस्या पर भी वे काफी बार पहल कर चुके हैं, लेकिन बावजूद शहर के कई इलाकों में पाइप लाइन फूटी हुई हैं, कहीं लीकेज है, कहीं पानी गंदा हो रहा है जिससे लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। यह बात समझ से परे है कि प्रशासन इस मुख्य विषय पर चुप क्यों है? पानी की बचत हमें क्यों करना चाहिए इसके लिए जल के महत्व को हमें समझना होगा, मनुष्य अपने जीवन में दूसरी चीजों के बिना रह सकता है, परंतु ऑक्सीजन, पानी और अन्न इनके बिना वह नहीं जी सकता। इन तीन मूल्यवान चीजों में पानी का महत्व सबसे अधिक है। हमारी पृथ्वी पर 71% पानी है यह हम सब जानते हैं। परंतु 2% पानी ही हमारे पीने लायक है, इसलिए अगर हम पानी की बचत करें तो कल और आज इस समस्या का समाधान हो सकता है और इसके लिए पानी को सुरक्षित हमें आज ही से करना होगा व इसकी बर्बादी होने से रोकना होगा।

श्री पांडेय ने कहा कि 40 साल पहले भूमिगत जल 20 फुट पर उपलब्ध था लेकिन आज तकरीबन 100 फुट तक पहुंच गया है। यह सबसे बड़ा प्राकृतिक संकेत है और अगर हम अभी भी जागरूक नहीं हुए तो अंत सुनिश्चित है। इसीलिए मैं नगर निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों सहित नगर निगम के महापौर से हाथ जोड़कर विनती करता हूँ कि कम से कम इंसानियत के कारण ही सही, जल को बचाने और उसकी बर्बादी को रोकने के लिए सख्त से सख्त नियम बनाएँ, कानून बनाएँ और कार्रवाई करें ताकि हम आने वाली पीढ़ी को एक अच्छा और स्वस्थ रायपुर दे सकें।

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