छत्तीसगढ

राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे विशेष: मरीज और डॉक्टर के बीच विश्वास जरूरी: डॉ.स्मित श्रीवास्तव

रायपुर, 01 जुलाई।  डॉक्टर्स की सेवा भावना की वजह से ही मरीजों को नया जीवन मिलता है। इसलिए चिकित्सकों को धरती का भगवान और जीवनदाता भी कहा जाता है। डॉक्टरों के समर्पण और ईमानदारी के प्रति सम्मान जाहिर करने के लिए प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। । परंतु आज डॉक्टर और मरीज के बीच विश्वास का संबंध नहीं रह गया है I चिकित्सक और मरीज के बीच  विश्वास होगा तभी डॉक्टर समर्पित भाव से सेवा कर सकेंगे।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीच्यूट (एसीआई) के विभागाध्यक्ष डॉ.स्मित श्रीवास्तव का कहना है “हर चिकित्सक अपना जीवन दाव पर लगाकर मरीजों को नई ज़िंदगी देता है। इसलिए इस दिवस विशेष पर मरीज का विश्वास हासिल कर सकें जिससे डॉक्टर और मरीज के बीच अच्छा संबंध हो, इसका संकल्प लेना चाहिए।“

कार्डियालॉजिस्ट डॉ.स्मित श्रीवास्तव ने एडवांस कार्डियक इंस्टीच्यूट (एसीआई) में अपनी 7 वर्षो की सेवाओं में लगभग 7500 से ज्यादा दिल के मरीजों का इलाज किया है।  छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़, राजनांदगांव से प्रारंभिक शिक्षा हासिल की। इसके बाद भिलाई से उन्होंने 12 वीं कर पीएमटी ( प्री मेडिकल टेस्ट) की तैयारी की और पहली ही बार में उन्होंने पीएमटी पास कर मध्यप्रदेश के इंदौर में मेडिकल की पढ़ाई शुरू की। परंतु एक वर्ष इंदौर में पढ़ने के बाद रायपुर मेडिकल कॉलेज में उन्होंने एडमिशन लिया और एमबीबीएस की डिग्री रायपुर मेडिकल कॉलेज से ली। इसके बाद यहीं उन्होंने एमडी किया। उन्होंने दिल्ली के प्रख्यात अस्पताल गंगाराम अस्पताल और जीबी पंत अस्पताल के कार्डियक विभाग में सेवाएं देने के बाद  डीएम की शिक्षा उन्होंने पीजीआई चंडीगढ़ से की। परंतु अपनी माटी छत्तीसगढ़ के लोगों की सेवा करने के लिए उन्होंने वर्ष 2013 में रायपुर मेडिकल कॉलेज कार्डियक विभाग में ज्वाइन किया। इसके बाद 2017 में एसीआई की स्थापना होने पर वह कार्डियेक विभाग के विभागाध्यक्ष बन सेवाएं दे रहे हैं।

डॉ. स्मित बताते हैं उन्हें अपने पिताजी डॉ. क्रांति कुमार श्रीवास्तव (जो पेशे से चिकित्सक थे और डोंगरगढ़ में पदस्थ थे) के समर्पण और सेवा भावना को देखकर डॉक्टरी पेशे में आने की प्रेरणा मिली। उनकी प्रेरणा से ही अब तक दिल के बीमारों की सेवा कर उन्हें सुकून मिलता है ,परंतु उनका कहना है अभी तो शुरूआत की है आगे और जाना है । पिताजी की  भांति मरीजों का विश्वास हासिल कर अपने हुनर को और निखारते हुए लोगों के जीवन की रक्षा करनी है।

डॉ. स्मित कहते हैं “राष्ट्रीय डॉक्टर्स दिवस पर उन सब डॉक्टर्स का आभार प्रकट करता हूँ । जिन्होंने ने मेरा मार्गदर्शन कर इस काबिल बनाया और अपने सभी मित्रों का जिनका मेरी सफलता में बराबर का योगदान दिया है।“

याद रहेंगी- डॉ. स्मित कहते हैं 4 साल की बच्ची ( जिसके दिल में सुराग था) को नया जीवन देकर उन्हें काफी संतुष्टि मिली। उस बच्ची के पिता ने कहा था “डॉक्टर साहब आपने मेरी बच्ची को दो जिंदगी दी है”I  जब डॉ. श्रीवास्तव ने बच्ची के पिता से पूछा ऐसा क्यों तो उन्होंने कहा एक जिंदगी दिल का सुराग बंद करके और दूसरा जीवन बिना चीरफाड़ कर उसे स्वस्थ्य करते हुए ताकि बिना दाग के बच्ची की शादि में कोई दिक्कत भी नहीं होगी। उस बच्ची के पिता की बातें उन्हें जीवन भर याद रहेंगी।

रहेगा अफसोस –डॉ. स्मित कहते हैं अपने कार्डियक इंस्टीच्यूट का कैथ लैब शिफ्ट होना है। जिसकी वजह से कुछ गतिविधियां आजकल बंद हैं।  कोविड-19 की महामारी की वजह से शिफ्टिंग में देर हो रही है जिसके कारण एक उम्रदराज व्यक्ति जिसकी वजह से एक उम्रदराज दिल के रोगी का उपचार नहीं कर सके जिसकी वजह से उनको जान को खतरा हो सकता हैI डॉ. श्रीवास्तव बताते हैं” अपने अस्पताल में सारी प्रक्रिया नहीं करने का उन्हें अफसोस रहेगा ।“

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