छत्तीसगढराज्य

Swadesh Darshan Scheme : ट्रायबल टूरिज्म सर्किट पहला फेज पूर्ण

रायपुर, 26 अप्रैल। Swadesh Darshan Scheme : छत्तीसगढ़ को पर्यटन के क्षेत्र में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिलने जा रही है। प्रदेश में आदिवासी परिपथ का विकास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए विभिन्न स्थलों को चिन्हाकित कर पर्यटन के रूप में विकरित किया जा रहा है।

इसी तारतम्य में स्वदेश योजना के तहत राज्य के वनाचंल क्षेत्र जशपुर-कुनकुरी-कमलेश्वरपुर-मैनपाट-महेशपुर-कुरदर-सरोधा दादर-गंगरेल-नथियानवागांव-कोण्डागांव-जगदलपुर-चित्रकोट-तीरथगढ़ को ‘ट्रायबल टूरिज्म सर्किट’ बनाने प्रथम फेस का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इसकी लागत 94 करोड़ 23 लाख रूपए है।

पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि स्वदेश योजना (Swadesh Darshan Scheme) के तहत ट्रायबल टूरिज्म सर्किट के लिए चिन्हाकित जशपुर को एथनिक पर्यटन ग्राम के रूप में विकसित किया गया है।

वहीं कुनकुरी में मार्ग सुविधा केन्द्र के रूप में विकसित किया गया है।

कमलेश्वपुर में इको एथनिक डेस्टीनेशन के रूप में विकसित किया गया है।

मैनपाट में इको एथनिक डेस्टीनेशन-पर्यटन सुविधाएं के रूप में विकसित किया गया है।

महेषपुर में मार्ग सुविधा केन्द्र के रूप में विकसित किया गया है।

कुरदर में इको टूरिस्ट डेस्टीनेशन के रूप में विकसित किया गया है।

सरोधा दादर में एथनिक पर्यटन ग्राम के रूप में विकसित किया गया है।

गंगरेल में ईको एथनिक टूरिस्ट डेस्टीनेशन के रूप में विकसित किया गया है।

नथियानवागांव में मार्ग सुविधा केन्द्र के रूप में विकसित किया गया है।

कोण्डागांव में एथनिक पर्यटक ग्राम के रूप में विकसित किया गया है।

जगदलपुर में एथनिक टूरिस्ट डेस्टीनेशन (लामनी पार्क – कैफैटेरिया पार्किंग) के रूप में विकसित किया गया है।

चित्रकोट में ईको एथनिक टूरिस्ट डेस्टीनेशन के रूप में विकसित किया गया है।

तीरथगढ़ में ईको एथनिक टूरिस्ट डेस्टीनेशन (नेचर ट्रेल, सीढ़िया रेलिंग) के रूप में विकसित किया गया है। 

फेस-2 में चिल्फी घाटी के रूप में किया जाएगा विकसित

अधिकारियों ने बताया कि स्वदेश दर्शन योजना फेस-2 के (Swadesh Darshan Scheme) अंतर्गत इको टूरिज्म सर्किट का कार्ययोजना तैयार कर लिया गया है। इस सर्किट में चिल्फी घाटी, अचानकमार-अमरकंटक घाटी एवं हसदेव बांगों डैम के सीमावर्ती क्षेत्र को शामिल किया गया है। प्रस्तावित योजना की लागत 81 करोड़ 26 लाख रूपए है। 

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