लालू, तेजस्वी व चिराग के साथ CM नीतीश के लिए भी बेहद अहम कल का दिन, जानिए इनसाइड स्टोरी
पटना, 4 जुलाई। बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में कल पांच जुलाई का दिन बेहद अहम रहने वाला है। लंबे समय बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) पार्टी के 25 साल पूरे होने पर आयोजित समारोह को संबोधित करेंगे। उधर, लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के दो-फाड़ होने के बाद चिराग पासवान (Chirag Paswan) पिता रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की जयंती के अवसर पर अपनी आशीर्वाद यात्रा (Ashirwad Yatra) के माध्यम से जनाधार की पुष्टि करेंगे। चिराग को अपने पाले में करने के लिए आरजेडी ने भी रामविलास पासवान की जयंती मनाने की घोषणा की है। बताया जाता है कि एलजेपी के विवाद पर चुप्पी साधे भारतीय जनता पार्टी (BJP) चिराग की यात्रा को मिले जनसमर्थन को आंक कर अपनी भावी रणनहति तय करेगी। अगर बीजेपी चिराग को समर्थन देती है तो इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) पसंद नहीं करेंगे, यह भी तय है।
आरजेडी स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करेंगे लालू
पांच जुलाई को आरजेडी अपने 24 साल पूरे होने पर 25वां स्थापना दिवस मना रहा है। माना जा रहा था कि इसमें शिरकत करने के लिए लालू प्रसाद यादव दिल्ली से पटना आएंगे, लेकिन बीमारी को देखते हुए फिलहाल वे दिल्ली में ही रहेंगे। वे दिल्ली से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समारोह को सम्बोधित करेंगे। चारा घोटाला (Fodder Scam) में लंबे समय तक जेल में रहने के बाद लालू कुछ महीने पहले ही जमानत पर रिहा होकर बाहर आए हैं। इसके बाद यह उनका पहला सार्वजनिक संबाेधन हाेगा, जिसपर सबों की निगाहें टिकीं हैं।
लालू प्रसाद यादव से आरजेडी को बल मिलना तय
जेल में रहने के दौरान प्रत्यक्ष राजनीति से कई साल तक कटे रहे लालू के इस सार्वजनिक अवतरण से आरजेडी को बल मिलेगा, यह तय है। लालू के मार्गदर्शन में पार्टी आगे की लड़ाई और तेज करेगी। पार्टी के नेता श्याम रजक (Shyam Rajak) बताते हैं कि पांच जुलाई से आरजेडी देश व बिहार में अराजक माहौल और महंगाई के खिलाफ लड़ाई का आगाज करेगी। लालू के बेटे व पिता की गैर-मौजूदगी में पार्टी की कमान संभाले तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) कहते हैं कि लालू प्रसाद को प्रताड़ित किए जाने के बावजूद पार्टी ने अपनी नीतियों तथा सामाजिक न्याय व धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। यह जंग आगे भी जारी रहेगी।
सत्ता के लिए कुछ सीटों का गणित साधने पर भी नजर
तेजस्वी यादव की बातों से स्पष्ट है कि आगे कोशिश पार्टी और महागठबंधन (Mahagathbandhan) को एकजुट रखते हुए बिहार की सियासत में और लालू की संजीवनी के साथ और आक्रमक होने की है। नजरें कुछ सीटों के गणित को साध कर सत्ता हासलि करने की है। हालांकि, सत्ताधारी दल ऐसी किसी संभावना से इनकार करते हैं। जिन दो छोटे दलों विकासशील इनसान पार्टी (VIP) व हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के विधायकों को आरजेडी द्वारा तोड़ने की कोशिश की चर्चा होती रही है, दोनों के अध्यक्ष क्रमश: मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) व जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की नीतीश कुमार की सरकार (Nitish Kumar Government) को मजबूत बताया है।
आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से चिराग का शक्ति प्रदर्शन
दूसरी तरफ एलजेपी के लिए भी पांच जुलाई का दिन बेहद अहम है। दो-फाड़ हो चुकी पार्टी पर चिराग पासवान की पकड़ कितनी गहरी है, यह पांच जुलाई की उनकी आशीर्वाद यात्रा से साफ हो जाएगा। रामविलास पासवान की विरासत की इस जंग में उनकी जयंती के अवसर पर बेटे चिराग यात्रा के माध्यम से सहानुभूति बटोरने के साथ जमीनी शक्ति का भी प्रदर्शन करेंगे। रामविलास पासवान की विरासत पर दावा में पार्टी का दूसरा गुट भी भला पीछे क्यों रहता? एलजेपी के पारस गुट के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस भी पांच जुलाई को पटना में अपनी ताकत का एहसास कराने के लिए बड़ा आयोजन करने की तैयारी में जुटे हैं।
क्या कल के बाद एलजेपी को ले मुख खोलेगी बीजेपी?
चिराग व पारस की इस जंग के बीच बीजेपी की चुप्पी के गहरे राजनीतिक मायने तलाशे जा रहे हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी पांच जुलाई की यात्रा में माध्यम से यह आंकलन करेगी कि चिराग की पार्टी व वोटों, खासकर दलित वोटों पर रामविलास पासवान वाली पकड़ है या नहीं। इसके बाद संभव है कि बीजेपी मुंह खोले।
एलजेपी को ले बीजेपी की नीति का पड़ेगा गहरा असर
एक बात और महत्वपूर्ण यह है कि एलजेपी को लेकर बीजेपी की नीति का बिहार एनडीए के साथ महागठबंधन पर भी पर गहरा असर पड़ना तय है। ये चिराग ही हैं, जिन्होंने एनडीए में रहते हुए बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) में नीतीश कुमार व उनके जनता दल यूनाइटेड (JDU) का विरोध कर पार्टी को तीसरे नंबर पर धकेलने में अहम भूमिका निभाई थी। ऐसे में अगर बीजेपी ने चिराग को समर्थन दिया तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसे कहां तक बर्दाश्त कर पाएंगे, यह बड़ा सवाल है। उधर, बीजेपी का समर्थन नहीं मिलने पर चिराग अकेले रहने या महागठबंधन का बुलावा स्वीकार करने का फैसला ले सकते हैं।
चिराग पासवान भी करेंगे अपनी रणनीति का खुलासा
बीजेपी कर रूख साफ होते ही चिराग पासवान भी अपनी भावी रणनीति का खुलासा करेंगे। चिराग को अभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद तो है, लेकिन वे पहले यह भविष्य की अपनी रणनीति तय करने के लिए स्वतंत्र होने की बात भी कह चुके हैं।
…अब आगे-आगे देखिए, होता है क्या?
कुल मिलाकर बिहार की राजनीति की आगे की दिशा तय करने में पांच जुलाई की बड़ी भूमिका होगी, यह तय लग रहा है। अब आगे-आगे देखिए, क्या होता है।