छत्तीसगढ

विधानसभा का मॉनसून सत्र: दूसरे दिन संसदीय सचिव के नियुक्ति को लेकर गरमाया सदन…

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधान सभा का आज दूसरा दिन है। मानसून सत्र में विधायक अजय चंद्रकर ने संसदीय सचिव के नियुक्ति को लेकर सवाल उठाए है। विपक्ष लगातार प्रशासन को सवालों में घेरने का प्रयास कर रह है इसके पहले भाजपा विधायक दल के नेता धरमलाल कौशिक ने लोक निर्माण विभाग में कनिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदारी देने और वरिष्ठ अधिकारियों को दरकिनार करने का मुद्दा उठाया। जिसके बाद सदन का महौल गर्म हो गया।  बीजीपी विधायकों ने कोरोना संक्रमण पर स्थगन प्रस्ताव की सूचना सदन में देकर चर्चा की मांग की। बीजेपी विधायकों ने  कोरोना व्यवस्था को लेकर सवाल किया देव ने इसका जवाब दिया है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने संसदीय सचिव की नियुक्ति पर सवाल उठाए। चंद्राकर ने कहा – क्या उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार यह निर्णय लिया गया है ?

इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह पूछते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के क्या निर्देश है ? सीएम ने कहा विधायकों की इस नियुक्ति से सीखने का अवसर मिलेगा। विधि मंत्री मोहम्मद अक़बर ने कहा – उच्च न्यायालय के निर्देश आए हैं, उनका पालन किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लंबित थी तो आपने संसदीय सचिव को क्यों इस व्यवस्था को खत्म नहीं किया। 15 साल क्या आपने संसदीय व्यवस्था की किताब को आपने पढ़ा नहीं था। जो आपने संसदीय सचिव की नियुक्ति की थी।

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा हमारे संसदीय सचिव को लेकर कांग्रेस के लोग कोर्ट गए थे। सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है, फिर भी आपने नियुक्ति की, उनकी वैधानिक स्थिति क्या है। क्या क्या अधिकार हैं ?

धर्मजीत सिंह ने कहा संसदीय सचिव की स्थितयां सपष्ट होनी चाहिए। उनके अधिकार के बारे में सदन को बताया जाए।

विधि मंत्री अकबर ने कहा संसदीय सचिव विधानसभा में उत्तर नहीं दे सकते, उनको विधानसभा के कार्यों में मंत्रियों को सहयोग करना है। संसदीय सचिवों को मंत्रियों के साथ काम करना है उनका परिचय हो गया है।

अजय चंद्राकर ने कहा उच्च न्यायालय में क्या निर्देश दिए हैं क्या उसका पालन हो रहा है। यह स्पष्ट कर सदन को अवगत कराया जाए।

सीएम भूपेश बघेल ने कहा विधानसभा में परिचय क्यों नहीं कराया गया। हाईकोर्ट ने क्या निर्देश दिया ? क्या सदन में परिचय कराने की परंपरा रही है। परंपरा बनाना चाहते हैं ! आपके कार्यकाल में उच्च न्यायालय का फैसला आया क्या आपने उस समय अवगत कराया था। फिर आपको आज क्यों अवगत होना है ?

संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा उच्च न्यायालय के फैसले को लेकर सदन में चर्चा नहीं हो सकती।

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा संसदीय सचिव विधायक के रूप में कार्य नहीं कर पा रहे। संसदीय सचिव खुद चाहते हैं, उन्हें अपने अधिकार के बारे में जानकारी नहीं है। यह सत्र चलते हुए, निर्देश जारी किया जाए।

अजय चंद्राकर ने कहा न्यायालय के फैसले पर जो निर्देश जारी हुए हैं उस पर चर्चा हो सकती है।

विधि मंत्री ने कहा विधायकों के अधिकार के बारे में नियमावली में है , संसदीय सचिव को उत्तर देने का अधिकार नहीं है। केवल सहायता के नियुक्त किया गया है। जो मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है उस पर चर्चा नहीं हो सकती।

इसके बाद विस अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत ने व्यवस्था को सुरक्षित रखा।

बीजेपी विधायकों ने सरकार से पूछा कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं, जानमाल की क्षति हो रही है, प्रदेश भर में क्वारन्टीन सेंटर बनाये गए हैं जिन्हें निश्चित समय तक रखा जा रहा है। क्वारन्टीन सेंटर में लोगों की मौते अव्यवस्था से मौत हो रही है। सांप बिच्छु के काटने से मौत हो रही है। महिला से छेड़छाड़ हो रही है। अव्यवस्था से तंग आकर लोगों की मौत हो रही है।
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस पर जवाब देते हुए कहा यह कहना असत्य है कि अव्यवस्था के कारण मौतें हुई है। जामा बाई बुढ़गहन पामगढ़ की सर्पदंश से मौत नहीं हुई, वह ठीक होकर शराबखोरी की शिकायत आई थी गंडई थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

6 लाख 70 हजार लोगों के रुकने की व्यवस्था की गई थी। पानी बिजली तमाम व्यवस्था की गई थी।

प्रदीप केरकेट्टा सीतापुर ने दुखद आत्महत्या की थी, तुलसी दलगा, पंडरिया के आत्महत्या की जानकारी सही नहीं है।

चीन में कोरोना की सूचना के बाद 2 फरवरी 2020 से ही सरकार ने इसकी तैयारी कर दी थी।अस्पताल के सुरक्षा उपकरण की व्यवस्था की गई। प्रतिदिन कोरोना बुलेटिन के माध्यम से जानकारी प्रसारित की गई है। मई तक केवल 3 सक्रिय मरीज थे, प्रवासी मजदूरों के आने के बाद कोरोना बढ़ा।

सिंहदेव ने आगे कहा राज्य सरकार ने कोरोना चिकित्सकों को इंसेंटिव देने की व्यवस्था की गई है। निःशुल्क रखने खाने और परिवहन की व्यवस्था की गई है। 108 करोड़ 37 लाख स्वास्थ्य विभाग ने खर्च किये हैं, 7 लाख 94 हजार प्रवासी मजदूर वापस आये हैं।

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