विशेष लेख: ‘लघु वनोपजों का संग्रहण: वनवासियों की आय का महत्वपूर्ण साधन’
*लघु वनोपजों के लिहाज से समृद्ध है छत्तीसगढ़*
*वनोपजों के कारोबार से जुडे़ंगी 50 हजार से भी अधिक महिलाएं*
*लघु वनोपजों की खरीदी का बढ़ा दायरा: सात से बढ़कर 22 तक पहुंची संख्या*
प्रेमलाल पटेल, सहायक संचालक (जनसंपर्क)
रायपुर। छत्तीसगढ़ लघु वनोपजों के लिहाज से एक समृद्ध राज्य है। लघु वनोपजों का उत्पादन आम तौर पर वनों में विभिन्न प्रजाति के वृक्षों से होता है, इसमें मुख्यतः तेन्दूपत्ता, बांस, इमली, महुआ, गोंद, हर्रा, लाख, चिरौंजी, खैर, बबूल, साल बीज, चरौटा बीज, वन तुलसी, आम गुठली, नागर मोथा, आंवला फल, चार गुठली, कुसुम बीज, धवई फूल तथा बेल आदि आते हैं। लघु वनोपज वनों में रहने वाले वनवासियों के लिए प्राचीन काल से ही जीविकोपार्जन का एक महत्वपूर्ण साधन रहा है। वनवासी इन लघु वनोपज का उपयोग खाद्य पदार्थ तथा औषधि के रूप में करते रहे हैं। वर्तमान में लघु वनोपज ना केवल वनवासियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, अपितु आज ये देश तथा प्रदेश के लिए राजस्व प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण साधन हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य शासन द्वारा हाल ही में प्रदेश में अब कुल 22 लघु वनोपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी का निर्णय लिया गया है। इसके पहले प्रदेश में वर्ष 2015 से वर्ष 2018 तक मात्र सात वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदी जा रही थी। वर्तमान में सरकार द्वारा वनवासी ग्रामीणों के हित को ध्यान में रखते हुए खरीदी जाने वाली लघु वनोपजों की संख्या को बढ़ाकर 22 कर दी गई है। इसके तहत राज्य में अब 22 लघु वनोपजों सालबीज, हर्रा, इमली बीज सहित, चिरौंजी गुठली, महुआ बीज, कुसुमी लाख, रंगीनी लाख, कालमेघ, बहेड़ा, नागरमोथा, कुल्लू गोंद, पुवाड़, बेलगुदा, शहद तथा फूल झाडू, महुआ फूल (सूखा), जामुन बीज (सूखा), कौंच बीज, धावई फूल (सूखा) करंज बीज, बायबडिंग और आंवला (बीज रहित) की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाएगी। इसके अलावा तीन वनोपजों रंगीनी लाख पर 20 रूपए, कुल्लू गोंद पर 20 रूपए तथा कुसुमी लाख पर 22 रूपए प्रति किलोग्राम की दर से अतिरिक्त बोनस प्रदाय करने की घोषणा भी गई है।
प्रदेश के लगभग 50 प्रतिशत गांव वनों की सीमा से पांच किलोमीटर की परिधि के अंदर आते हैं, जहां के निवासी मुख्यतः आदिवासी हैं और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं, जो जीविकोपार्जन के लिए मुख्यतः वनों पर निर्भर है। इसके अलावा बड़ी संख्या में गैर आदिवासी, भूमिहीन तथा आर्थिक दृष्टि से पिछड़े समुदाय के लोग भी वनों पर आश्रित हैं। राज्य में वानिकी कार्यों से हर वर्ष लगभग सात करोड़ मानव दिवस रोजगार का सृजन होता है। वनों से ग्रामीणों को लगभग दो हजार करोड़ रूपए का लघु वनोपज तथा अन्य निस्तार सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। इस तरह छत्तीसगढ़ के संवहनीय और समग्र विकास में इनका विशिष्ट स्थान है।
प्रदेश में नई औद्योगिक नीति वर्ष 2019-24 के तहत लघु वनोपज आधारित उद्योगों को उच्च प्राथमिकता उद्योग की श्रेणी में शामिल किया गया है। इसके तहत नवीन उद्योग के लिए स्थायी पूंजी निवेश अनुदान तथा ब्याज अनुदान आदि विशेष अनुदान देने का प्रावधान रखा गया है। अब राज्य में स्थापित किए जाने वाले नवीन तथा पूर्व में स्थापित लघु वनोपज आधारित उद्योगों को कच्चे लघु वनोपज की आपूर्ति सुगमा से होगी। साथ ही इसके संग्राहकों तथा स्व-सहायता समूहों के लिए अतिरिक्त रोजगार का सृजन भी होगा।
राज्य में लघु वनोपजों के संग्रहण के लिए 590 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों में 821 संग्रहण केन्द्र हाट बाजार स्तर पर स्थापित किए गए हैं। इसके अंतर्गत आने वाले लगभग साढे तीन हजार ग्रामों के स्व-सहायता समूहों के माध्यम से संग्रहण करने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा संग्रहित लघु वनोपजों के प्राथमिक प्रसंस्करण तथा बिक्री की सुविधा के लिए 139 वन धन विकास केन्द्र भी स्थापित किए गए हैं। मुख्यमंत्री श्री बघेल के निर्देश और वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य में इस तरह ग्राम संग्रहण केन्द्र स्तर तथा वन धन विकास केन्द्र स्तर पर लघु वनोपज के संग्रहण तथा प्राथमिक प्रसंस्करण का जिम्मा 5000 से अधिक महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपा गया है। इसके तहत महिला समूहों में शामिल 50 हजार से अधिक महिलाओं को लघु वनोपजों के संग्रहण तथा प्राथमिक प्रसंस्करण से अतिरिक्त आय प्राप्त होगी।
राज्य में वर्ष 2019 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली इन 22 लघु वनोपजों के लिए दर निर्धारित है। इसके तहत साल बीज 20 रूपए प्रति किलोग्राम, हर्रा 15 रूपए, इमली बीज सहित 31 रूपए तथा चिरौंजी गुठली 109 रूपए प्रति किलोग्राम की दर पर खरीदी जाएगी। इसी तरह महुआ बीज के लिए 25 रूपए, कुसुमी लाख के लिए 225 रूपए, रंगीनी लाख के लिए 150 रूपए तथा कालमेघ के लिए 33 रूपए प्रति किलोग्राम के मान से दर निर्धारित है। इनमें बहेड़ा को 17 रूपए, नागर मोथा को 27 रूपए, कुल्लू गोंद को 120 रूपए तथा पुवाड़ को 14 रूपए प्रति किलोग्राम की दर पर खरीदी जाएगी। इसके अलावा बेलगुदा के लिए 27 रूपए, शहद के लिए 195 रूपए और फूल झाडू के लिए 30 रूपए प्रति किलोग्राम के मान से खरीदी के लिए दर निर्धारित है।
इसी तरह महुआ फूल (सूखा) को 17 रूपए प्रति किलोग्राम की दर पर खरीदी की जाएगी। जामुन बीज (सूखा) को 36 रूपए प्रति किलोग्राम, कौंच बीज को 18 रूपए प्रति किलोग्राम तथा धावई फूल (सूखा) को 32 रूपए प्रति किलोग्राम की दर पर खरीदी जाएगी। करंज बीज को 19 रूपए प्रति किलोग्राम, बायबडिंग को 81 रूपए प्रति किलोग्राम और आंवला (बीज रहित) को 45 रूपए प्रति किलोग्राम की दर पर खरीदी की जाएगी। राज्य में इन 22 लघु वनोपजों की लगभग एक हजार करोड़ रूपए की उपज का संग्रहण वनवासियों द्वारा किया जाता है और इसे हाट बाजारों में बिक्री के लिए लाया जाता है।