छत्तीसगढ

शहीद गैंदसिंह के श्रद्धांजलि समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री, कहा- शहीद गैंदसिंह का बलिदान अविस्मरणीय

रायपुर, 21 जनवरी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छुरिया विकासखंड के ग्राम गोड़लवाही में अखिल भारतीय हलबा-हलबी आदिवासी समाज महासभा बालोद द्वारा आयोजित शहीद शिरोमणि गैंदसिंह की श्रद्धांजलि समारोह में शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने शहीद गैंदसिंह को नमन करते हुए श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि शहीद गैंदसिंह ने 1824 ईसवी में परलकोट में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया और 20 जनवरी 1825 को अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हुए। मुख्यमंत्री ने शहीद गैंदसिंह के बलिदान को अक्षुण्य रखने के लिए राजनांदगांव में प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पुरखों के बलिदान को आने वाली पीढ़ी को बताना होगा। छत्तीसगढ़ की प्राचीन परम्परा और संस्कृति को अक्षुण्य रखने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। आदिवासी परम्परा एवं संस्कृति के संरक्षण के लिए नवा रायपुर में 10 एकड़ भूमि में संग्रहालय एवं शोधपीठ का निर्माण किया जाएगा। वहीं देवगुड़ी एवं घोटुल के संरक्षण के लिए भी कार्य किये जा रहे हैं। हरेली, करमा, तीजा, विश्व आदिवासी दिवस, भक्त माता कर्मा जयंती के लिए अवकाश घोषित किया गया है, ताकि हमारी पहचान बरकरार रहे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर गोड़लवाही में आश्रम, छात्रावास एवं स्कूल के निर्माण करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि राज्य में कोदो-कुटकी का भी समर्थन मूल्य घोषित किए जाने का निर्णय लिया गया है, इससे राजनांदगांव सहित आदिवासी अंचल के किसान बड़े पैमाने पर कोदो-कुटकी की खेती करते हैं उन्हें इसका लाभ होगा। उन्होंने कहा कि वनांचल के लोगों की माली हालत बेहतर बने इसके लिए इमारती वृक्षों की जगह फलदार वृक्षों के रोपण कराया जा रहा है, ताकि आम, आंवला, ईमली, चिरौंजी, हर्रा-बहर्रा आदि का व्यापक पैमाने पर उत्पादन हो। जिससे वनों के आस-पास रहने वाले लोगों को इसका लाभ मिले। लघु वनोपज से वैल्यूएडिशन का काम भी शुरू कर रहे हैं, ताकि हमारे वनोपज संग्राहकों को ज्यादा लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में 30 रूपए समर्थन मूल्य में महुए की खरीदी करने से वनवासियों को आर्थिक रूप से संबल मिला।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोरोना संकट के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राज्य के उपभोक्ताओं को 3 माह का निःशुल्क 35 किलो चावल प्रदाय कर उल्लेख करते हुए कहा कि इससे लोगों को बड़ी राहत मिली। कोरोना काल में ही मनरेगा के तहत प्रतिदिन 26 लाख परिवारों को रोजगार प्रदान किया गया, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के प्रत्येक व्यक्ति की उन्नति और खुशहाली सरकार की प्राथमिकता है। राज्य के कुपोषित बच्चों को सुपोषित बनाने तथा एनीमिक महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर करने के उद्देश्य से बस्तर से शुरू की गई मुख्यमंत्री सुपोषण योजना अब पूरे प्रदेश में संचालित की जा रही है। इस योजना का सुखद परिणाम सामने आया है। एक लाख बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं। सशक्त छत्तीसगढ़ के निर्माण के लिए बच्चों और माताओं का स्वस्थ होना जरूरी है। यह योजना स्वस्थ छत्तीसगढ़ के निर्माण अहम रोल अदा कर रही है। गरीब परिवारों के बच्चों भी अंग्रेजी माध्यम की निःशुल्क शिक्षा प्राप्त कर सकें इसके लिए प्रदेश में 52 अंग्रेजी माध्यम स्कूल शुरू किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने समर्थन मूल्य पर धान खरीदी और राजीव गांधी किसान न्याय योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी और कहा कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना की चौथी किश्त मार्च माह में किसानों को दे दी जाएगी।
महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेड़िया ने कहा कि आदिवासी जल, जंगल और जमीन से जुड़े हैं। शहीद गैंदसिंह ने आदिवासियों की सुरक्षा एवं संरक्षण तथा उनका शोषण रोकने के लिए कार्य किया। खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मान-सम्मान एवं संस्कृति को जीवंत रखने के लिए शासन द्वारा कार्य किया जा रहा है। विधायक खुजी श्रीमती छन्नी साहू ने कहा कि इस क्षेत्र में आकर मुख्यमंत्री ने हमारा गौरव बढ़ाया है। समाज को संगठित करने के लिए एकजुटता और विकास के लिए शिक्षा जरूरी है। अखिल भारतीय हलबा-हलबी आदिवासी समाज महासभा बालोद के अध्यक्ष लेमन सिंह करबगियां ने परलकोट के जमींदार शहीद गैंदसिंह के जंग-ए-आजादी में योगदान को रेखांकित किया। कार्यक्रम के आरंभ में वीरेंद्र मसिया ने स्वागत उद्बोधन दिया। कार्यक्रम में संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद, अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण दलेश्वर साहू, अध्यक्ष जिला पंचायत श्रीमती गीता साहू, महापौर श्रीमती हेमा देशमुख, अन्य जनप्रतिनिधि एवं कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा एवं पुलिस अधीक्षक डी श्रवण उपस्थित थे।

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