हाथरस मामला: यूपी पुलिस के अनुसार हाथरस मामले के पीछे बड़ी साजिश…गलत बयानी के लिए पीड़ित परिवार को 50 लाख की पेशकश
पीड़िता की मौत हो जाने के बाद के घटनाक्रमों से प्रदेश सरकार सवालों के घेरे में आ गई थी। जल्दबाजी में देर रात ढाई बजे पीड़िता के अंतिम संस्कार और फिर मीडिया तथा विपक्ष की एंट्री बंद करने से मुद्दे ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया था। मैजिस्ट्रेट के समक्ष दिए पीड़िता के बयान के बावजूद यूपी पुलिस का यह कहना कि रेप नहीं हुआ है। इसे लेकर राजनीतिक दलों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया।
एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा कि पूर्व नियोजित साजिश के तहत कुछ राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने माहौल को खरार करने की कोशिश की। उन्होंने आम लोगों को भड़काने का भी काम किया। हमने इनमें से कुछ की पहचान कर उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है। एडीजी ने कहा कि पोस्टरों, सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए प्रदेश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। मथुरा, बुलंदशहर, शामली, सहारनपुर, लखनऊ, प्रयागराज, बिजनौर और बुलंदशहर में केस दर्ज किए गए हैं।
गलत बयान के लिए 50 लाख की पेशकश!
एडीजी ने बताया कि पीड़िता के परिवार पर गलत बयान देने का दबाव था और उन्हें 50 लाख रुपये देने का वादा भी किया गया था। इसके साथ ही पीड़िता के भाई से यह कहा गया था कि वह अपने पिता को मीडिया में बयान देने के लिए मनाए। साथ ही कहे कि वह सरकार की कार्रवाई से खुश नहीं हैं। उन्होंने बताया, ‘हमने एक वायरल ऑडियो के जरिए माहौल खराब करने वालों पर भी केस दर्ज किया है। ये लोग एक ऑडियो वायरल कर रहे थे, जिसमें हाथरस पीड़िता के परिवार पर गलत बयान देने और उसके एवज में 50 लाख रुपये दिए जाने की बात की जा रही थी।’
‘विकास रोकने के लिए विपक्ष का षड्यंत्र’
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले पर राजनीति करने को लेकर विरोधियों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने विपक्षी दलों पर जातीय और सांप्रदायिक दंगा भड़काने की साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस दंगे की वजह में प्रदेश में विकास रुकेगा और इसकी आड़ में विपक्ष को अपनी रोटियां सेंकने का अवसर मिलेगा, इसलिए वे नित नए षड्यंत्र करते रहते हैं।
रिटायर्ड जज ने सुप्रीम कोर्ट में दी अर्जी
वहीं यूपी के एक रिटायर जज ने पुलिस की भूमिका की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। जज ने कहा कि पीड़ित और और उनके परिजन को अंतिम संस्कार के मौलिक अधिकार से वंचित किया गया है। इस मामले में यूपी के एडीसी से लेकर डीएम और एसपी के रोल की जांच की जरूरत है।
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