छत्तीसगढ

सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज श्री पटनायक ने की राज्य के आठ जिलों के अनुसूचित जनजाति वर्ग के रहवासियों के विरूद्ध दर्ज प्रकरणों की समीक्षा

रायपुर, 2 अक्टूबर। माननीय उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक (से.नि.) की अध्यक्षता में आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बस्तर संभाग के जिले क्रमशः बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर, कोण्डागांव तथा राजनांदगांव जिले के अनुसूचित जनजाति वर्ग के रहवासियों के विरूद्ध दर्ज प्रकरणों की समीक्षा की गई। बैठक में 528 प्रकरणों पर विचार किया गया। जिसमें से 216 प्रकरण अभियोजन से वापस लिए जाने की अनुशंसा समिति द्वारा की गई। इसी प्रकार 169 प्रकरण धारा 265 ए दंड प्रक्रिया सहिता के तहत अभिवाक सौदेबाजी (प्ली ऑफ बारगेनिंग) के माध्यम से न्यायालय से निराकरण हेतु अनुशंसा की गई।

बैठक में समिति के सदस्य एवं महाधिवक्ता छत्तीसगढ़ शासन सतीशचन्द्र वर्मा, अपर मुख्य सचिव गृह सुब्रत साहू, पुलिस महानिदेशक डी.एम. अवस्थी, सचिव गृह विभाग ए.डी. गौतम, महानिदेशक जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं संजय पिल्लै, संचालक लोक अभियोजन प्रदीप गुप्ता, पुलिस महानिदेशक रेंज बस्तर सुंदरराज पी., उप पुलिस महानिरीक्षक सीआईडी एस.सी. द्विवेदी, उप पुलिस महानिरीक्षक कांकेर डॉ. संजीव शुक्ला उपस्थित थे।

यहां यह उल्लेखनीय है कि पूर्व में अक्टूबर 2019 एवं मार्च 2020 में समिति द्वारा उक्त आठों जिलों के अनुसूचित जनजाति वर्ग के रहवासियों के विरूद्ध दर्ज कुल 404 प्रकरणों को अभियोजन से वापस लिए जाने तथा 81 प्रकरण धारा 265 ए दंड प्रक्रिया संहिता के तहत अभिवाक सौदेबाजी (प्ली ऑफ बारगेनिंग) के माध्यम से न्यायालय से निराकरण हेतु अनुशंसा की गई थी। इस प्रकार अब तक अनुसूचित जनजाति वर्ग के रहवासियों के विरूद्ध दर्ज कुल 620 प्रकरणों को अभियोजन से वापस लिए जाने तथा 250 प्रकरण धारा 265 ए दंड प्रक्रिया संहिता के तहत अभिवाक् सौदेबाजी (प्ली ऑफ बारगेनिंग) के माध्यम से न्यायालय से निराकरण हेतु अनुशंसा की जा चुकी है।

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