छत्तीसगढ

CM भूपेश ने गठित्त किया ‘गोधन न्याय मिशन‘, कृषि मंत्री अध्यक्ष और शर्मा होंगे उपाध्यक्ष

रायपुर, 4 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ में गोधन ने योजना को मिशन मोड पर संचालित करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ‘गोधन न्याय मिशन‘ का गठन करने के निर्देश दिए हैं। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे इसके अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा को उपाध्यक्ष बनाया गया है।

गोधन न्याय मिशन में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह और सचिव वित्त अलरमेलमंगई डी. सदस्य होंगी। विशेष सचिव कृषि डॉ. एस. भारतीदासन मिशन के प्रबंध संचालक तथा उप सचिव कृषि अतिरिक्त प्रबंध संचालक होंगे। मिशन में प्रतिनिधि के रूप में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ तथा दो अन्य अनुभवी एवं विशेषज्ञ को सदस्य के रूप में गोधन न्याय मिशन के अध्यक्ष द्वारा मनोनीत किया जाएगा।

राज्य में पशुपालन और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2020 से गोधन न्याय योजना का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत पशुपालकों एवं किसानों से दो रूपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीदी की जाती है। इस गोबर से महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा सुराजी गांव योजना के तहत स्थापित गौठानों में जैविक खाद का निर्माण किया जा रहा है। अभी तक 50 लाख क्विंटल से भी अधिक गोबर का क्रय किया जा चुका है। क्रय किए गए गोबर से कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट के अतिरिक्त विद्युत उत्पादन तथा अन्य अनेक प्रकार की वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है।

हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोबर से जैविक खाद उत्पादन के साथ-साथ विद्युत उत्पादन की परियोजना का भी शुभारंभ किया है। पहले चरण में रायपुर, दुर्ग और बेमेतरा जिलों के तीन गौठानों में विद्युत उत्पादन शुरू भी हो गया है। CM बघेल ने इस परियोजना को राज्य के सभी गौठानों में लागू करने के निर्देश दिए हैं। राज्य में अब तक 10 हजार से ज्यादा गौठान स्वीकृत हो चुके हैं। इनमें से 6 हजार से ज्यादा गौठान निर्मित होकर सक्रिय भी हो चुके हैं। सम्पूर्ण व्यवस्था का प्रबंधन स्थानीय स्तर पर किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा है कि गोबर संग्राहकों को योजना से अधिक से अधिक लाभ मिले और गोबर के अधिकतम लाभकारी उपयोग के लिए आवश्यक है कि इसका प्रबंधन व्यावसायिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ किया जाए। इसके लिए मिशन मोड में कार्य किया जाए जिसमें वैज्ञानिकों, प्रबंधन एवं विपणन विशेषज्ञता रखने वाली संस्थाओं, एनजीओ, कम्पनियों के कन्सलटेंट आदि की सेवाएं ली जाएं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button