छत्तीसगढ

वन मंत्री ने 43 नचा गम्मत परिवारों को दी आर्थिक सहायता, कहा- कला-संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने में उनकी भूमिका अहम

रायपुर, 21 जनवरी। वन, परिवहन, आवास, पर्यावरण, विधि विधायी तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री तथा कवर्धा विधायक मोहम्मद अकबर द्वारा अपने स्वेच्छानुदान मद से कोविड संक्रमण कोराना काल में पिछले दो बरसों से बेरोजगारी की दौर से गुजर रहे लोक कलाकार नाचा गम्मत के 43 दलों को 10 लाख 75 रूपए की आर्थिक सहायता प्रदान कर मदद की जा रही है।

अकबर ने आज कबीरधाम जिले के लोक कलाकार नाचा गम्मत परिवार के 29 दलों को 25-25 हजार रूपए कुल 7 लाख 50 हजार रूपए की आर्थिक सहायता राशि प्रदान की। शेष अन्य नाचा-गम्मत लोक कलाकारों को स्वीकृत आर्थिक राशि पहुंचाई जाएगी। उन्होंने मंत्री अपने रायपुर के शंकरनगर स्थित निवास से वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सभी लोक कलाकार सदस्यों से सीधे चर्चा कर सभी का हाल-चाल जाना। इस अवसर पर कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ शाकम्भरी बोर्ड के सदस्य श्री हरि पटेल एवं नगरपालिका अध्यक्ष ऋषि कुमार शर्मा भी उपस्थित थे।

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष ग्राम समनापुर में पटेल सामाज के आराध्य देवी शाकम्भरी मंदिर प्रांगण में छत्तीसगढ़ लोक कल्याण नाचा गम्मत परिवार द्वारा सम्मान समारोह का आयोजन हुआ था। सम्मेलन में कैबिनेट मंत्री अकबर शामिए हुए थे।

सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलो से आए लोक कलाकार नाचा गम्मत के 43 दलो ने कोरोना काल में आर्थिक मदद की मांग की थी। जिसमें 35 दल कबीरधाम जिले के थे। मंत्री अकबर द्वारा लोक कलाकारों की मांग को सुनने के बाद सभी दलों को अपने स्वेच्छानुदान मद से 10 लाख 75 हजार रूपए आर्थिक सहयोग देने की घोषणा की गई थी।

उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति और परम्मराओं को जीवंत करने में राज्य के लोक कलाकारों और नाचा-गम्मत से जुडे़ परिवारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के विशेष प्रयासों से राज्य में छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति एवं परम्पराओं को जीवंत बनाए रखने का सार्थक प्रयास शुरू हो गया है।

संस्कृति और परम्पराओं को सहेजने के लिए संस्कृति परिषद के गठन से राज्य के कलाकारों एवं शिल्पियों को एक मंच मिला है। इससे छत्तीसगढ की ंसाहित्य, संगीत, नृत्य, रंगमंच, चित्रकला, मूर्तिकला, सिनेमा और आदिवासी एवं लोककलाओं को विस्तार, प्रोत्साहन और कलाकारों के संरक्षण में मदद मिलेगी। छत्तीसगढ़ सरकार का यह प्रयास सराहनीय है।

जनजातीय समुदाय के नृत्य-गीत, पर्व, आस्था और संस्कृति के संरक्षण, प्रोत्साहन और प्रचार-प्रसार तथा कला परम्परा के परस्पर सांस्कृतिक विनिमय के लिये मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की रूचि के चलते राज्य में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के गौरवशाली आयोजन की शुरूआत हुई है। इससे जनजातीय कला एवं संस्कृति विश्व पटल पर प्रसारित हुई है।

राजिम कुंभ को अब राजिम माघी पुन्नी मेला नाम से जाना जाने लगा है। माघी पुन्नी मेला छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक है और इसके आयोजन के वर्षों पुरानी परम्परा को सरकार ने पुनर्जीवित कर दिया है। सिरपुर महोत्सव के आयोजन से छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति को बढ़ावा और कलाकारों को मंच मिलता है।

संस्कृति परिषद के अंतर्गत साहित्य अकादमी, कला अकादमी, आदिवासी एवं लोककला अकादमी, छत्तीसगढ़ फिल्म विकास निगम, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग और छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी प्रभाग बनाए गए हैं। नवा रायपुर में फिल्मसिटी विकसित करने की योजना है। नवा रायपुर में पुरखौती मुक्तांगन के समीप राज्य की जनजातीय कला, शिल्प एवं परम्परा तथा लोक जीवन का विशाल मुक्ताकाशी संग्रहालय ‘पुरखौती मुक्तांगन’ विकसित किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत जनजातीय प्राचीन संस्कृति का विशिष्ट स्वरूप, छत्तीसगढ़ की बहुरंगी संस्कृति के विभिन्न आयामों ‘आमचो बस्तर’ के पश्चात् ‘सरगुजा प्रखंड’ का विकास किया जा रहा है।

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