
नई दिल्ली, 08 सितंबर। Delhi AIIMS : देश की राजधानी दिल्ली में चिकित्सा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) को पहली बार भ्रूण दान प्राप्त हुआ है, जो न केवल विज्ञान के लिए, बल्कि मानवता के लिए भी एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह पहल एक ऐसे परिवार से शुरू हुई, जिसने अपने गहरे व्यक्तिगत दुख को समाज और विज्ञान की सेवा में बदल दिया।
पांचवें महीने में हुआ गर्भपात, परिवार ने लिया बड़ा फैसला
32 वर्षीय वंदना जैन का पांचवें महीने में गर्भपात हो गया था। इस कठिन समय में, उनके परिवार ने असाधारण संवेदनशीलता और साहस का परिचय देते हुए भ्रूण को शोध और शिक्षा के लिए एम्स को दान करने का निर्णय लिया। यह देश में भ्रूण दान का पहला दर्ज मामला है।
दधीचि देहदान समिति की तत्परता से बना संभव
सुबह 8 बजे जैन परिवार ने दधीचि देहदान समिति से संपर्क किया। समिति के उपाध्यक्ष सुधीर गुप्ता और समन्वयक जी.पी. तायल ने तत्काल पहल करते हुए एम्स के एनाटॉमी विभाग के प्रमुख डॉ. एस.बी. राय और उनकी टीम से समन्वय किया। दिनभर की कड़ी मेहनत और दस्तावेज़ी प्रक्रिया के बाद, शाम 7 बजे एम्स ने अपना पहला भ्रूण दान प्राप्त किया।
भ्रूण अध्ययन से खुलेंगे चिकित्सा शोध के नए द्वार
एम्स के एनाटॉमी विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुब्रत बासु ने बताया कि भ्रूण अध्ययन मानव शरीर के विकास को समझने में अत्यंत सहायक होता है। इससे वैज्ञानिक यह जान सकते हैं कि शरीर के विभिन्न अंग किस क्रम और समय में विकसित होते हैं। उदाहरण के तौर पर, नवजात शिशु का नर्वस सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होता और यह दो साल तक धीरे-धीरे परिपक्व होता है। भ्रूण से संबंधित शोध छात्रों और वैज्ञानिकों को गहरी समझ प्रदान करता है।
एजिंग और बच्चों की चिकित्सा में भी मिल सकती है मदद
डॉ. बासु ने बताया कि भ्रूण में टिश्यू तेजी से विकसित होते हैं, जबकि बुढ़ापे में वे क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। यदि शोधकर्ता यह समझ सकें कि कौन से तत्व टिश्यू को ग्रो या डैमेज करते हैं, तो उम्र से जुड़ी बीमारियों का समाधान निकल सकता है। इसके अलावा, बच्चों में एनेस्थीसिया की सटीक डोज़ तय करने में भ्रूण अध्ययन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, क्योंकि इससे यह समझा जा सकता है कि किस अवस्था में कौन सा अंग कितना विकसित है।
जैन परिवार की संवेदनशीलता और समर्पण बना उदाहरण
वंदना जैन और उनके परिवार ने यह कदम उठाकर न केवल चिकित्सा जगत को नई दिशा दी, बल्कि समाज को भी संवेदनशीलता, साहस और समर्पण का संदेश दिया। दधीचि देहदान समिति, जो पहले से ही अंगदान, नेत्रदान और देहदान को लेकर जागरूकता फैला रही है, अब भ्रूण दान के क्षेत्र में भी एक नई शुरुआत कर चुकी है।
यह पहल (Delhi AIIMS) न केवल विज्ञान की प्रगति के लिए, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है।