छत्तीसगढ

Mahadev Satta App Case : बिग ब्रेकिंग…! सुप्रीम कोर्ट से सभी 12 आरोपियों को जमानत…ढाई साल बाद जेल से रिहाई तय

रायपुर, 08 अक्टूबर। Mahadev Satta App Case : महादेव ऑनलाइन सट्टा एप घोटाले में बंद रायपुर जेल के 12 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को जमानत दे दी है। ये सभी आरोपी पिछले ढाई साल से जेल में बंद थे। अब सुप्रीम कोर्ट से दस्तावेज मिलते ही उनकी जल्द रिहाई तय मानी जा रही है।

जिन आरोपियों को जमानत मिली है, उनमें रितेश यादव, भारत ज्योति, विश्वजीत राय, राहुल वकटे, नीतीश दीवान, भीम सिंह यादव, अर्जुन यादव, चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर सहित अन्य शामिल हैं। सभी पर महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी एप के जरिए अवैध सट्टा संचालन और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है।

क्या है महादेव सट्टा एप?

2016 में लॉन्च हुआ महादेव बुक एप एक ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म था, जिसे सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल और अतुल अग्रवाल ने शुरू किया था। इस ऐप के जरिए क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन, यहां तक कि लोकसभा चुनावों पर भी सट्टा लगाया जाता था। इसे दुबई से ऑपरेट किया जाता था।

कैसे फैला कारोबार?

शुरुआत में एप पर करीब 12 लाख यूजर्स थे। 2020 में, इस ग्रुप ने हैदराबाद स्थित “रेड्डी अन्ना” सट्टा नेटवर्क को 1000 करोड़ में खरीद लिया। इसके बाद एप का यूजर बेस 50 लाख से ज्यादा हो गया और हर दिन करीब 200 करोड़ रुपये का मुनाफा होने लगा। वॉट्सऐप और टेलीग्राम के जरिए एप को गांव-गांव तक पहुंचाया गया।

सिंडिकेट मॉडल में था संचालन

एप एक संगठित सिंडिकेट के रूप में चलता था, जिसमें अलग-अलग फ्रेंचाइजी को जोड़ा गया था। इनसे 70-30 के अनुपात में मुनाफा साझा किया जाता था। यूजर्स को एक आईडी और नंबर दिया जाता था, जिससे वे पैसे जमा कर दांव लगा सकते थे। जीतने पर नकद भुगतान की व्यवस्था भी की जाती थी।

मुनाफा और हेराफेरी

हालांकि एप यूजर फ्रेंडली और फटाफट मुनाफा देने का दावा करता था, लेकिन लंबे समय तक जुड़े यूजर्स के साथ हेराफेरी कर उन्हें नुकसान पहुंचाया जाता था, जिससे कंपनी का फायदा बना रहे।

कब शुरू हुई कार्रवाई?

2022 में, इस पूरे नेटवर्क पर ED और इनकम टैक्स विभाग की नजर पड़ी। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत कार्रवाई शुरू की और दावा किया कि 6000 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई है। जांच में हवाला नेटवर्क, शेल कंपनियां, और राजनीतिक संरक्षण के संकेत भी मिले।

आगे क्या?

सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत के बाद आरोपियों की रिहाई तय है। हालांकि, ईडी और अन्य एजेंसियों की जांच अब भी जारी है। मामले में मुख्य संचालक सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल अब भी कानून की गिरफ्त से बाहर बताए जा रहे हैं।

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