लॉकडाउन के दौरान 1650 सत्र में 15,021 शिशुओं व 5043 गर्भवती महिलाओं को लगे टीके
रायपुर। कोविद –19 के रोकथाम के लिए लागू लॉक डाउन के दौरान जिले में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के शत प्रतिशत लक्ष्य 1650 सत्र आयोजित किए गए। टीकाकरण केंद्रों में एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, मितानिन द्वारा सप्ताह के प्रत्येक मंगलवार व शुक्रवार को टीकाकरण के निर्धारित दिवस पर सत्र लगाए गए। लॉक डाउन के दौरान 3 अप्रेल से 24 अप्रेल के बीच जिले में 15,021 शिशुओं व 5043 गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण लगाया गया। इस दौरान बीसीजी के 771, हेपे-बी और ओपीवी के 770 टीके बच्चों को लगाएं गएं। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ विकास तिवारी ने बताया, टीकाकरण के दौरान सोशल व फिजीकल डिसटेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए प्रत्येक बच्चे का टीकाकरण से पूर्व स्वास्थ्य कर्मी अपने हाथों को सेनिटाइज करते हैं। इसके साथ चेहरे में मास्क, हाथे में गल्बस का भी उपयोग कर कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने सावधानियां बरती जा रही हैं।
कोविद-19 के चैन को तोड़ने लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एमडी डॉ. प्रियंका शुक्ला ने टीकाकरण कार्यक्रम को नियमित रुप से संचालित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जरुरी निर्देश भी दिए। स्वास्थ्य विभाग ने टीकाकरण सत्र स्थल का निरीक्षण व मॉनिटरिंग के लिए जिला स्तर पर अधिकारियों की टीम गठित की है। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. विकास तिवारी और एएसओ डीके बंजारे ने शुक्रवार को धरसींवा विकास खंड के अंतर्गत उप स्वास्थ्य केंद्र के नियमित टीकाकरण सत्र दोंदेखुर्द, सारागांव, मौहागांव में का निरीक्षण कर खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ एनके लकड़ा व बीपीएम जुबैदा खान को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए। निरीक्षण के दौरान उप स्वास्थ्य केंद्र सिलयारी के आश्रित ग्राम मौहागांव में आयोजित सत्र में सोशल डिसटेंसिंग का पालन करते हुए गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों को सुरक्षित तरीके अपनाते हुए टीकाकरण करने निर्देश आरएचओ को दिए गए।
डॉ .तिवारी ने बताया, कुछ लोगों में लॉकडाउन की वजह से भ्रम की स्थिति है कि अस्पतालों में टीकाकरण बंद हैं। ऐसे लोगों को मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर-घर जाकर सूचनाएं दी जा रही है। बच्चों को लगने वाले टीकों का एक तय शेड्यूल होता है। टीकाकरण अगर सही समय पर नहीं हो तो माता-पिता का चिंतित होना लाजिमी है। कोरोनावायरस के कारण इन दिनों लॉकडाउन है। ऐसे में कई समुदाय तक टीकाकरण वार्ड व आंगनबाड़ी केंद्र स्तर पर भी सुविधाएं दिया जा रहा है। लेकिन इस परिस्थिति में भी अभिभावकों को घबराने की जरूरत नहीं है। बच्चों को लगने वाले अधिकांश टीके बाद में भी लगवाए जा सकते हैं। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. तिवारी ने अभिभावकों से अपील की है कि नियमित टीकाकरण के दौरान नजदीक के टीकाकरण सत्र केंद्र में उपस्थित होकर आने बच्चों को टिका जरुर लगवाएं। साथ सोशल डिसटेंसिंग का पालन भी किया जाए।
टीकों का सही समय
कुछ टीके बच्चे के जन्म के 24 घंटे के अंदर लगना अनिवार्य होते हैं। अगर लॉकडाउन के दौरान कोई बच्चा पैदा हुआ है तो कोशिश करें कि बच्चे को वहीं अस्पताल में ही जन्म के समय ही यह लगवा लें। वैसे तो टीकों को तय शेड्यूल के अनुसार ही लगवाना बेहतर होता है, लेकिन इन दिनों कोरोना वायरस से खुद को और अपने बच्चों को बचाना ज्यादा जरूरी है।
जन्म के समय बीसीजी, पोलियो व हेपेटाइटिस बी का टीका। छह हफ्ते की उम्र में रोटावायरस, पेंटावेलेंट, न्यूमो