रायपुर, 8 मई। E-Commerce Market : भारत के ई-कॉमर्स बाजार में दिन-ब-दिन ग्रोथ देखने को मिल रही है। इसको लेकर देशभर के व्यापारी काफी उत्साहित हैं। व्यापारियों का मानना है कि ई-कॉमर्स भविष्य में व्यावसायिक गतिविधियों को करने का एक संभावित तरीका है, फिर भी अधिकांश व्यापारियों को लगता है कि ई-कॉमर्स में सामान बेचने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण एक बड़ी बाधा के रूप में आ रहा है।
शर्त को समाप्त करने की जरूरत
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतिम मील के व्यक्ति द्वारा भी डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाने और स्वीकार करने पर बहुत जोर दिया है, लेकिन ई-कॉमर्स पर बेचने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण की शर्त छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ी बाधा है। छोटे व्यापारियों के लिए अपने व्यवसाय को व्यापक बनाने में ई-कॉमर्स का लाभ उठाने की सुविधा के लिए इस शर्त को समाप्त करने की आवश्यकता है।
दरअसल, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की शोध संस्था कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी की ओर से कराई गई एक सर्वे रिपोर्ट में यह निष्कर्ष सामने आया है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि, व्यापारी ई-कॉमर्स को अपनाने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन सरकार को ई-कॉमर्स में व्याप्त बाधाओं को दूर करने की जरूरत है।
भारत के ई-कॉमर्स बाजार (E-Commerce Market) में देश भर के व्यापारी सहमत हो गए हैं लेकिन फिर भी अधिकांश व्यापारियों को लगता है कि ई-कॉमर्स में सामान बेचने के लिए जीएसटी पंजीकरण अनिवार्य है, यह एक बड़ी बाधा है। वहीं दूसरी तरफ बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां नीति और नियम तोड़ने में पीछे नहीं हैं, बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां हैं जो खुले तौर पर नीति और नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं।
24 राज्यों के 630 छोटे व्यापारियों के बीच ऑनलाइन सर्वे
सीआरटीडीएस द्वारा किए गए ऑनलाइन सर्वे में 24 राज्यों के 21 शहरों के 630 छोटे व्यापारियों ने सर्वे फॉर्म भरकर अपनी स्वतंत्र प्रतिक्रिया दी है। सर्वेक्षण के अनुसार 72% व्यापारियों ने कहा कि भारत में व्यापारियों के लिए ई-कॉमर्स व्यवसाय भविष्य में व्यापार करने का एक बड़ा का संभावित तरीका है, जबकि 66% व्यापारियों को लगता है कि ऐसा करने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण है। ई-कॉमर्स पर व्यापार एक बड़ी बाधा है।
94% छोटे व्यापारियों का विचार है कि बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां अपने एकाधिकार की शर्तों तथा नीतियों और कानूनों की धज्जियां उड़ा रही हैं। सर्वे में 89% व्यापारियों ने कहा कि एक निष्पक्ष ई-कॉमर्स के लिए परिभाषित ई-कॉमर्स नीति और नियम आवश्यक हैं। उन्होंने बताया की सर्वे में 94% व्यापारियों ने कहा कि सभी के लिए ई-कॉमर्स के व्यवसाय की मजबूत वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए ई-कॉमर्स के लिए एक नियामक प्राधिकरण आवश्यक है जबकि 92% व्यापारियों का मानना है कि खुदरा क्षेत्र में वर्तमान एफडीआई नीति में आवश्यक संशोधन की आवश्यकता है।
बिग एक्सपोजर प्लेटफॉर्म पर कानून की परवाह नहीं
पारवानी ने कहा कि ई-कॉमर्स (E-Commerce Market) ने अब भारत में ई-कॉमर्स को एक बड़ा एक्सपोजर दिया है, हालांकि ऑफलाइन रिटेलर्स की तुलना में ई-कॉमर्स परिदृश्य सभी प्रकार के प्रतिबंधों से पूरी तरह मुक्त है। इससे किसी भी कानून की परवाह किए बिना कुछ भी व्यापार करने के लिए कोई भी स्वतंत्र है, जो कि एक बेहद खेदजनक स्थिति है। इसलिए ई-कॉमर्स और खुदरा व्यापार को बराबरी पर लाते हुए सरकार पूरे खुदरा व्यापार को पारदर्शी और कानून के अनुरूप बनाने के लिए बाध्य है। ई-कॉमर्स कंपनियों को अब और अधिक खुला बाजार नहीं दिया जाना चाहिए और उन्हें अपने व्यापारिक व्यवहार में अधिक पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।